सऊदी अरब ने एक विवादित गैस क्षेत्र पर कुवैत के साथ अपना "पू्र्ण अधिकार" जताया है. इसके साथ ही उसने इस इलाके पर ईरान के दावे को खारिज किया है. इस विवादित क्षेत्र में करीब 220 अरब घन मीटर गैस का भंडार है.ईरान की आपत्तियों के बावजूद पिछले साल कुवैत और सऊदी अरब ने इस क्षेत्र को विकसित करने के लिए समझौते किया था. दूसरी तरफ ईरान ने इस सौदे को "अवैध" करार दिया था. सऊदी अरब की सरकारी समाचार एजेंसी ने विदेश मंत्रालय के एक स्रोत के हवाले से कहा है कि यह क्षेत्र, "सऊदी अरब साम्राज्य और कुवैत राज्य के बीच संयुक्त स्वामित्व के अंतर्गत आता है, और केवल उनके पास ही पूर्ण अधिकार हैं."
इस क्षेत्र को ईरान में 'अराश' और कुवैत और सऊदी अरब में 'डोर्रा' के नाम से जाना जाता है. सऊदी ने यह बयान कुवैत द्वारा ईरान को अपनी समुद्री सीमाओं पर बातचीत में भाग लेने के लिए दोबारा आमंत्रित करने के एक दिन बाद जारी किया.
ड्रिलिंग की तैयारी में ईरान
इस विवादित क्षेत्र ले लगभग 220 अरब घन मीटर गैस निकाली जा सकती है. यह 1960 के दशक का है. नेशनल ईरानी ऑयल कंपनी के प्रबंध निदेशक मोहसिन खोजस्ते मेहर ने पिछले सप्ताह कहा था कि "संयुक्त अराश तेल क्षेत्र में ड्रिलिंग शुरू करने की पूरी तैयारी है." ईरान की सरकारी मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, "इस क्षेत्र में विकास योजना के कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय ईरानी तेल कंपनी के निदेशक मंडल को काफी संसाधन आवंटित किए गए हैं."भारत से जुड़ी तापी गैस पाइपलाइन पर नियंत्रण चाहता है हक्कानी गुट
ईरान और कुवैत के बीच एक और विवादित समुद्री सीमा क्षेत्र है, जो प्राकृतिक गैस से समृद्ध है. इस पर भी कई सालों से बातचीत जारी है. हालांकि इस बातचीत से अब तक विवाद सुलझाने में कोई सफलता नहीं मिल सकी है.
सऊदी अरब भी इस विवाद का हिस्सा है क्योंकि वह इस क्षेत्र के समुद्री गैस और तेल संसाधनों को कुवैत के साथ साझा करता है. 2001 में क्षेत्र में ईरान ने इस क्षेत्र पर ड्रिलिंग की जिसने कुवैत और सऊदी अरब को एक समुद्री सीमा समझौते पर सहमत होने के लिए प्रेरित किया. इस समझौते में यह निर्धारित किया गया था कि वे संयुक्त रूप से तटवर्ती क्षेत्र का विकसित करेंगे.
एचवी/एनआर (एएफपी)