14 मई की ताजा खबरें और अपडेट
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

पहलगाम हमले के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. दोनों देशों के बीच संक्षिप्त सैन्य झड़प भी हो चुकी है. अब दोनों ही देशों ने एक-दूसरे के राजनयिक को भी देश से निकालने के आदेश जारी किए हैं.ट्रंप ने सऊदी अरब से की डील, बताया, 'सबसे बड़ा हथियार सौदा'

भारत और पाकिस्तान दोनों ने एक दूसरे के राजनयिकों को निकाला

फ्रांस के परमाणु हथियारों को यूरोप में तैनात करने को तैयार हैं माक्रों

जेलेंस्की बोले, "तुर्की में करूंगा पुतिन का इंतजार"

इन शरणार्थियों को तीन महीने के अंदर शरण दे रहे हैं ट्रंप

अमेरिका के डलस इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर जब 59 शरणार्थियों से भरा एक विमान सोमवार को उतरा तो अमेरिका में एक नई बहस छिड़ गई. ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से जहां अमेरिका ने शरणार्थियों को लेकर कानूनों में कड़ाई की है लेकिन दक्षिण अफ्रीका से आए 59 शरणार्थियों को ट्रंप ने जल्द से जल्द अमेरिका में शरण दे दी. ये सभी गोरे लोग हैं. इनमें बच्चों वाले परिवार भी शामिल हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने खुद दखल देकर इन लोगों के अमेरिका आने की प्रक्रिया को तेज किया था.

फरवरी में डॉनल्ड ट्रंप ने एक नए कार्यक्रम की शुरुआत की थी. इसके तहत दक्षिण अफ्रीका के उन लोगों को अमेरिका में शरण दी जानी थी, जो वहां पर नस्लीय नीतियों का शिकार बने हैं. एक तरफ हजारों शरणार्थी अमेरिका की यात्रा की अनुमति पाने के लिए वर्षों का इंतजार करते हैं. वहीं इन दक्षिणी अफ्रीकी लोगों को तीन महीने के अंदर ही अमेरिका ने शरण दे दी गई.

कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने अमेरिका के इस कदम का विरोध किया है. उनका कहना है कि कई काले शरणार्थियों की स्थिति, गोरे शरणार्थियों के मुकाबले कहीं ज्यादा खराब है और अमेरिकी प्रशासन नस्लीय राजनीति कर रहा है.

सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि वे इन लोगों को शरण दे रहे हैं क्योंकि 'एक नरसंहार जारी है.' उन्होंने यह भी कहा था कि रंगभेद के बाद के दौर के दक्षिण अफ्रीका में, गोरे किसान मारे जा रहे हैं. ट्रंप का इशारा दक्षिण अफ्रीका के एक नए कानून की ओर था, जिसके तहत निजी संपत्ति की जब्ती की जा सकती है और इसके बदले सरकार हर्जाना देती है. दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने जनवरी में इस कानून पर हस्ताक्षर किए थे.

जेलेंस्की बोले, "तुर्की में करूंगा पुतिन का इंतजार"

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने मंगलवार को कहा है कि वो तुर्की की राजधानी अंकारा में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का इंतजार करेंगे. उन्होंने कहा कि वे यूक्रेन में जारी युद्ध के बारे में बातचीत में तभी शामिल होंगे, जब बैठक में सीधे बात करने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मौजूद हों. लेकिन रूस की ओर से अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि यूक्रेन युद्ध के बारे में तुर्की में होने वाले बातचीत में व्लादिमीर पुतिन शामिल होंगे या नहीं.

जेलेंस्की ने कहा है कि वो बुधवार या गुरुवार को तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोआन से अंकारा में मुलाकात करेंगे और वो अंकारा या इस्तांबुल में पुतिन से मुलाकात के लिए भी तैयार हैं.

यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध को खत्म करने के लिए इस्तांबुल में प्रस्तावित बातचीत अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के प्रयासों का नतीजा है. उन्होंने कहा है कि वे अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो को इस बातचीत के लिए भेजेंगे. ट्रंप ने उम्मीद जताई कि उन्हें इस बातचीत से काफी अच्छे नतीजे निकलने की उम्मीद है. यूक्रेन और रूस के बीच पिछले तीन वर्षों से भी ज्यादा समय से युद्ध जारी है. यह युद्ध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यूरोप में हुआ सबसे खतरनाक संघर्ष है.

पाकिस्तान ने भारत के बीएसएफ जवान को लौटाया

पाकिस्तान ने भारतीय सीमा सुरक्षा बल के जवान पूर्णम कुमार शॉ को भारत को सौंप दिया है. ये जवान 23 अप्रैल, 2025 से पाकिस्तानी रेंजरों की हिरासत में था. बीएसएफ ने 14 मई को प्रेस रिलीज जारी कर इस बारे में जानकारी दी है. इसमें बताया गया है कि बुधवार सुबह साढ़े 10 बजे कॉन्स्टेबल पूर्णम कुमार शॉ को अटारी-वाघा बॉर्डर पर पाकिस्तान से वापस लिया गया.

पूर्णम 23 अप्रैल को फिरोजपुर सेक्टर में ड्यूटी के दौरान अनजाने में पाकिस्तानी क्षेत्र में चले गए थे. वहां पाकिस्तानी रेंजरों ने उन्हें हिरासत में ले लिया था. बीएसएफ के मुताबिक, उन्होंने पाकिस्तानी रेंजरों के साथ नियमित फ्लैग मीटिंगों और संचार के अन्य माध्यमों के जरिए लगातार प्रयास किए, जिसकी बदौलत बीएसएफ जवान की वापसी संभव हो सकी.

