सिगरेट पर कड़े नियम लगाने में जर्मनी को कहां आ रही मुश्किल?
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

पार्क, बाजार और यहां तक कि बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म तक पर, जर्मनी में सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान के नियम बड़े कमजोर हैं. इसके बावजूद ईयू में जब इस विषय पर मतदान हुआ, तो जर्मनी गैरहाजिर रहा.दुनिया के कुछ देश, जैसे कि ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और सिंगापुर धूम्रपान के नियमों को सख्त से और सख्त बना रहे हैं, ताकि भविष्य की पीढ़ियां "स्मोकिंग फ्री" हों. सिगरेट, वेप और तंबाकू के अन्य उत्पाद लत बनना तो दूर, उनकी पहुंच से भी दूर हों. दूसरी तरफ, यूरोप के 27 देशों का समूह 'यूरोपीय संघ' (ईयू) अभी भी सार्वजनिक जगहों में धूम्रपान घटाने पर एकमत होने की कोशिश कर रहा है.

सिगरेट छोड़ना चाहते हैं तो ये हैं कुछ तरीके

3 दिसंबर को ईयू के कई स्वास्थ्य मंत्रियों ने संकेत दिया कि वे धूम्रपान-मुक्त जगहों का दायरा बढ़ाने के पक्ष में हैं, ताकि तंबाकू के कारण कैंसर से होने वाली मौतें कम की जा सकें. हालांकि, अब भी सभी सदस्यों में एकराय नहीं बन पाई है.

समाचार एजेंसी डीपीए के अनुसार, ब्रसेल्स में इस विषय पर एक मतदान हुआ जिसमें जर्मनी गैरहाजिर रहा. जर्मनी के स्वास्थ्य सचिव थोमास श्टेफान ने डीपीए को बताया कि उन्होंने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. श्टेफान के मुताबिक, वह सख्त दिशानिर्देशों के पक्ष में हैं, लेकिन जर्मन राज्यों ने इसका विरोध किया है. जर्मनी में धूम्रपान से जुड़े नियमों की जिम्मेदारी राज्यों की है.

जर्मनी में सार्वजनिक जगहों पर आम है धूम्रपान

जर्मनी, ईयू के उन देशों में है जहां सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान के नियम और प्रतिबंध सबसे कमजोर हैं. स्टेशन बिना शक एक पब्लिक स्पेस है. जर्मनी में स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर लोगों को सिगरेट पीते देखना आम बात है.

यहां तक कि भूमिगत प्लेटफॉर्म पर भी लोग सिगरेट पीते दिख जाएंगे. सड़क, बाजार, पार्क, रेस्तरां हर जगह ये आम है. विशेषज्ञ लंबे समय से रेखांकित करते रहे हैं कि जर्मनी को स्मोक-फ्री इलाकों का दायरा बढ़ाने और नियमों का पालन सुनिश्चित करने की सख्त जरूरत है.

धूम्रपान करने वालों के लिए क्यों मुश्किल होता है इस लत को छोड़ना

जर्मनी में धूम्रपान करने वालों की संख्या खासी बड़ी है. ईयू के स्टैटिस्टिक ऑफिस 'यूरोस्टैट' के मुताबिक, जर्मनी में 15 से 24 साल की उम्र के करीब 18 फीसदी किशोर और युवा नियमित रूप से सिगरेट पीते हैं. समूचे ईयू के औसत को देखें, तो 2019 में इस आयुवर्ग के लगभग 15 प्रतिशत किशोर और युवा थे, जो हर दिन धूम्रपान कर रहे थे. वहीं, सभी आयुवर्गों को मिलाकर सिगरेट पीने वालों की तादाद करीब 25 फीसदी है.

यूरोपीय संघ की क्या स्थिति है?

समूचे ईयू के स्तर पर भी अच्छी स्थिति नहीं है. यूरोपियन यूनियन, आइसलैंड और नॉर्वे में कैंसर से जितनी मौतें होती हैं, उनमें से करीब एक चौथाई मामलों का संबंध धूम्रपान से है. यानी, तंबाकू कैंसर के सबसे मुख्य जोखिमों में है.

ऐसे में अब ईयू के कई सदस्य देशों में सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान पर पाबंदियां लगाने की कोशिशें तेज हो रही हैं. 'रेडियो फ्रांस' की रिपोर्ट के अनुसार, ईयू अपने "बीटिंग कैंसर प्लान" के तहत साल 2040 तक धूम्रपान करने वालों की तादाद घटाकर पांच प्रतिशत से भी कम पर लाना चाहता है.

इस संबंध में ईयू के नए दिशानिर्देश सदस्य देशों के लिए बाध्यकारी नहीं होंगे. चूंकि स्वास्थ्य नीति पर फैसला लेना सदस्य देशों के अपने दायरे में आता है, ऐसे में वो तय कर सकते हैं कि उन्हें गाइडलाइंस लागू करना है या नहीं. नए दिशानिर्देशों का मकसद धूम्रपान ना करने वालों और छोटे बच्चों व गर्भवती महिलाओं जैसे खास जोखिम वाले समूहों को सेकेंड-हैंड धुएं से बचाना है.

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साथ ही साथ, किशोरों के बीच तेजी से प्रचलित हो रहे वेप और इलेक्ट्रिक सिगरेट जैसे नए-नए तंबाकू उत्पादों को हतोत्साहित करने की भी मंशा है. 3 दिसंबर को हुए मतदान से पहले ईयू के स्वास्थ्य कमिश्नर ओलिवेर वारहेली ने बताया कि तंबाकू के सेवन के कारण ईयू में हर साल करीब 7,00,000 लोगों की मौत होती है. उन्होंने जोर देकर कहा कि ये सेहत का ऐसा जोखिम है, जिससे बचाव मुमकिन है.

वेपिंग बनाम स्मोकिंग

हालांकि, सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान को पूरी तरह प्रतिबंधित करना इतना सरल विषय नहीं है. यूरोपीय संसद में दिशानिर्देशों को संशोधित करना खासा मुश्किल साबित होता आया है. आयोग 2009 से ही संशोधन के प्रस्ताव देता आया है, लेकिन इसे पर्याप्त समर्थन नहीं मिला.

एक और जटिल मुद्दा है, स्मोकिंग और वेपिंग को एक नजर से देखना. कई पक्ष दलील देते हैं कि वेपिंग, धूम्रपान छोड़ने में मदद कर सकता है. ऐसे में इसपर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए. समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक इटली और रोमानिया ने एक संयुक्त बयान में कहा कि वेपिंग पर बैन लगाने का पुख्ता वैज्ञानिक आधार नहीं है और इसे नए दिशानिर्देशों में शामिल नहीं किया जाना चाहिए.

निकोटीन से ज्यादा घातक हो सकते हैं उसके विकल्पः एफडीए

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, ई-सिगरेटों से निकले धुएं में कई विषैले तत्व होते हैं जो सांस के जरिये शरीर के भीतर जाकर सिगरेट ना पीने वालों को भी नुकसान पहुंचाते हैं.

एक बड़ी चिंता वेप और ई-सिगरेट के आकर्षक और रंग-बिरंगे "स्वादिष्ट" फ्लेवरों की भी है, जो किशोरों को खासतौर पर आकर्षित करते हैं. सिगरेट की लत का शिकार कोई शख्स जहां वेपिंग को धूम्रपान छोड़ने के लिए विकल्प की तरह इस्तेमाल कर सकता है, वहीं कई किशोर और युवा इनसे ही स्मोकिंग की शुरुआत कर रहे हैं.

एसएम/एए (डीपीए, एएफपी)