नयी दिल्ली, 30 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को बिहार क्रिकेट संघ (बीसीए) के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में बदलाव का आरोप लगाने वाली याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने बीसीए की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आत्माराम नाडकर्णी की इस दलील पर गौर किया कि संशोधित संविधान को लागू नहीं किया गया है।
यह भी ध्यान में रखा गया कि अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, संयुक्त सचिव, कोषाध्यक्ष और पार्षद (जिला प्रतिनिधि) के पद पर छह उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हुए।
पीठ ने कहा, ‘‘हमारी राय है कि परिणामों को चुनौती देने के उपाय उपलब्ध हैं और गुण-दोष के आधार पर ऐसा करना हमारे लिए उचित नहीं होगा। हम याचिकाकर्ताओं पर छोड़ते हैं कि वे कानून के अनुसार आगे बढ़ें।’’
शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि उसने याचिका के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं की है।
शुरुआत में याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनुपम लाल दास ने आरोप लगाया कि चुनाव भ्रमित करने के लिए थे और उच्चतम न्यायालय की अनुमति के बिना निर्वाचक मंडल को नहीं बदला जा सकता था।
नाडकर्णी ने दलील का खंडन करते हुए कहा कि चुनाव मानदंडों के अनुसार हुए थे और उचित प्रक्रिया का पालन किया गया था।
शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि बीसीए अपने संविधान में संशोधन नहीं कर सकता और उसे एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया जिसमें बताने को कहा गया कि वह अपने चुनावों के लिए किस तंत्र का पालन कर रहा है।
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