यूरोप में अन्य जगहों पर फ्रांस के परमाणु हथियार तैनात करने को राजी माक्रों

फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों यूरोप में अन्य जगहों पर फ्रांस के परमाणु हथियारों की तैनाती के सवाल पर बात करने को तैयार हैं. यह बात उन्होंने मंगलवार को फ्रेंच ब्रॉडकास्टर टीएफ1 के साथ एक इंटरव्यू में कही. माक्रों ने बताया कि यूरोप में पहले से ही अमेरिका के परमाणु शक्ति संपन्न एयरक्राफ्ट तैनात हैं. उन्होंने कहा, "अमेरिका के पास बेल्जियम, जर्मनी, इटली और तुर्की में ऐसे प्लेन हैं, जिनपर ये बम हैं. हम इस चर्चा को आगे बढ़ा सकते हैं. मैं आने वाले हफ्तों और महीनों में इसके फ्रेमवर्क को स्पष्ट करूंगा."

माक्रों की ओर से परमाणु सुरक्षा का दायरा विस्तृत करने के लिए कुछ शर्तें भी रखी गई हैं. फिलहाल, यूरोपीय संघ में फ्रांस अकेला परमाणु शक्ति संपन्न देश है. माक्रों की शर्त है कि फ्रांस अन्य देशों की परमाणु सुरक्षा का खर्च नहीं उठाएगा और इससे फ्रांस की अपनी रक्षा क्षमता पर कोई असर नहीं होना चाहिए. साथ ही इन परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के ऊपर आखिरी नियंत्रण भी फ्रांस के राष्ट्रपति का ही रहना चाहिए.

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2024 तक फ्रांस के पास 280 न्यूक्लियर वॉरहेड्स थे. फ्रांस की सेना के पास यह अधिकार है कि वो इन हथियारों को अपनी पनडुब्बियों से लॉन्च कर सकती है और जेट्स के जरिए आसमान से लक्ष्य पर गिरा सकती है. ब्रिटेन के पास भी परमाणु हथियार हैं. आखिरी जानकारी के मुताबिक करीब 225. लेकिन ब्रिटेन का ट्राइडेंट परमाणु पनडुब्बी कार्यक्रम, अमेरिकी सिस्टम के साथ बहुत गहराई से जुड़ा हुआ है और रखरखाव के लिए भी अमेरिका पर ही निर्भर है. ब्रिटेन के थिंकटैंक चैटम हाउस के मुताबिक ऐसा होने के चलते अक्सर ब्रिटेन के मुक्त रूप से परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर सवाल उठते रहते हैं.

भारत और पाकिस्तान दोनों ने एक दूसरे के राजनयिकों को निकाला

भारत सरकार ने मंगलवार को नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में काम कर रहे एक अधिकारी को निष्कासित कर दिया. पाकिस्तानी राजनयिक को 24 घंटों में भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, भारत में “आधिकारिक स्थिति से अलग गतिविधियां करने” की वजह से उस अधिकारी को “अवांछित व्यक्ति” घोषित कर दिया है.

भारतीय विदेश मंत्रालय के आधिकारिक बयान के मुताबिक, पाकिस्तानी उच्चायोग के ‘चार्जे दफेर’ को इस बारे में एक आपत्तिपत्र भी जारी किया गया है.

इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में काम कर रहे एक अधिकारी को “अवांछित व्यक्ति” घोषित कर दिया है और 24 घंटों के भीतर पाकिस्तान छोड़ने का आदेश दिया है. भारतीय राजनयिक पर भी “आधिकारिक स्थिति से अलग गतिविधियों में शामिल होने” का आरोप लगाया गया है.

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने एक्स पर पोस्ट कर बताया कि भारत के ‘चार्जे दफेर’ को इस फैसले की जानकारी दे दी गई है और आपत्तिपत्र भी जारी कर दिया गया है.

ट्रंप ने सऊदी अरब से की डील, बताया, 'सबसे बड़ा हथियार सौदा'

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप मध्य पूर्व की यात्रा पर हैं. सबसे पहले उन्होंने सऊदी अरब का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने सऊदी अरब को 142 बिलियन डॉलर के हथियार बेचने के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. समझौते के बाद ट्रंप ने कहा कि यह अमेरिका के इतिहास का आज तक का सबसे बड़ा हथियार सौदा है.

सऊदी अरब की राजधानी रियाद में डॉनल्ड ट्रंप, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मिले. मुलाकात के दौरान डॉनल्ड ट्रंप और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद सलमान के बीच करीबी देखने को मिले. पत्रकारों से बातचीत के दौरान डॉनल्ड ट्रंप ने यह भी कहा कि वो मोहम्मद सलमान को बहुत पसंद करते हैं और वो बहुत अच्छे आदमी हैं. ट्रंप ने यह भी कहा कि इसीलिए वो उनके लिए इतना कर रहे हैं.

ट्रंप ने यह भी कहा, "अमेरिका के इतिहास का सबसे बड़ा रक्षा सहयोग समझौता हमारी पार्टनरशिप को मजबूत करने के लिए हमारे दृढ़ निश्चय को दिखाता है." सऊदी अरब के साथ हुए इस रक्षा समझौते में दर्जनों अमेरिकी कंपनियां शामिल हैं. जो सऊदी अरब को हवाई और मिसाइल सुरक्षा, एयरफोर्स और अंतरिक्ष, नौसेना सुरक्षा और कम्युनिकेशन से जुड़ी तकनीकें और हथियार मुहैया कराएंगी.