पत्रकारों के लिए कब्रिस्तान बना पाकिस्तान, इस्लामाबाद में वरिष्ठ पत्रकार को मारी गोली
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit : PTI )

इस्लामाबाद, 22 अप्रैल : पाकिस्तान (Pakistan) में पत्रकारों पर आए दिन हमले की घटनाएं देखने को मिलती रहती हैं. यहां पत्रकारों पर लक्षित हमले, अपहरण, हत्याएं और वरिष्ठ लेखकों पर हत्या के प्रयास बेरोकटोक जारी हैं. पाकिस्तान में इसी तरह की एक ओर घटना सामने आई है. राजधानी इस्लामाबाद (Islamabad) में वरिष्ठ पत्रकार और पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्राधिकरण (Pakistan Electronic Media Authority) के पूर्व अध्यक्ष अबसार आलम को अज्ञात हमलावरों द्वारा गोली मार दी गई. सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक वीडियो संदेश में अबसार आलम को यह बताते हुए देखा जा सकता है कि उन्हें उनके घर के बाहर गोली मार दी गई.

उन्होंने बताया, "मेरी पसलियों में गोली लगी है. हालांकि मैंने उम्मीद नहीं छोड़ी है. जिन लोगों ने यह किया है, मैं उनसे कहना चाहूंगा कि मैं इन हरकतों से डरने वाला नहीं हूं." फिलहाल वह खतरे से बाहर हैं. इस घटना के बाद आलम को तुरंत अस्पताल ले जाया गया और फिलहाल उनकी हालत स्थिर बनी हुई है. इस घटना के बाद इस्लामाबाद पुलिस ने तत्काल संज्ञान लिया और राजधानी पुलिस प्रमुख ने हमले की जांच के लिए एसएसपी (जांच) की कमान में एक विशेष टीम का गठन किया है. संघीय आंतरिक मंत्री शेख रशीद ने भी हमले का संज्ञान लिया है और इस्लामाबाद आईजी को तत्काल प्रभाव से मामले की जांच करने का आदेश दिया है. यह भी पढ़ें : Pakistan: क्वेटा के लक्जरी होटल में जोरदार बम धमाके में 4 की मौत, चीनी राजदूत के निशाने पर होने की आशंका, इमरान खान के मंत्री ने भारत पर मढ़ा आरोप

उन्होंने कहा, "गोलीबारी में शामिल लोगों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाना चाहिए." मंत्री ने कहा, "अबसार आलम पर गोली चलाने वाले कानून के दायरे से नहीं बच सकेंगे. बहुत जल्द वे कानून के दायरे में होंगे." आलम पर हुए जानलेवा हमले से पत्रकारों के बीच नाराजगी है और इस घटनाक्रम को क्रूर बताते हुए विपक्षी राजनेताओं ने भी इस पर बयान जारी किए हैं. प्रमुख विपक्षी दल पीएमएल-एन की उपाध्यक्ष मरियम नवाज ने हमले की निंदा की है. उन्होंने कहा कि असंतोष की आवाज को दबाना एक तरह से कैंसर जैसा हमारे देश में फैल गया है. उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि अबसार आलम साहब क्रूर और बर्बर अपराध के ताजा शिकार बने हैं. अल्लाह जल्द ही उनके और देश के घावों को भरें.

वहीं पाकिस्तान फेडरल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (Pakistan Federal Union of Journalists) ने भी देश में बढ़ रहे अपराध और आतंकवाद के बीच पत्रकारों पर होने वाले हमलों के लिए सरकार की आलोचना की है. इसने कहा है कि इस तरह की घटनाएं पत्रकार समुदाय को अराजकता के खिलाफ और देश में प्रेस की स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाने से नहीं रोक सकती हैं. पीएफयूजे ने मांग की है कि आलम पर हमले और अन्य पत्रकारों के खिलाफ होने वाले अपराधों की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग का गठन किया जाए. पाकिस्तान में मीडियाकर्मी आए दिन धमकी, अपहरण, यातना, गिरफ्तारी और हत्याओं का निशाना बनते रहते हैं. 2020 में देश में कम से कम 10 पत्रकारों की हत्या कर दी गई थी, जबकि कई अन्य को धमकी दी गई, उनका अपहरण किया गया और प्रताड़ित किया गया. यह भी पढ़ें : Pakistan: पाकिस्तान में फेसबुक, वॉट्सऐप, ट्विटर, टिकटॉक समेत कई सोशल मीडिया ऐप्स पर अस्थायी बैन

यहां विभिन्न आरोप लगाकर पत्रकारों को गिरफ्तार करने की घटनाएं भी देखने को मिलती रहती हैं. काउंसिल ऑफ पाकिस्तान न्यूजपेपर एडिटर्स (सीपीएनई) मीडिया फ्रीडम रिपोर्ट 2020 के अनुसार, "पत्रकारों को प्रताड़ित करने और मारने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है और ऐसा लगता है कि ऐसे व्यक्ति निष्पक्षता का आनंद लेते हैं." रिपोर्ट में कहा गया कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि देश की कानूनी प्रणाली पत्रकारों की सुरक्षा और उन्हें न्याय दिलाने में कामयाब नहीं हो पाई है और यह बेकार हो गई है.