देश की खबरें | संविधान के तीनों अंगों से एक-दूसरे के कार्य के प्रति सम्मान दिखाने की अपेक्षा की जाती है: न्यायालय

नयी दिल्ली, 20 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि यह अपेक्षित है कि संविधान के तीनों अंग एक-दूसरे के कामकाज के प्रति परस्पर सम्मान दिखाएं, क्योंकि ‘‘अनुचित टिप्पणियां’’ अनावश्यक रूप से टकराव पैदा करती हैं।

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि निर्णयों की निष्पक्ष आलोचना का हमेशा स्वागत है, लेकिन किसी को भी ‘‘सीमाओं का उल्लंघन नहीं करना चाहिए’’।

पीठ ने कहा कि अदालतों द्वारा पारित आदेशों के बारे में टिप्पणी करते समय किसी को भी पर्याप्त सावधानी बरतनी चाहिए।

अदालत की यह टिप्पणी तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी के उस बयान से संबंधित मुद्दे पर आई, जिसमें उन्होंने कथित दिल्ली आबकारी घोटाले से जुड़े मामलों में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के. कविता को शीर्ष अदालत द्वारा जमानत दिए जाने पर टिप्पणी की थी।

पीठ ने इस बात का संज्ञान लेते हुए कि रेड्डी ने अदालत के समक्ष माफी मांगी है, कहा कि वह इस मुद्दे पर आगे नहीं बढ़ना चाहती।

इसने कहा, ‘‘हालांकि हम इस मामले में आगे नहीं बढ़ना चाहते, लेकिन हम सभी संवैधानिक प्राधिकारों - विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका - को केवल यह चेतावनी दे सकते हैं कि वे संविधान द्वारा उनके लिए निर्धारित क्षेत्रों में अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन करें।’’

पीठ ने कहा, ‘‘यह अपेक्षा की जाती है कि संविधान के तीनों अंग एक-दूसरे के कामकाज के प्रति परस्पर सम्मान दिखाएं।’’ न्यायालय ने यह भी कहा, ‘‘ऐसी अनुचित टिप्पणियां अनावश्यक रूप से टकराव पैदा करती हैं।’’

रेड्डी की टिप्पणियों से जुड़ा मुद्दा उच्चतम न्यायालय के समक्ष उठा था, जो 2015 के ‘वोट के बदले नोट’ मामले की सुनवाई तेलंगाना से भोपाल स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था। रेड्डी इस मामले में आरोपियों में से एक हैं।

न्यायालय ने शुक्रवार को मुकदमे को तेलंगाना से भोपाल स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया और रेड्डी को निर्देश दिया कि वह मामले की कार्यवाही में अभियोजन पक्ष के कामकाज में किसी भी तरह से हस्तक्षेप न करें।

शीर्ष अदालत ने 29 अगस्त को मामले की सुनवाई करते हुए कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मामलों में कविता को दी गई जमानत पर रेड्डी की टिप्पणियों पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की थी।

कविता की जमानत के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और बीआरएस के बीच ‘‘सौदा’’ होने संबंधी कांग्रेस नेता की टिप्पणी से नाराज न्यायालय ने कहा था कि इस तरह के बयान लोगों के मन में आशंकाएं पैदा कर सकते हैं।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने 30 अगस्त को दावा किया था कि उनकी टिप्पणी को गलत संदर्भ में लिया गया है। उन्होंने ‘‘बिना शर्त खेद’’ व्यक्त किया था।

उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा था कि देश की न्यायपालिका के प्रति उनके मन में अगाध सम्मान है।

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