अमेरिकी चुनाव को लेकर चीनी निर्यातकों में खलबली

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को लेकर चीन में चिंता की लहर फैली हुई है.

विदेश Deutsche Welle|
अमेरिकी चुनाव को लेकर चीनी निर्यातकों में खलबली
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को लेकर चीन में चिंता की लहर फैली हुई है. वहां से सामान निर्यात करने वाले उद्योग डरे हुए हैं और भविष्य की योजनाएं बना रहे हैं.अगर अगले महीने होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डॉनल्ड ट्रंप जीतते हैं, तो माइक सागन की खिलौने बनाने वाली कंपनी एक साल के भीतर चीन से सप्लाई का आधा हिस्सा हटा लेगी.

खेल का सामान और उपकरण बनाने वाली किडक्राफ्ट ने पहले ही 20 फीसदी उत्पादन चीन से वियतनाम, भारत और अन्य जगहों पर स्थानांतरित कर दिया है. ट्रंप ने जुलाई 2018 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान चीनी उत्पादों पर 7.5 फीसदी से 25 फीसदी तक टैक्स लगा दिया था. अब ट्रंप चीन पर 60 फीसदी का टैक्स लगाने की धमकी दे रहे हैं, जिसे सागन ने "कठोर" कहा है.

सागन को उम्मीद है कि कमला हैरिस कम आक्रामक होंगी, लेकिन चीन से व्यापार में मुकाबला करना जारी रखेंगी. किडक्राफ्ट में सप्लाई चेन विभाग के उपाध्यक्ष सागन कहते हैं, "सवाल यह है कि यह कितना मुश्किल होगा, अत्यधिक मुश्किल या सिर्फ मुश्किल?"

ज्यादातर निर्यातक चिंतित

टैरिफ की यह धमकी चीन के औद्योगिक ढांचे को हिला रही है, जो हर साल अमेरिका को 400 अरब डॉलर से अधिक का सामान बेचता है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने 27 चीनी निर्यातकों से बात की, जिनमें से 12 ने कहा कि अगर ट्रंप राष्ट्रपति बने, तो वे स्थानांतरण तेज करेंगे. चार अन्य ने कहा कि अगर ट्रंप ने टैरिफ बढ़ाया, तो वे विदेशी कारखाने खोलेंगे. बाकी 11 के पास कोई खास योजना नही�हले सिद्धिविनायक मंदिर पहुंचीं Deepika Padukone, गणपति के दर्शन कर लिया आशीर्वाद">83 रिलीज से पहले सिद्धिविनायक मंदिर पहुंचीं Deepika Padukone, गणपति के दर्शन कर लिया आशीर्वाद

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अमेरिकी चुनाव को लेकर चीनी निर्यातकों में खलबली

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को लेकर चीन में चिंता की लहर फैली हुई है.

विदेश Deutsche Welle|
अमेरिकी चुनाव को लेकर चीनी निर्यातकों में खलबली
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को लेकर चीन में चिंता की लहर फैली हुई है. वहां से सामान निर्यात करने वाले उद्योग डरे हुए हैं और भविष्य की योजनाएं बना रहे हैं.अगर अगले महीने होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डॉनल्ड ट्रंप जीतते हैं, तो माइक सागन की खिलौने बनाने वाली कंपनी एक साल के भीतर चीन से सप्लाई का आधा हिस्सा हटा लेगी.

खेल का सामान और उपकरण बनाने वाली किडक्राफ्ट ने पहले ही 20 फीसदी उत्पादन चीन से वियतनाम, भारत और अन्य जगहों पर स्थानांतरित कर दिया है. ट्रंप ने जुलाई 2018 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान चीनी उत्पादों पर 7.5 फीसदी से 25 फीसदी तक टैक्स लगा दिया था. अब ट्रंप चीन पर 60 फीसदी का टैक्स लगाने की धमकी दे रहे हैं, जिसे सागन ने "कठोर" कहा है.

सागन को उम्मीद है कि कमला हैरिस कम आक्रामक होंगी, लेकिन चीन से व्यापार में मुकाबला करना जारी रखेंगी. किडक्राफ्ट में सप्लाई चेन विभाग के उपाध्यक्ष सागन कहते हैं, "सवाल यह है कि यह कितना मुश्किल होगा, अत्यधिक मुश्किल या सिर्फ मुश्किल?"

ज्यादातर निर्यातक चिंतित

टैरिफ की यह धमकी चीन के औद्योगिक ढांचे को हिला रही है, जो हर साल अमेरिका को 400 अरब डॉलर से अधिक का सामान बेचता है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने 27 चीनी निर्यातकों से बात की, जिनमें से 12 ने कहा कि अगर ट्रंप राष्ट्रपति बने, तो वे स्थानांतरण तेज करेंगे. चार अन्य ने कहा कि अगर ट्रंप ने टैरिफ बढ़ाया, तो वे विदेशी कारखाने खोलेंगे. बाकी 11 के पास कोई खास योजना नहीं थी, लेकिन उन्हें अमेरिकी बाजार तक पहुंच खोने का डर था.

