भारत- पाकिस्तान ने एक-दूसरे को कैदियों की सूची सौंपी, जल्द हो सकती है रिहाई
प्रतीकात्मक तस्वीर (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: भारत (India) और पाकिस्तान (Pakistan) ने मंगलवार को 2008 के एक समझौते के तहत एक-दूसरे की जेलों में बंद कैदियों की सूची सौंपी. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "भारत ने पाकिस्तान को हिरासत में मौजूद 249 पाकिस्तानी कैदियों और 98 मछुआरों की सूची सौंपी है."बयान में कहा गया है, "पाकिस्तान ने अपनी हिरासत में 54 नागरिकों और 483 मछुआरों की सूची सौंपी है, जो कि भारतीय हैं या उन्हें भारतीय माना जा रहा है."ये सूचियां नई दिल्ली और इस्लामाबाद में एक साथ राजनयिकों द्वारा एक-दूसरे को सौंपी गईं.

भारत ने कैदियों, लापता भारतीय रक्षाकर्मियों और मछुआरों को उनकी नौका समेत जल्द से जल्द रिहा करने और स्वदेश लौटाने का भी आग्रह किया है. बयान में कहा गया है, "इस संदर्भ में पाकिस्तान से 17 भारतीय कैदियों और 369 भारतीय मछुआरों को रिहा करने और स्वदेश लौटाने में तेजी लाने को कहा गया है। इनकी नागरिकता की पुष्टि कर ली गई है."बयान के मुताबिक, "बाकी बचे कैदियों और मछुआरों के लिए तुरंत वकील की पहुंच सुलभ कराने की भी मांग की गई है, ताकि उनकी शीघ्र रिहाई और स्वदेश वापसी सुनिश्चित की जा सके."2008 के समझौते के मुताबिक, दोनों देश हर साल एक जनवरी और एक जुलाई को एक-दूसरे देशों की जेलों में कैद कैदियों की सूची का आदान-प्रदान करते हैं. यह भी पढ़े: पाकिस्तान की कोर्ट ने कहा- 1 महीने के अंदर भारतीय नागरिक को वापस भेजो

बयान में कहा गया है कि भारत ने पाकिस्तान से 80 पाकिस्तानी कैदियों के मामले में जल्द जवाब देने को भी कहा है। ये कैदी अपनी सजा पूरी कर चुके हैं और इस्लमाबाद द्वारा नागरिकता की पुष्टि होने पर स्वदेश लौटना चाहते हैं. बयान के मुताबिक, मानवीय मुद्दों को हल करने हेतु आपसी समझ को आगे बढ़ाने के लिए भारत ने संयुक्त न्यायिक समिति और भारतीय चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम पुनर्गठित की है, जो पाकिस्तान का दौरा करेंगी और मानसिक रूप से बीमार कैदियों से मिलेगी. बीमार कैदियों के विवरण उन्हें पहले ही दे दिए गए हैं। मानवीय मुद्दों में विशेष रूप से बुजुर्ग, महिलाएं और मानसिक रूप से बीमार कैदी शामिल हैं. बयान में कहा गया है, "पाकिस्तान से यह भी अनुरोध किया गया है कि वह मछुआरों के प्रतिनिधियों के एक समूह की यात्रा को शीघ्र मंजूरी दे, ताकि भारतीय मछली पकड़ने वाली नौकाओं के स्वेदश लौटने को सुविधाजनक बनाया जा सके."