Pakistan: पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने एक अहम बिल पास किया है, जिसे प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने न्यायिक व्यवस्था में सुधार के लिए एक क्रांतिकारी कदम बताया है. यह 26वां संविधान संशोधन बिल है, जो मुख्य न्यायाधीश के कार्यकाल को तीन साल तक सीमित करता है. सोमवार को नेशनल असेंबली में इस बिल को पारित किया गया, जिसमें 336 सदस्यों वाली असेंबली में 225 वोट इसके समर्थन में पड़े. इस बिल को पास करने के लिए 224 वोटों की आवश्यकता थी. रविवार को कैबिनेट ने इस विवादास्पद बिल के मसौदे को मंजूरी दी थी. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कोएलिशन पार्टनर्स के बीच आम सहमति बनने के बाद इसे संसद में प्रस्तुत किया.
कैबिनेट की बैठक से पहले, प्रधानमंत्री शहबाज ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से मुलाकात की और इस संशोधन पर विस्तृत चर्चा की.
बिल के महत्वपूर्ण बिंदु:
बिल में एक 12 सदस्यीय आयोग का गठन करने का प्रस्ताव है, जो मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करेगा. इस आयोग में चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम जज, दो सीनेटर और दो नेशनल असेंबली के सदस्य होंगे, जिसमें से एक विपक्ष से होगा.
PTI का विरोध:
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के नेता अली जफर ने सीनेट में इस बिल का विरोध किया. उन्होंने आरोप लगाया कि PTI के सांसदों पर बिल के समर्थन में वोट डालने का दबाव डाला जा रहा है. उनकी पार्टी के सदस्य इस डर से अनुपस्थित थे कि उन्हें वोट देने के लिए जबरन उठाया जा सकता है. PTI ने इस विधेयक पर वोटिंग प्रक्रिया का बहिष्कार किया और उनके अध्यक्ष इमरान खान ने अधिक परामर्श की मांग की.
हालांकि, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी ने कहा कि चाहे PTI वोट करे या न करे, सरकार इस संशोधन को आगे बढ़ाएगी. उन्होंने कहा, "हमने जितना इंतजार कर सकते थे, किया, और अब इस काम को किसी भी हाल में पूरा करेंगे." अब यह बिल संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा.