अमेरिका ने गाजा में स्थिरता लाने और संघर्ष विराम की निगरानी के लिए एक बड़ा फैसला लिया है. अमेरिकी सरकार 200 सैनिकों को एक विशेष 'जॉइंट टास्क फोर्स' के हिस्से के रूप में तैनात करने जा रही है. हालांकि, अमेरिका के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने गुरुवार को साफ किया कि कोई भी अमेरिकी सैनिक फिलिस्तीनी इलाके गाजा के अंदर नहीं जाएगा.
क्या करेगा यह टास्क फोर्स?
अधिकारियों ने बताया कि ये 200 अमेरिकी सैनिक उस टास्क फोर्स की नींव होंगे जिसमें मिस्र, कतर, तुर्की और शायद संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के सैन्य प्रतिनिधि भी शामिल होंगे.
अभी यह तय नहीं हुआ है कि अमेरिकी सैनिकों को कहां तैनात किया जाएगा. लेकिन उनका मुख्य काम एक 'जॉइंट कंट्रोल सेंटर' बनाना होगा. यह सेंटर गाजा में काम करने वाली दूसरी सुरक्षा टीमों और इज़राइली सेना के बीच तालमेल बिठाएगा, ताकि किसी भी तरह के टकराव से बचा जा सके. एक अधिकारी ने जोर देकर कहा, "किसी भी अमेरिकी सैनिक को गाजा के अंदर भेजने का कोई इरादा नहीं है."
मिशन का बड़ा मकसद क्या है?
अमेरिकी अधिकारियों को उम्मीद है कि जब यह गाजा शांति समझौता लागू हो जाएगा, तो इससे पूरे क्षेत्र में तनाव कम होगा. इससे इज़राइल और अन्य अरब देशों के बीच संबंध सामान्य बनाने के लिए बातचीत का माहौल तैयार होगा.
आपको बता दें कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में 'अब्राहम अकॉर्ड्स' नाम से कई समझौते कराए थे. इन समझौतों के तहत इज़राइल के साथ बहरीन, संयुक्त अरब अमीरात, मोरक्को और सूडान के रिश्ते सामान्य हुए थे. अधिकारियों का मानना है कि अब सऊदी अरब, इंडोनेशिया, मॉरिटानिया, अल्जीरिया, सीरिया और लेबनान जैसे देश भी इज़राइल के साथ ऐसे ही समझौते के लिए आगे आ सकते हैं.













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