देश की खबरें | न्यायमूर्ति रविकुमार ने लोगों के लिए त्वरित, वास्तविक न्याय सुनिश्चित किया: प्रधान न्यायाधीश खन्ना

नयी दिल्ली, तीन जनवरी देश के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने सरल समाधानों के जरिये लोगों को त्वरित एवं वास्तविक न्याय प्रदान करने के लिए शुक्रवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की सराहना की।

शुक्रवार को न्यायमूर्ति रविकुमार का अंतिम कार्य दिवस था, क्योंकि वह पांच जनवरी को सेवानिवृत्त होंगे।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘सरल समाधान न्यायिक कार्य को अधिक वास्तविक बनाते हैं। यह उनकी विशेषता है। वह इन कठिन मामलों को प्रभावी ढंग से संभालने में सक्षम हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि लोगों को यथासंभव शीघ्र और सरल तरीके से न्याय मिले।’’

उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति रविकुमार ने कठिन मामलों को प्रभावी ढंग से निपटाया और सुनिश्चित किया कि लोगों को सरल तरीके से शीघ्र न्याय मिले।

केरल उच्च न्यायालय में शानदार कार्यकाल के बाद न्यायमूर्ति रविकुमार को 31 अगस्त, 2021 को शीर्ष अदालत में पदोन्नत किया गया था और वह पांच जनवरी को सेवामुक्त होंगे।

न्यायमूर्ति रविकुमार के सम्मान में ‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन’ (एससीबीए) द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने उनके सफर को ‘‘प्रेरणादायक और उल्लेखनीय’’ बताया।

न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, ‘‘पिछले कई वर्षों में, केरल उच्च न्यायालय और इस न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में, मैंने एक बात देखी है - मामले के प्रति उनका दृष्टिकोण।’’

प्रधान न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि न्यायमूर्ति रविकुमार का एक साधारण ग्रामीण पृष्ठभूमि से शीर्ष अदालत तक पहुंचने का सफर असाधारण रहा।

न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, ‘‘ग्रामीण पृष्ठभूमि से आकर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में सेवा करने का गौरव प्राप्त करना एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। न्यायमूर्ति रविकुमार ने न केवल यह उपलब्धि हासिल की बल्कि अपने कर्तव्यों का बेहतरीन तरीके से निर्वहन भी किया है।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि न्यायमूर्ति रविकुमार ने न्यायपालिका पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ा और वह भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बने रहेंगे।

उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति रविकुमार एक सच्चे, सज्जन, मृदुभाषी और विनम्र व्यक्ति हैं।

अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि, एससीबीए अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल समेत अन्य लोगों ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।

सिब्बल ने कहा कि न्यायमूर्ति रविकुमार, जो एक क्रिकेट प्रशंसक हैं और उन्होंने शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में अपनी पारी सीधे बल्ले से खेली, खेल के नियमों का पालन किया और वकीलों के लिए खुशी की बात है कि उन्होंने ‘‘कोई गुगली नहीं फेंकी’’।

उन्होंने कहा, ‘‘आप क्रिकेट और फुटबॉल के प्रति अपने प्यार के लिए जाने जाते हैं, चाहे टीम कोई भी हो... क्रिकेट के प्रेमी के रूप में, आपने अपनी पारी सीधे बल्ले से खेली। कोई गुगली नहीं फेंकी। और हमेशा खेल के नियमों का पालन किया, जो सभी वकील चाहते हैं। मैं आपको आपकी अगली पारी के लिए शुभकामनाएं देता हूं।’’

सिब्बल ने कहा कि न्यायमूर्ति रविकुमार ऐसे प्रतिष्ठित व्यक्तियों में से एक हैं, जो कड़ी मेहनत के बल पर शीर्ष पर पहुंचे।

उन्होंने कई महत्वपूर्ण संवैधानिक निर्णयों में शामिल होने के लिए न्यायमूर्ति रविकुमार की सराहना की।

केरल के पीरमाडु में छह जनवरी, 1960 को जन्मे न्यायमूर्ति रविकुमार ने मावेलिकरा स्थित बिशप मूरे कॉलेज से प्राणीविज्ञान में स्नातक की डिग्री और कालीकट स्थित ‘गवर्नमेंट लॉ कॉलेज’ से एलएलबी की डिग्री हासिल की।

उन्होंने 12 जुलाई, 1986 को ‘केरल बार काउंसिल’ में एक वकील के रूप में पंजीकरण कराया। उन्होंने मावेलिकरा की अदालतों से वकालत शुरू की और बाद में उन्होंने केरल उच्च न्यायालय में वकालत की।

न्यायमूर्ति रविकुमार को पांच जनवरी, 2009 को केरल उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 15 दिसंबर, 2010 को वह स्थायी न्यायाधीश बने। उन्होंने 31 अगस्त, 2021 को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी।

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