उत्पादकों का मानना है कि ऊंचे टैक्स चीन की सप्लाई चेन को प्रभावित करेंगे और चीनी मुनाफे को कम करेंगे, जिससे नौकरियों और निवेश पर असर पड़ेगा. व्यापार युद्ध उत्पादन लागत और अमेरिकी उपभोक्ता कीमतों को बढ़ा सकता है, भले ही कारखाने कहीं और स्थानांतरित हों.

अमेरिकी चुनाव के परिणाम का उनकी अर्थव्यवस्था, व्यापार और अमेरिका से कूटनीतिक संबंधों पर क्या असर पड़ेगा, इस पर चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कोई टिप्पणी नहीं की.

कहां जाएंगे निर्यातक

किडक्राफ्ट के सागन ने कहा कि चीन के बाहर उनके उत्पादन की लागत लगभग 10 फीसदी अधिक है और ज्यादा भी बढ़ सकती है लेकिन गुणवत्ता का मुद्दा बड़ा है. अगर हैरिस जीतती हैं, तो स्थानांतरण धीमी गति से होगा ताकि जोखिम कम हो. सागन ने कहा, "शुरुआत में गुणवत्ता सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि सप्लाई चेन को स्थापित करने और सही लोगों को खोजने में वक्त लगता है"

2018 में जब ट्रंप ने चीनी उत्पादों पर टैक्स लगाया था तो दक्षिण पूर्व एशिया को फायदा हुआ था, जो अमेरिकी उत्पादों के लिए असेंबली का मुख्य केंद्र बन गया. हालांकि, इस टैक्स से चीनी वृद्धि को अधिक नुकसान नहीं हुआ. लेकिन अब ट्रंप के व्यापार युद्ध से कई चीनी निर्यातकों के लिए समस्या खड़ी हो सकती है, जिनका मुनाफा कमजोर होती चीनी अर्थव्यवस्था के कारण भारी दबाव में है.

ग्वांग्जू स्थित लियांगशेंग के प्रमुख जेंग जाओलियांग ने कहा, "अगर 60 फीसदी टैरिफ लगता है, तो इसे कोई सहन नहीं कर सकता."

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि 60 फीसदी का टैरिफ 2025 के मध्य तक लागू हो सकता है, जिससे चीन की वृद्धि दर 0.4-0.7 प्रतिशत तक घट सकती है. बीजिंग इसे प्रोत्साहन योजनाओं, निर्यात नियंत्रण और कमजोर मुद्रा के माध्यम से कम कर सकता है. लेकिन इन कदमों के जोखिम भी हैं जैसे पूंजी का पलायन, कर्ज और व्यापार युद्ध में तेजी.

बदलाव तो करने होंगे

लैरी स्लोवेन 1970 के दशक से एशिया भर में अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए उत्पादों की सोर्सिंग और निर्माण कर रहे हैं. वह कहते हैं, "अगर बीजिंग कारखानों को रियायतें देने की योजना बना रहा है, तो टैरिफ और बढ़ते जाएंगे. अगर आपने खुद को नहीं फैलाया, तो आप खतरे में हैं."

इसलिए, लगभग सभी निर्यातकों को उम्मीद है कि अगर ट्रंप जीतते हैं तो वह अपनी स्थिति में नरमी लाएंगे. चोंगकिंग हायबेस्ट टूल्स ग्रुप की कार्यकारी यांग कियोंग, जो हैंड-ड्रिल, एयर नेलर्स और स्टेपलर बनाती हैं, ने कहा कि अगर ट्रंप वापस आते हैं तो उनकी कंपनी वियतनाम में अपने कारखाने बढ़ाएगी, लेकिन अगर हैरिस राष्ट्रपति बनीं तो वे वहीं रहेंगी.

कैपिटल इकोनॉमिक्स के प्रमुख एशिया अर्थशास्त्री मार्क विलियम्स ने कहा कि ट्रंप का दूसरा कार्यकाल चीन की वृद्धि दर को कुछ समय के लिए कमजोर कर सकता है क्योंकि यह उस वैश्विक आर्थिक व्यवस्था को चुनौती देगा, जिसने चीन को समृद्ध बनाया है. लेकिन इससे अमेरिका के यूरोप से पूर्वी एशिया तक के सहयोगियों के गठबंधन को तोड़ने का जोखिम भी है, जो ट्रंप को लेकर बहुत खुश नहीं हैं.

विलियम्स ने कहा, "अगर हैरिस सहयोगियों को साथ रखती हैं, तो चीन मध्यम अवधि में आर्थिक रूप से और अधिक सिकुड़ सकता है."

वीके/सीके (रॉयटर्स, एएफपी)

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