जर्मनी में करीब 90 लाख महिलाएं मेनोपॉज से गुजर रही हैं. इस पर काफी कम चर्चा होती है. लेकिन देश में अगले साल होने वाले चुनाव से पहले जर्मन सांसद इस पर चर्चा कर रही हैं.जर्मनी के ‘वी आर 9 मिलियन' समूह का कहना है कि रजोनिवृत्ति यानी मेनोपॉज के बारे में अभी भी सामाजिक, सांस्कृतिक या राजनीतिक तौर पर बहुत कम बात की जाती है, भले ही यह आधी आबादी को सीधे और आधी को परोक्ष रूप से प्रभावित करती है. इस समूह ने इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित करने के लिए काम शुरू किया है. इसमें डॉक्टर, फार्मासिस्ट, शिक्षाविद और एक्टिविस्ट शामिल हैं. इस समूह का नाम उन महिलाओं की संख्या पर रखा गया है जो मेनोपॉज के दौर से गुजर रही हैं.
अपनी वेबसाइट पर, इस समूह ने वह सब कुछ बताया है जो महिलाएं, डॉक्टर और शोधकर्ता वर्षों से कहते आ रहे हैं. महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर काफी कम ध्यान दिया जाता है और उसके लिए पैसे भी काफी कम खर्च किए जाते हैं. उदाहरण के लिए, ज्यादातर मेडिकल स्टडीज पुरुषों पर किए जाते हैं और मेडिकल स्कूलों में महिलाओं के दिल के दौरे के लक्षणों के बारे में बहुत कम पढ़ाया जाता है. यह एक बड़ी वजह है कि मेनोपॉज के बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी है, जो कि 45 से 55 साल की उम्र के बीच हर महिला को प्रभावित करती है.
रजोनिवृत्ति यानि मेनोपॉज उस स्थिति को कहते हैं जब जिन्हें भी पीरियड आते हैं वे आना बंद हो जाएं. इस दौरान महिलाओं को हॉट फ्लैश यानी तेज गर्मी महसूस करना, मूड में बदलाव, नींद न आना, सिर दर्द, वजन बढ़ना जैसे लक्षण महसूस होते हैं. साथ ही, उन्हें अवसाद, दिल की बीमारियां और माइग्रेन जैसी तंत्रिका संबंधी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है. एक तिहाई से अधिक महिलाएं इन लक्षणों को बहुत गंभीर तरीके से अनुभव करती हैं, जिससे उनके कामकाजी और पारिवारिक जीवन पर काफी ज्यादा असर पड़ता है.
वी आर 9 मिलियन समूह का कहना है कि मेनोपॉज को अभी भी ‘स्त्री रोग विज्ञान की सौतेली संतान' के रूप में माना जाता है. स्त्री रोग विशेषज्ञ अपने अध्ययन के दौरान इस पर काफी कम ध्यान देते हैं और डॉक्टर भी इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं. जर्मनी में डॉक्टरों को स्वास्थ्य बीमा कंपनियों से रजोनिवृत्ति से जुड़ा परामर्श देने के लिए काफी कम पेमेंट और प्रोत्साहन मिलता है.
आधी आबादी से जुड़े इस मुद्दे पर चुप्पी
हालांकि, अब इस मुद्दे पर बात होने लगी है. जर्मनी की सेंटर-राइट सीडीयू/सीएसयू गठबंधन का नया प्रस्ताव इस मुद्दे पर चुप्पी तोड़ने की कोशिश कर रहा है. इस योजना के तहत, मेडिकल कॉलेजों और कंपनियों में स्वास्थ्य संबंधी गतिविधियों के दौरान मेनोपॉज पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा.
प्रशिक्षित नर्स और सीएसयू की मौजूदा सांसद ऐमी जेउलनर जर्मन संसद बुंडेस्टाग में यह प्रस्ताव लाईं. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "हमें इस विषय को वर्जित क्षेत्र से बाहर लाने की जरूरत है. मेनोपॉज जीवन के एक ‘अहम समय' में होता है. इस समय महिलाएं अपने पारिवारिक जीवन के साथ-साथ कामकाजी जीवन में भी व्यस्त होती हैं. उनके पास कई तरह की जिम्मेदारियां होती हैं.”
उन्होंने बताया कि मेनोपॉज सिर्फ एक ऐसी परेशानी नहीं है जिससे महिलाओं को गुजरना पड़ता है, बल्कि यह युवा महिलाओं, पुरुषों, लड़कों और अर्थव्यवस्था के लिए भी एक महत्वपूर्ण विषय है.
जर्मनी के सत्तारूढ़ गठबंधन सेंटर-लेफ्ट एसपीडी, ग्रीन्स और नवउदारवादी फ्री डेमोक्रेट्स (एफपीडी) के कुछ नेताओं ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया. ग्रीन पार्टी की सदस्य सास्किया वाइषहाउप्ट ने कहा कि वह इस पहल का ‘स्वागत' करती हैं.
