इस साल हज यात्रा में गर्मी का कहर देखने को मिला. सऊदी अरब के रेगिस्तानी क्षेत्र में स्थित इस्लामी पवित्र स्थलों पर अत्यधिक गर्मी के कारण 1000 से ज़्यादा हज यात्रियों की मौत हो गई. काहिरा के दो अधिकारियों के मुताबिक, मौत होने वालों में से आधे से ज़्यादा हज यात्री मिस्र से थे. मिस्र सरकार ने उन 16 ट्रैवल एजेंसियों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं, जिन्होंने अनधिकृत हज यात्रियों को सऊदी अरब जाने में मदद की थी.
सऊदी अरब ने हज यात्रा के दौरान होने वाली मौतों पर कोई टिप्पणी नहीं की है. हज यात्रा हर मुस्लिम के लिए एक ज़रूरी कर्तव्य है जिसे उन्हें अपने जीवन में एक बार ज़रूर करना होता है.
मिस्र सरकार ने किया खुलासा
मिस्र सरकार ने इस साल के हज में 31 अधिकृत हज यात्रियों की मौत की घोषणा की है जो कि पुरानी बीमारियों से पीड़ित थे. लेकिन उन्होंने अन्य हज यात्रियों की मौत का कोई आंकड़ा नहीं दिया. हालांकि, एक कैबिनेट अधिकारी ने कहा कि कम से कम 630 अन्य मिस्रवासी हज यात्रा के दौरान मारे गए हैं, जिनमें से ज़्यादातर मक्का के अल-मुआइसिम इलाके में स्थित इमरजेंसी कम्प्लेक्स में मर गए. एक मिस्र के राजनयिक ने इस आंकड़े की पुष्टि करते हुए कहा कि ज़्यादातर मृतकों को सऊदी अरब में दफ़ना दिया गया है.
अनधिकृत हज यात्रियों पर कार्रवाई
सऊदी अधिकारियों ने अनधिकृत हज यात्रियों पर सख्त कार्रवाई की और हज़ारों लोगों को देश से बाहर निकाल दिया. लेकिन कई लोग, ज़्यादातर मिस्रवासी, मक्का और उसके आस-पास के पवित्र स्थलों पर पहुंच गए. कई लोग पैदल ही चले गए. अधिकृत हज यात्रियों के विपरीत, उनके पास गर्मी से बचने के लिए कोई होटल नहीं था.
मिस्र सरकार का कदम
मिस्र सरकार ने कहा है कि 16 ट्रैवल एजेंसियों ने हज यात्रियों के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं दीं. उन्होंने कहा कि इन एजेंसियों ने अवैध रूप से हज यात्रियों को सऊदी अरब जाने के लिए ऐसे वीज़ा का इस्तेमाल किया जो मक्का यात्रा के लिए अनुमति नहीं देते हैं. मिस्र सरकार ने यह भी कहा है कि इन कंपनियों के अधिकारियों को जांच के लिए सार्वजनिक अभियोजक के पास भेज दिया गया है.
अन्य देशों में भी मौतें
यह मौतें सिर्फ मिस्र तक सीमित नहीं थी. इंडोनेशिया से 165, भारत से 98 और जॉर्डन, ट्यूनीशिया, मोरक्को, अल्जीरिया और मलेशिया से कई अन्य हज यात्रियों की भी मौत हुई. दो अमेरिकी हज यात्रियों की भी मौत हुई. हालांकि AP ने मौत के कारणों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की है, लेकिन जॉर्डन और ट्यूनीशिया जैसे कुछ देशों ने मौतों का कारण अत्यधिक गर्मी बताया है.
AP के पत्रकारों ने हज के दौरान गर्मी से बेहोश हो रहे हज यात्रियों को देखा है, खास करके दूसरे और तीसरे दिन. कुछ लोग उल्टी कर रहे थे और बेहोश हो गए थे. हज यात्रा में मौत कोई नई बात नहीं है. पांच दिनों की इस यात्रा के लिए सऊदी अरब में कभी-कभी 20 लाख से ज़्यादा लोग आते हैं. हज यात्रा के इतिहास में घातक भीड़भाड़ और महामारियां भी देखने को मिली हैं. लेकिन इस साल मौतों का आंकड़ा असामान्य रूप से ज़्यादा है, जिससे पता चलता है कि कुछ विशेष परिस्थितियां थीं.
2015 में मीना में हज यात्रा के दौरान हुई भीड़भाड़ में 2,400 से ज़्यादा हज यात्रियों की मौत हो गई थी. AP के मुताबिक, यह हज यात्रा में हुई सबसे घातक घटना थी. सऊदी अरब ने कभी भी इस भीड़भाड़ में मौतों की पूरी संख्या स्वीकार नहीं की है. उसी साल मक्का की ग्रैंड मस्जिद में एक क्रेन गिरने से 111 लोग मारे गए थे. हज यात्रा में हुई दूसरी सबसे घातक घटना 1990 में हुई भीड़भाड़ थी, जिसमें 1,426 लोग मारे गए थे.
गर्मी का खतरा बढ़ा
इस साल हज यात्रा के दौरान मक्का और उसके आस-पास के पवित्र स्थलों पर रोज़ाना का तापमान 46 डिग्री सेल्सियस (117 डिग्री फ़ारेनहाइट) से 49 डिग्री सेल्सियस (120 डिग्री फ़ारेनहाइट) के बीच रहा.
सऊदी अरब की कड़ी मेहनत
सऊदी अरब ने हज यात्रा के दौरान भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा उपायों पर अरबों डॉलर खर्च किए हैं. लेकिन भागीदारों की बड़ी संख्या के कारण उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना मुश्किल है. क्लाइमेट चेंज इस खतरे को और भी बढ़ा सकता है.