दुनिया भर में युवाओं के बीच “वन पीस” एनिमे के समुद्री डाकुओं का झंडा विरोध का प्रतीक कैसे बन गया है?पुआल की टोपी पहने यह मुस्कुराती खोपड़ी "वन पीस” नाम के काल्पनिक जापानी एनिमे कार्यक्रम में समुद्री लुटेरों का झंडा है. इस सीरीज में वे अपनी आजादी, दोस्ती और सपनों के लिए लड़ते है.
सितंबर की शुरुआत में जब युवा प्रदर्शनकारियों ने नेपाल की संसद में आग लगाई. तब सबसे ऊपर यह झंडा फहराया गया. जिसके बाद से यह झंडा दुनिया भर की युवा पीढ़ी के लिए बगावत और स्वतंत्रता की पहचान बन गया है.
रिकॉर्ड तोड़ने वाली जापानी मांगा
मांगा और ऐनिमे विशेषज्ञ एंड्रिया हॉर्बिन्स्की के अनुसार, "वन पीस” अब तक की सबसे सफल और लोकप्रिय मांगा सीरीज रही है. जिसको जापानी कलाकार इचिरो ओदा ने 1997 में बनाया था. तब से लेकर अब तक इसके 110 से भी ज्यादा वॉल्यूम प्रकाशित हो चुके हैं और 50 करोड़ से भी अधिक प्रतियां बिक चुकी है. यहां तक कि इसका नाम गिनीज बुक में भी शामिल हैं.
इस कहानी में एक युवा समुद्री कप्तान, लूफी और उसकी टीम, स्ट्रॉ हैट पाइरेट्स, बुरी शक्तियों और तानाशाही के खिलाफ लड़ते हैं.
हॉर्बिन्स्की ने कहा, "लूफी और उसकी टीम स्वतंत्रता से रहने, अपनी पसंद का करने और अपने दिल की आवाज सुनने में विश्वास रखती है. वह दबे-कुचले लोगों की मदद करते हैं और अन्याय के खिलाफ खड़े होते हैं. यही वजह है कि उनका झंडा आज विरोध प्रदर्शनों में युवाओं को प्रेरित करता है.”
बैन से लेकर वायरल तक की कहानी
"वन पीस” का झंडा सबसे पहले इस साल फरवरी में इंडोनेशिया के छात्र प्रदर्शनों में देखा गया था. लेकिन यह देश के स्वतंत्रता दिवस के दिन अधिक चर्चा में आया.
आम तौर पर इस दिन लोग अपने घरों और गाड़ियों पर राष्ट्रीय झंडा लगाते हैं. लेकिन इस साल कई नागरिकों ने "वन पीस” का झंडा लगाया था. जो कि सरकार की नीतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ उनका विरोध जताने का तरीका था. पर जल्द ही यह सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. जिसके बाद सरकार ने "वन पीस” के झंडे को देशद्रोह का प्रतीक घोषित कर दिया. हालांकि, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस की कड़ी निंदा की.
जिसके बाद यह झंडा नेपाल में भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों का प्रतीक बन गया. इन प्रदर्शनों में युवाओं ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहीम चलाई और प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा. हालांकि, इस हिंसक दमन में 72 लोगों की मौत हो गई और 2,100 से ज्यादा लोग घायल हुए.
लेकिन नेपाल के युवाओं की हिम्मत ने फिलीपींस, सर्बिया, केन्या, मोरक्को, पेरू और मेडागास्कर जैसे कई देशों में युवा आंदोलनों को प्रेरित किया.
मेडागास्कर के कवि और युवा प्रदर्शनकारी वर्जिलस स्लैम ने कहा, "नेपाल में जो हुआ उसने हमारी अंदर विश्वास जगा दिया. हमें गर्व है कि यह युवा आंदोलन हमारे नेतृत्व में आगे बढ़ रहा है.” अब मेडागास्कर में विरोध के लिए इस झंडे का स्थानीय रूप इस्तेमाल होता है. जिसमें मुस्कुराती खोपड़ी ने पुआल की टोपी की जगह, वहां की पारंपरिक सात्रोका टोपी पहनी हुई है.
विरोध के लिए पॉप कल्चर का इस्तेमाल
जेन-जी यानी 1996 से 2010 के बीच जन्मे लोग पॉप कल्चर और मीम्स की दुनिया में पले-बढ़े हैं. मांगा विशेषज्ञ एंड्रिया हॉर्बिन्स्की बताती हैं कि पिछले 10-15 सालों में कई बार पॉप कल्चर का इस्तेमाल विरोध, गुस्सा और नाराजगी जताने के लिए हुआ है.
जैसे 2011 में ‘वी फॉर वेंडेट्टा' नाम की फिल्म के ‘गाय फॉक्स मास्क' का इस्तेमाल ऑक्यूपाई वॉल स्ट्रीट प्रोटेस्ट में किया गया था. जिसके बाद 2019 में चिली, बेरूत और हांगकांग में ‘जोकर' फिल्म जैसा मेकअप करके विरोध किया गया था. साथ ही, थाईलैंड, म्यांमार और हांगकांग के विद्रोहों में ‘हंगर गेम्स' के ‘थ्री-फिंगर सैल्यूट' का इस्तेमाल किया गया था.
ऐसे ही, चीन में सोशल मीडिया एक्टिविस्टों ने राष्ट्रपति, शी जिनपिंग की तुलना ‘विनी-द-पूह' से की थी. जिसके बाद पूरे देश में इस टेडी बियर पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
अब ‘वन पीस' का झंडा दुनिया भर में लोकप्रिय हो रहा है. एक्टिविस्ट वर्जिलस स्लैम का मानना है कि यह प्रतीक उम्मीद देता है. वह कहते हैं, "लूफी अच्छाई के लिए लड़ता है और चाहता है कि वह पूरी दुनिया को बेहतर बनाए, चाहे सामने उसके दोस्त हों या दुश्मन.”













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