वाइषहाउप्ट ने कहा, "एंडोमेट्रियोसिस, बांझपन और मेंस्ट्रुएशन की तरह ही मेनोपॉज के बारे में चिकित्सा क्षेत्र में और सामाजिक तौर पर शायद ही कभी खुलकर बात की जाती है. महिलाओं को अक्सर मेनोपॉज के लक्षणों का पता ही नहीं चलता है."
वोट के लिए महिलाओं को लुभाने का आरोप
एसपीडी सांसद हाइके एंगेलहार्ट इस बात से सहमत नहीं थीं. अगले साल के संघीय चुनाव से पहले सीडीयू/सीएसयू पर चुनाव प्रचार करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने सवाल किया कि पूर्व चांसलर अंगेला मैर्केल के नेतृत्व में '16 साल तक केंद्र की सरकार में रहने के दौरान' उनके गठबंधन ने तब इस बारे में कुछ क्यों नहीं किया. उन्होंने आलोचनात्मक लहजे में कहा कि यह प्रस्ताव अस्पष्ट है. साथ ही, बताया कि इस साल की शुरुआत में कंजर्वेटिव ब्लॉक ने महिलाओं के स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए लाखों यूरो आवंटित करने वाले सरकारी बजट के खिलाफ मतदान किया था.
दरअसल, सेंटर-राइट पार्टियां महिला मतदाताओं को अपने पक्ष में गोलबंद करने के लिए संघर्ष कर रही हैं. सीडीयू पार्टी की ओर से चांसलर पद के उम्मीदवार फ्रीडरीष मेर्त्स ने हाल ही में कहा था कि वह अपने मंत्रिमंडल में लैंगिक समानता बनाए रखने की कोशिश नहीं करेंगे. जनमत सर्वेक्षणों से पता चलता है कि मेर्त्स मतदाताओं के बीच अलोकप्रिय हैं, खासकर महिलाओं के बीच.
2017 में सीडीयू/सीएसयू के मतदाताओं में से लगभग 30 फीसदी महिलाएं थीं. मैर्केल के चांसलर पद से हटने के बाद, 2021 तक यह संख्या कम होकर 25 फीसदी तक पहुंच गई.
सत्ता के गलियारों में महिलाओं की कमी के बावजूद, जेउलनर ने कहा, "मुझे अलग-अलग पार्टी के नेताओं के समर्थन की उम्मीद है. दुर्भाग्य से, एसपीडी इस प्रस्ताव के पक्ष में नहीं है.” उनके प्रस्ताव में कई अन्य चुनौतियां भी शामिल हैं, जैसे कि स्त्री रोग विशेषज्ञों की कमी, खासकर ग्रामीण इलाकों में.
यह पूछे जाने पर कि इस योजना पर कितना खर्च आएगा, जेउलनर ने कहा, "यह संभव है कि इस योजना से वास्तव में पैसे की बचत हो, क्योंकि अगर महिलाओं को पहले ही मदद मिल जाएगी, तो आने वाले समय में उनके स्वास्थ्य पर होने वाला खर्च बचेगा. महिलाओं को अपॉइंटमेंट के लिए पांच, छह, सात सप्ताह या उससे अधिक समय तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा और वे जल्द ही अपने काम पर भी वापस लौट पाएंगी.”
मेनोपॉज होने पर शर्म क्यों महसूस करती हैं महिलाएं
एंगेलहार्ट की आलोचना का जवाब देते हुए, उन्होंने कहा, "मैं कभी नहीं कहूंगी कि हमने महिलाओं के स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित नहीं किया. हम कई अन्य विषयों पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे. ऐसे विषय जो मैर्केल के कार्यकाल के दौरान महत्वपूर्ण थे और आज भी हैं. हमने लिपेडिमा और प्रजनन क्षमता के लिए अनुसंधान और आर्थिक मदद देने का समर्थन किया. आपके पास हमेशा कुछ न कुछ बेहतर करने का मौका होता है. यही वजह है कि अब मेनोपॉज के बारे में बात कर रहे हैं.”
उन्होंने आगे कहा, "सत्तारूढ़ गठबंधन तीन हफ्ते से नहीं, बल्कि तीन साल से सत्ता में है. इस साल की शुरुआत में महिलाओं के स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए निर्धारित 15 मिलियन यूरो भी पहले ही कम कर दिए गए हैं.”
जेउलनर ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह प्रस्ताव पारित हो सकता है और इस पर पार्टी लाइन से हटकर वोट हो सकता है. उन्होंने अमेरिका और ब्रिटेन का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां की महिला नेता मेनोपॉज के बारे में चुप्पी तोड़ने के लिए अलग-अलग पार्टी के नेताओं को एक साथ लाने में जुटी हुई हैं.