Pulwama Terror Attack: पुलवामा (Pulwama) में सीआरपीएफ (CRPF) के काफिले पर हुए आतंकी हमले को लेकर देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. हर कोई इस हमले की निंदा कर रहा है और पाकिस्तान (Pakistan) के खिलाफ गुस्सा जाहिर कर रहा है. अब पाकिस्तान के लिए इससे ज्यादा शर्म की बात और क्या हो सकती है कि वहां के ज्यादातर बैंक इमरान सरकार (Imran Government) के खिलाफ हो गए हैं. फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) (Financial Action Task Force) द्वारा पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर न किए जाने पर अब पाकिस्तान के अधिकांश बैंक सरकार का खुलकर विरोध कर रहे हैं.
बैंकों के संगठन ने सरकार से यह मांग की है कि पाकिस्तान सरकार आतंकवादियों को मदद देना बंद कर दे, वरना आने वाले दिनों में वो आर्थिक तौर पर पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा. उनका कहना है कि अगर इमरान सरकार फौरन आतंकियों की आर्थिक सहायता करने और हवाला कारोबार पर रोक नहीं लगाती है तो उन्हें डर है कि वे पूरी तरह से डूब जाएंगे.
बैंकों का कहना है कि अगर सरकार समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाती है तो इससे मुल्क में होने वाले विदेशी निवेश पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है. आने वाले समय में अगर पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से निकालकर ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है तो इससे पाकिस्तान में विदेशी निवेश बिल्कुल शून्य हो जाएगा, इसलिए पाकिस्तान को एफएटीएफ के निर्देशों को अमल में लाते हुए काम करना चाहिए. यह भी पढ़ें: पाकिस्तान के पीएम इमरान खान को प्रधानमंत्री मोदी की ललकार, कहा- पठान के बेटे हैं तो करें साबित
दरअसल, पाकिस्तान में चल रहे कई आतंकी संगठनों पर लगाम लगाने में नाकाम होने पर एफएटीएफ ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि अगर वो अक्टूबर 2019 तक उसकी 27 मांगों पर काम नहीं करता है तो उसे ग्रे लिस्ट से निकालकर ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा, जिससे पाकिस्तान पूरी तरह से कंगाल हो सकता है.
गौरतलब है कि एफएटीएफ ने 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है. बता दें कि इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे.