पुरातत्वशास्त्रियों ने दुनिया के सबसे पुराने लकड़ी के बने ढांचे को खोज निकालने का दावा किया है. इसे 4.76 लाख साल पुराना बताया जा रहा है.इस ढांचे के मिलने का मतलब है कि मानव सभ्यता का इतिहास जितना पहले समझा गया है उससे कहीं ज्यादा पुराना है. जाम्बिया के उत्तर में तंजानिया की सीमा के पास कालांबो फॉल्स के पास मिला यह लकड़ी का ढांचा बिल्कुल सुरक्षित है. रिसर्चरों का कहना है कि इतनी अच्छी हालत में इसका मिलना भी एक अपवाद है.
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होमो सेपियंस से पहले की लकड़ी
नेचर जर्नल में प्रकाशित रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक यह करीब 4,76,000 साल पुराना है. जाहिर है कि होमो सेपियंस के विकास के बहुत पहले की यह बात है. लकड़ी के ढांचे पर जो कट हैं उनसे पता चल रहा है कि इसके लिए पत्थर के औजारों का इस्तेमाल किया गया था. लकड़ी के दो विशाल टुकड़ों को मिला कर यह ढांचा बनाया गया है. यह ढांचा शायद किसी प्लेटफॉर्म, या फिर पैदल चलने का रास्ता या फिर हमारे पूर्वजों को पानी से ऊपर रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता होगा. इस जगह से लकड़ी का एक खूंटा और खुदाई करने वाली लकड़ी समेत कुछ दूसरे औजार भी मिले हैं. इंसानों के पूर्वज उस समय के पहले से ही लकड़ी का इस्तेमाल कर रहे थे. हालांकि आग जलाने या फिर शिकार जैसे सीमित कामों के लिए ही इसका इस्तेमाल हो रहा था.
ब्रिटेन की लिवरपूल यूनिवर्सिटी के पुरातत्वशास्त्री लैरी ब्राहम इस रिसर्च रिपोर्ट के प्रमुख लेखक हैं. ब्राहम ने समाचार एजेंसी को बताया कि लकड़ी के अब तक सबसे पुराने ढांचे के तौर पर दर्ज ढांचे की उम्र महज 9000 साल थी. ब्राहम ने बताया कि यह ढांचा 2019 में कालांबो नदी के पास चल रही खुदाई के दौरान मिल गया था. इस तरह की प्राचीन लकड़ी का मिलना दुर्लभ है क्योंकि आमतौर पर यह इस तरह से सड़ जाती हैं कि अपने पीछे कोई ऐतिहासिक दस्तावेज नहीं छोड़तीं. हालांकि माना जा रहा है कि कालांबो फॉल्स के पानी के ऊंचे स्तर ने इस ढांचे को इतने लंबे समय तक सुरक्षित बचाए रखा.
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उम्र निर्धारण की तकनीक
कालांबो के इलाके में 1950 और 1960 के दशक में हुई खुदाई के दौरान भी कुछ लकड़ियां मिली थीं लेकिन उनके समय का निर्धारण सटीकता से नहीं हो सका. हालांकि इस बार रिसर्चरों ने एक नई तकनीक का इस्तेमाल किया जिसे ल्यूमिनेसेंस डेटिंग कहा जाता है. इसमें आयु का पता इस बात से लगता है कि खनिजों को आखिरी बार सूरज की रोशनी कब मिली थी. इसके जरिये पता चला है कि यह ढांचा रिसर्चरों ने जितना सोचा था उससे कई गुना ज्यादा पुराना है.
होमो सेपिएंस की मौजूदगी के सबसे पुराने प्रमाण करीब 3,00,000 साल पुराने हैं. हालांकि इस इलाके में पाए जाने वाले होमो हाइडेलबर्गेनेसिस के बारे में माना जाता है कि वे 7-2 लाख साल तक पुराने हैं. ब्राहम का कहना है कि लकड़ी के इस ढांचे की खोज के बाद इन लोगों को के बारे में वैज्ञानिकों की राय बदल गई है. ब्राहम ने कहा, "इन लोगों ने अपने आसपास बदलाव किए ताकि जिंदगी आसान हो, अब भले ही वो चीज कोई प्लेटफार्म ही क्यों ना हो जिस पर नदी के किनारे बैठ कर रोजमर्रा के काम किया जा सकते थे. इन लोगों ने अपनी बुद्धिमता, कल्पना और कुशलता का इस्तेमाल कर कोई ऐसी चीज बनाने में की जो पहले नहीं देखी गई थी, शायद को जो पहले थी ही नहीं."
एनआर/ओएसजे (एएफपी)