दिल्ली में 150 बिस्तर वाले अस्पताल को शुरू करने लिए लाइसेंस दिया जा सकता है : आप सरकार
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

नयी दिल्ली, 12 मई : आप सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) को बताया कि उस 150 बेड (बिस्तर) वाले ‘मल्टी-स्पैशिएलिटी’ (बहु-विशेषज्ञ) अस्पताल को शुरू करने के लिए लाइसेंस दिया जा सकता है, जिसे उसकी मूल कम्पनी के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया के कारण बंद कर दिया गया था बशर्ते उसका अपेक्षित बुनियादी ढांचा ठीक हो. दिल्ली सरकार ने कहा कि वह इस पर आने वाले खर्च और कोविड-19 (COVID-19) केन्द्र चलाने के लिए आवश्यक चीजों का भार नहीं उठा सकती, क्योंकि उसके खुद के अस्पतालों में कर्मचारियों, दवाइयों और उपकरणों की कम है. दिल्ली सरकार के स्थायी वकील संतोष के. त्रिपाठी द्वारा दाखिल हलफनामे में कहा गया कि अगर अदालत निर्देश देती है और ‘फेब्रिस मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल’ दिल्ली नर्सिंग होम पंजीकरण अधिनियम में दिए गए मापदंडों को पूरा करता है तो उसे शुरू करने के लिए लाइसेंस दिया जा सकता है.

अदालत के दिल्ली सरकार के ‘मल्टी-स्पेशलिटी’ अस्पताल को शुरू नहीं करने के तर्क पर सवाल उठाने के बाद यह हलफनामा दाखिल किया गया. अदालत ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के मद्देनजर छह मई को दिल्ली सरकार से ‘‘लीक से हटकर सोचने’’ के लिए कहा था. अदालत ने कहा था कि ‘‘हम सामान्य परिस्थिति में नहीं है’’ और राष्ट्रीय राजधानी में मरीजों के लिए अस्पतालों में बिस्तरों की कमी है. मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की एक पीठ ने दिल्ली सरकार से कहा था, ‘‘150 बिस्तर उपलब्ध हैं. हम हर जगह बिस्तर ढूंढने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. हम हर दिन इसके लिए लड़ रहे हैं और आप कह रहे हैं कि इस अस्पताल का इस्तेमाल नहीं करेंगे. हमें यह तर्क समझ नहीं आ रहा है.’’ अदालत ने कहा था, ‘‘पानी सिर से ऊपर जा चुका है. वह (याचिकाकर्ता डॉक्टर) अपना अस्पताल खोलने की पेशकश दे रहे हैं, वह अपनी मेडिकल टीम लाने के लिए तैयार हैं, आपको और क्या चाहिए?’’ यह भी पढ़ें : Azam khan Health Update: एसपी सांसद आजम खान की तबियत में सुधार, ऑक्सीजन की मांग कम हुई

दिल्ली सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि अस्पताल ने 2018 और 2019 में कई बार कहे जाने के बाद भी अपनी मासिक और त्रैमासिक रिपोर्ट देनी बंद कर दी है. उसने कहा, ‘‘ अस्पताल में तैनात सरकारी सम्पर्क अधिकारी ने स्वास्थ्य सेवा के महानिदेशक को सूचित किया था कि उक्त परिसर में कोई नर्सिंग होम गतिविधियां नहीं की जा रही हैं. इसके बाद, निदेशालय द्वारा दिनांक 24 फरवरी, 2020 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, जिसे पूर्ववत् लौटा दिया गया था. कारण बताने के लिए उक्त नोटिस 14 अगस्त, 2020 को ई-मेल के जरिए भी भेजा गया था.’’

सरकार ने कहा कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा कारण बताओ नोटिस का कोई जवाब नहीं देने के कारण पिछले साल सितम्बर में ‘फेब्रिस हॉस्पिटल’ का पंजीकरण रद्द कर दिया गया था. उच्च न्यायालय डॉ. राकेश सक्सेना की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें महामारी के दौर में राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए ‘फेब्रिस मल्टी स्पैशिएलिटी हॉस्पिटल’ शुरू करने की अनुमति मांगी गई है. उन्होंने कहा था कि केन्द्र या दिल्ली सरकार 2019 से बंद अस्पताल का संचालन अपने हाथ में ले सकती हैं और कोविड-19 मरीजों के लिए वहां की सुविधाओं का इस्तेमाल कर सकती हैं.

याचिका में उन्होंने अदालत से आपात स्थिति को देखते हुए अस्पताल को फिर से लाइसेंस दिए जाने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है