श्रीलंका में हाल ही में संपन्न हुए राष्ट्रपति के चुनावों (Sri Lanka President Elections) के बाद गोटबाया राजपक्षे वहां के प्रेसिडेंट चुने गए. उन्होंने सोमवार को प्राचीन बौद्ध मंदिर में शपथ ली. गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) श्रीलंका के पहले प्रेसिडेंट हैं जिन्होंने कोलंबो के बाहर शपथ ली है. वहीं, मगलवार को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गोटबाया राजपक्षे से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने श्रीलंकाई राष्ट्रपति को भारत आने का पीएम मोदी का न्योता भी दिया. श्रीलंका के राष्ट्रपति ने पीएम मोदी का न्योता स्वीकार किया है और वह 29 नवंबर को भारत की यात्रा भी करेंगे. रविवार को राजपक्षे को चुनाव में मिली जीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने टेलीफोन पर उन्हें बधाई दी थी.
वहीं, पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी गोटबाया राजपक्षे को उनकी जीत पर बधाई दी और उन्हें पाकिस्तान का दौरा करने के लिए आमंत्रित किया. इमरान ने उम्मीद जताई कि श्रीलंका और उसके लोग राष्ट्रपति गोटबाया के नेतृत्व में अधिक सफलता और समृद्धि हासिल करेंगे.
बता दें कि शनिवार 16 नवंबर को श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव कराये गए थे. इन चुनावों में 80 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. इस चुनाव में न्यू डेमोक्रेटिक फ्रंट (एनडीएफ) गठबंधन के साजित प्रेमदासा (52) और श्रीलंका पोडुजना पेरमुना (एसएलपीपी) के गोटाभाया राजपक्षे (70) के बीच मुख्य मुकाबला हुआ था.
कौन है गोटाभाया राजपक्षे:
श्रीलंका के नए राष्ट्रपति गोटाभाया राजपक्षे पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के भाई है. वर्ष 1983 में उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा अध्ययन में स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की. राजपक्षे को लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के सैन्य अभियान के खात्मे का श्रेय दिया जाता है. तमिल मूल के परिवार जिनके अपने गृहयुद्ध के दौरान मारे गए या लापता हो गए हैं वे गोटबाया पर युद्ध अपराध का आरोप लगाते हैं. गोटबाया पर उनकी देखरेख में नागरिकों और विद्रोही तमिलों को यातना दिये जाने और अंधाधुध हत्या तथा बाद में राजनीतिक हत्याओं को अंजाम दिये जाने आरोप है.
एलटीटीई के निशाने पर रहे गोटबाया 2006 में संगठन के आत्मघाती हमले में बाल-बाल बचे थे. माना जाता है कि उनका झुकाव चीन की ओर अधिक है. गोटबाया के भाई के शासन में चीन ने बड़े पैमाने पर श्रीलंका की आधारभूत परियोजनाओं में निवेश किया था.