बेंगलुरु, तीन मई केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 12वीं सदी के समाज सुधारक एवं लिंगायत संत बसवेश्वर की जयंती पर मंगलवार को यहां उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
इस कदम को कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले लिंगायत समाज तक पहुंच स्थापित करने के रूप में देखा जा रहा है। यह एक प्रभावशाली समुदाय है और इसे अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का एक मजबूत वोट बैंक माना जा रहा है।
शाह के साथ मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतील, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सी. टी. रवि, राज्य मंत्रिमंडल के कई मंत्री समेत अन्य लोग मौजूद थे।
शाह ने 2018 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले यहां बसवेश्वर सर्कल स्थित इसी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की थी। यह विधान सुधा के नजदीक है।
बसवेश्वर को बसवन्ना के नाम से भी पहचाना जाता है, उनकी जयंती को ‘बसव जयंती’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन कर्नाटक में एक सार्वजनिक अवकाश रहता है।
शाह सोमवार देर रात शहर पहुंचे थे। वह मंगलवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में विभिन्न कार्यक्रमों में और एक बैठक में शिरकत करेंगे।
बसवेश्वर एक दार्शनिक, समाज सुधारक और राजनेता थे। उन्होंने समाज से जाति व्यवस्था को दूर करने का प्रयास किया और जाति तथा धार्मिक भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से सामाजिक जागरूकता भी फैलाई। लिंगायत/वीरशैव, समुदाय बसवेश्वर के प्रति निष्ठा रखता है, राज्य में इनकी अनुमानित 17 प्रतिशत आबादी है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, राज्य के कुल 224 विधानसभा क्षेत्रों में से लगभग 140 में राजनीतिक रूप से प्रभावशाली लिंगायत समुदाय की महत्वपूर्ण उपस्थिति मानी जाती है और लगभग 90 सीटों पर यह निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
मुख्यमंत्री बोम्मई, राज्य में भाजपा के वरिष्ठ नेता बी एस येदियुरप्पा दोनों इसी समुदाय से नाता रखते हैं।
विधानसभा चुनाव 2023 से पहले राज्य के मंत्रिमंडल में फेरबदल या विस्तार होने की खबरों के बीच शाह राज्य के दौर पर पहुंचे हैं।
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