नोबेल की रेस में फिर आगे आए ट्रंप, इजरायल-हमास डील के बाद व्हाइट हाउस ने कहा The Peace President
Donald Trump | PTI

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने एक बार फिर खुद को शांति दूत के रूप में पेश किया है. अमेरिका और कतर की मध्यस्थता से इजरायल और हमास के बीच हुआ समझौता न केवल मिडिल ईस्ट में शांति की नई उम्मीद जगा रहा है, बल्कि ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize 2025) की दौड़ में भी आगे कर रहा है. 10 अक्टूबर को नोबेल शांति पुरस्कार का ऐलान होना है और इस बीच ट्रंप ने दुनिया को एक शांति समझौता (Peace Deal) का तोहफा देकर खुद को फिर सुर्खियों में ला दिया है.

इजरायल-हमास समझौते की घोषणा के बाद व्हाइट हाउस ने सोशल मीडिया पर ट्रंप को “The Peace President” कहकर पेश किया. इस समझौते की घोषणा करते हुए ट्रंप ने Truth Social पर लिखा, “धन्य हैं शांति स्थापित करने वाले!” यह वही मंच है जहां से वह खुद को मुख्य शांतिदूत (Peacemaker in Chief) कहकर पेश करते रहे हैं.

इजरायल-हमास के बीच ऐतिहासिक डील

दो साल से जारी भीषण संघर्ष के बाद इजरायल और हमास के बीच एक अहम समझौता हुआ है. इस समझौते के तहत गाजा में बंधक बनाए गए सभी लोगों को रिहा किया जाएगा और इजरायली सेना एक तय सीमा रेखा तक पीछे हटेगी. White House से जारी बयान में कहा गया, "इसका मतलब है कि सभी बंधकों को बहुत जल्द रिहा कर दिया जाएगा." इस समझौते की पुष्टि इजरायल, हमास और कतर ने भी कर दी है.

White House ने ट्रंप को बताया The Peace President

खुस को शांति दूत बता रहे ट्रंप

नोबेल शांति पुरस्कार से पहले ‘राजनीतिक टाइमिंग’

यह समझौता ऐसे वक्त पर आया है जब 10 अक्टूबर को नोबेल शांति पुरस्कार का ऐलान होना है. जानकारों का मानना है कि यह समझौता न सिर्फ मिडिल ईस्ट में शांति की दिशा में एक अहम कदम है, बल्कि ट्रंप की वैश्विक छवि को भी मजबूत करने का साधन बन सकता है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप की टीम पिछले कुछ दिनों से नोबेल के लिए पर्दे के पीछे लॉबिंग कर रही है.

पहले भी हो चुकी है नोबेल में ट्रंप की चर्चा

ट्रंप अपने कार्यकाल में कई बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित हो चुके हैं, हालांकि अब तक उन्हें यह सम्मान नहीं मिला. वह दावा करते रहे हैं कि उन्होंने आठ बड़े संघर्षों को सुलझाया, जिसमें भारत-पाकिस्तान तनाव भी शामिल है. हालांकि भारत ने इस दावे को हर बार सख्ती से खारिज किया है.

समझौते में क्या-क्या है खास

  • बंधकों की जल्द रिहाई (जिंदा और मृत दोनों)
  • इजरायली सैनिकों की ‘येलो लाइन’ तक वापसी
  • गाजा में युद्धविराम लागू करने का आश्वासन
  • कैदियों और बंधकों का अदला-बदली समझौता
  • ट्रंप और गारंटर देशों की निगरानी में लागू होगा सीजफायर

यह समझौता गाजा में पिछले दो वर्षों से जारी खून-खराबे को रोकने की दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है. हालांकि इसे लागू करना आसान नहीं होगा. हमास ने ट्रंप और गारंटर देशों से मांग की है कि वे इजरायल से समझौते का पूरा पालन करवाएं.