बच्चों में एचआईवी को खत्म करने का लक्ष्य अभी बहुत दूर, जरूरी है कुछ प्रतिबद्धताओं को पूरा करना
प्रतीकात्मक तस्वीर, (फोटो क्रेडिट: PIXABAY)

डरबन/ केप टाउन, 13 जून : (द कन्वरसेशन) संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में विश्व नेताओं ने हाल में एड्स को समाप्त करने की अपनी प्रतिबद्धता पर फिर से जोर दिया है. यह नया चरण भविष्य के लिए उम्मीदें जगाता है बशर्ते जताई गई प्रतिबद्धताएं पूरी की जाएं. स्वीकृत राजनीतिक घोषणा और उसकी अनुशंसाएं मां से बच्चे में एचआईवी का संक्रमण और पीडियाट्रिक एड्स को समाप्त करने की रणनीतियों की पेशकश करती हैं. इनमें एचआईवी से ग्रसित किशोरों को जिन भेदभाव का सामना करना पड़ता है उससे निपटने की बातें भी शामिल हैं. प्रतिबद्धताओं में 2023 तक एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंशी वायरस) से ग्रसित सभी बच्चों में से वायरल लोड (संक्रमित व्यक्ति के खून में मौजूद वायरस की मात्रा) को 75 प्रतिशत तक कम करने का अंतरिम लक्ष्य भी शामिल किया गया है.

एचआईवी से ग्रस्त बच्चों का पता लगाना और उनकी जांच करने की रणनीतियों एवं उन्नत उपकरणों पर ज्यादा जोर डालना स्वागत योग्य कदम है. इनमें देखभाल केंद्र पर नवजात शिशुओं की जल्द से जल्द नैदानिक जांच, परिवार की जांच और आत्म परीक्षण शामिल है जिससे बड़े बच्चों एवं किशोरों का पता चल सके जो इलाज नहीं करवा रहे हैं. इतिहास देखा जाए तो बच्चे एचआईवी से प्रभावित सबसे ज्यादा नजरअंदाज किए जाने वाले समूहों में शामिल हैं. 2020 के लिए रखे गए बाल चिकित्सा लक्ष्य काफी हद तक पूरे नहीं किए गए. उदाहरण के लिए, बच्चों के लिए 2020 तक एचआईवी उपचार कवरेज दर 95 प्रतिशत था. लेकिन 2019 तक महज 53 प्रतिशत बच्चे इलाज करवा रहे थे. 2020 में, 1,50,000 बच्चों के दुनिया भर में एचआईवी की चपेट में आने का अनुमान है. लक्ष्य संक्रमण के मामलों को 20,000 तक लाने का था. यह भी पढ़ें : Corona Vaccine: स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने कहा – राज्‍यों के पास एक करोड़ 53 लाख से अधिक वैक्‍सीन अब भी उपलब्‍ध

इन लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाना वैश्विक विफलता है. स्थिति को और बुरा बना दिया कोविड-19 वैश्विक महामारी ने, जिसके चलते 2020 में बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए एचआईवी संबंधी सेवाएं बाधित हो गईं. उप सहारा अफ्रीका जहां एचआईवी से ग्रस्त 90 प्रतिशत बच्चे हैं, वहां बच्चों एवं किशोरों के लिए इन लक्ष्यों को हासिल करने में विफलता का अर्थ है कि संक्रमण के नये मामले लगातार बढ़ते रहेंगे और एआईवी संबंधित मौतें आने वाले कई दशकों तक एक भयावह सच्चाई के रूप में सामने आती रह सकती है. संयुक्त राष्ट्र की जून 2021 में हुई उच्च स्तरीय बैठक पीडियाट्रिक (बाल चिकित्सा) एचआईवी कार्ययोजना को वापस रास्ते पर लाने का एक अवसर लेकर आई. नयी राजनीतिक घोषणा करीब 160 देशों से सदस्य राष्ट्रों, समुदायों और साझेदारों के साथ विचार-विमर्श कर और एचआईवी आंकड़ों के अत्यधिक विश्लेषण का परिणाम है.

