नयी दिल्ली, एक मार्च कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने नए कोयला कानून में अनुकूल प्रावधान लाकर कोयला खदानों के आवंटन के संदर्भ में अडाणी समूह के लिए पीछे का रास्ता खोल दिया।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कांग्रेस की ‘हम अडाणी के हैं कौन’ प्रश्न श्रृंखला के तहत पिछले कई दिनों की तरह आज भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कुछ सवाल किए।
उन्होंने दावा किया, ‘‘9 अप्रैल 2015 को आपने (प्रधानमंत्री) कहा था कि ‘कोयला और स्पेक्ट्रम में नीलामी का निष्कर्ष यह सिद्ध करता है कि अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो घोटाले और भ्रष्टाचार के अभिशाप को टाला जा सकता है।’ लेकिन विडंबना यह है कि नए कोयला कानून में अनुकूल प्रावधानों के जरिये अपने पसंदीदा व्यापार भागीदार को विशाल कोयला खदानों को फिर से आवंटित करने के दो सप्ताह के बाद ही आपने ये शब्द बोले थे।’’
रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘आपकी सरकार ने 20 मार्च, 2015 को ‘कोयला खान (विशेष प्रावधान) अधिनियम’ को कोयला खदानों के पूर्व आवंटन को रद्द करने और पुन: नीलामी करने के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को लागू करने के लिए पारित किया था। हालांकि अधिनियम की धारा 11(1) ने पूर्व आवंटी द्वारा हस्ताक्षरित खनन अनुबंधों को जारी रखने की नए आवंटी को अनुमति देकर पीछे का रास्ता खोल दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसके परिणामस्वरूप 26 मार्च 2015 को छत्तीसगढ़ में दो खदानों के लिए भाजपा राज्य सरकार द्वारा अडाणी समूह को खदान डेवलपर और ऑपरेटर (एमडीओ) के रूप में फिर से नियुक्त किया गया। तत्पश्चात् इस आवंटन की आलोचना करने वाली नीति आयोग की रिपोर्ट को कथित तौर पर दबा दिया गया था, लेकिन अब इस आशय का पत्राचार सामने आया है कि आपके कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने इन आवंटनों को "अनुचित" तथा "निरंतरता और पारदर्शिता" विहीन बताया है।
कांग्रेस महासचिव ने दावा किया, ‘‘ऐसा हो सकता है कि जवाबदेह ठहराए जाने के डर से अधिकारी अडाणी समूह के प्रति इस घोर पक्षपात से दूरी बनाना चाह रहे हैं।’’
उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या आपने अपने अधिकारियों पर यह सुनिश्चित करने के लिए कोई दबाव डाला कि पूर्व प्रभावी रूप से कोई ऐसा परिवर्तन न किया जाए जो आपके मित्रों के वाणिज्यिक हितों और नकदी प्रवाह को नुकसान पहुंचा सकता हो?’’
कांग्रेस अमेरिकी वित्तीय शोध संस्था ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की रिपोर्ट आने के बाद से अडाणी समूह और प्रधानमंत्री पर लगातार हमले कर रही है।
उल्लेखनीय है कि वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी समूह के खिलाफ फर्जी तरीके से लेनदेन और शेयर की कीमतों में हेरफेर सहित कई आरोप लगाए थे। अडाणी समूह ने इन आरोपों को झूठा करार देते हुए कहा था कि उसने सभी कानूनों और प्रावधानों का पालन किया है।
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