2021 की राजनीतिक घोषणा के अनुरूप, इस बात पर जोर दिया जाता है कि राष्ट्रीय सरकारें अपनी राष्ट्रीय रणनीतियों की समीक्षा करें और इन प्रमुख पीडियाट्रिक एचआईवी मुद्दों से निपटने के लिए संसाधन उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता जताएं. ये मुद्दे हैं : मां से बच्चे में संक्रमण को फैलने से रोकना, बच्चों में एचआईवी की जांच एवं उपचार और ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) एवं एचआईवी से बचाव तथा इनका उपचार. ऊर्ध्वाधर संक्रमण (वर्टिकल ट्रांसमिशन) की रोकथाम मां से बच्चे में एचआईवी के संक्रमण को रोकने संबंधी कार्यक्रमों को बढ़ाया गया है. लेकिन यह संचरण कई अफ्रीकी देशों में बढ़ रहा है. इसी तरह की दूसरी चिंता की वजह है कि एचआईवी से ग्रसित गर्भवती महिलाओं के लिए एंटीरेट्रोवायरल (रोटा वायरस रोधी) थैरेपी कवरेज दक्षिण अफ्रीका के मुकाबले नाइजीरिया और अंगोला जैसे पश्चिमी एवं मध्य अफ्रीकी देशों में काफी कम (50 प्रतिशत से भी कम) है. 2017 में, एचआईवी से ग्रस्त मांओं से जन्मे पांच में से एक बच्चा जन्म के दौरान या स्तनपान के दौरान एचआईवी से संक्रमित हो रहा था जो बेहद चिंताजनक स्थिति थी. यह भी पढ़ें : Madhya Pradesh: धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में किन्नर गिरफ्तार

हम गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान व्यापक एचआईवी रोकथाम के लिए बेहतर योजना बनाने, ‘प्री एक्सपोजर प्रोफिलेक्सिस (पीआरईपी) तक पहुंच और अन्य नये बचाव प्रौद्योगिकियों की वकालत करते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, गर्भवती महिलाओं की गर्भावस्था के दौरान कई बार एचआईवी की जांच होनी चाहिए और जो महिलाएं संक्रमित पाई जाएं उनकी फौरन एंटीरेट्रोवायरल थैरेपी शुरू की जानी चाहिए. पीडियाट्रिक एचआईवी जांच एवं इलाज

वर्ष 2020 में, 74,000 बच्चे पूर्वी एवं दक्षिण अफ्रीका में संक्रमित हुए थे. और एड्स के कारण 15 साल से कम 46,000 बच्चों की मौत हुई थी. यह अत्यंत जरूरी है कि एचआईवी के संपर्क में आए सभी नवजात शिशुओं की चार से छह हफ्ते की उम्र में जांच की जाए. जो भी एचआईवी से संक्रमित हों उनका इलाज शुरू किया जाए क्योंकि बिना इलाज के 50 प्रतिशत बच्चे दो साल की कम उम्र के भीतर मर जाएंगे.

बच्चों में टीबी और एचआईवी

एचआईवी से ग्रस्त बच्चों में बीमारी और मौत का बड़ा कारण है टीबी. 15 साल से कम उम्र के बच्चे दुनिया भर में टीबी से ग्रस्त एक करोड़ मामलों का 12 प्रतिशत हैं. टीबी रोकथाम थैरेपी खासकर कम उम्र के बच्चों में प्रमाणित एवं प्रभावी है. लेकिन पांच साल से कम उम्र के 13 लाख बच्चों में केवल 27 प्रतिशत को 2018 में यह थैरेपी मिली. एचआईवी से पीड़ित बच्चों में टीबी बहुत खतरनाक संक्रमण है. जिनका प्रतिरक्षा तंत्र बहुत कमजोर होता है उनको टीबी होने का पांच गुना ज्यादा खतरा होता है. कोविड-19 की आगामी लहरों के चलते पीडियाट्रिक एचआईवी संबंधी सेवाओं को होने वाली समस्याओं के मद्देनजर, नयी प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने के लिए ऊर्धवाधर संक्रमण को रोकने और पीडियाट्रिक जांच एवं उपचार सेवाओं को प्राथमिकता देने की जरूरत है. इन प्रतिबद्धताओं को सरकार के साथ मजबूत सामुदायिक नीत प्रतिक्रियाओं के माध्यम से, एचआईवी और एड्स के लिए घरेलू एवं दानकर्ता वित्तपोषण को बढ़ाने खासतौर पर कम आय वाले देशों के लिए और पीडियाट्रिक एचआईवी एवं टीबी संबंधी सेवाओं के लिए संसाधन जुटाकर पूरा किया जा सकता है.