दुबई, रेगिस्तान का वो शहर जिसकी चमक-दमक हर किसी को हैरान कर देती है. लेकिन 16 अप्रैल 2024 को इसी शहर में कुदरत का कहर बरपा. अचानक मूसलाधार बारिश शुरू हुई, आसमान में बिजली कड़क रही थी, चारों तरफ घना अंधेरा छा गया. देखते ही देखते शहर में बाढ़ आ गई. एयरपोर्ट, मेट्रो स्टेशन, मॉल, सड़कें, व्यापारिक संस्थान, सब पानी में डूब गए. स्कूल बंद हो गए. सोशल मीडिया पर तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे थे. दुबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पिछले 24 घंटों में 160 मिमी बारिश हुई, जो आमतौर पर दो साल में होती है. यह अपने आप में एक बड़ी प्राकृतिक आपदा थी.
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह सब क्लाउड सीडिंग यानी आर्टिफिशियल बारिश की वजह से हुआ. दुबई प्रशासन ने सोमवार और मंगलवार को बादलों में बारिश कराने के लिए विमान भेजे थे. लगता है कुछ गड़बड़ हो गई. यह जलवायु में ज़रूरी बदलाव लाने का मनुष्य का एक लापरवाह प्रयास था.
गल्फ स्टेट नेशनल सेंटर ऑफ मेटेरोलॉजी ने बताया कि 15-16 तारीख को अल-ऐन हवाई अड्डे से क्लाउड सीडिंग करने वाले विमान उड़ाए गए थे. ये विमान पिछले दो दिनों में सात बार उड़े. ऐसा लगता है कि क्लाउड सीडिंग में कुछ गड़बड़ी हो गई, जिसका खामियाजा दुबई भुगत रहा है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि आस-पास के देशों में ऐसा मंजर क्यों नहीं है?
A Porsche in Dubai yesterday after the heavy rain👏 pic.twitter.com/nPySiH0C6A
— Tansu Yegen (@TansuYegen) April 17, 2024
दरअसल, दुबई और उसके आस-पास के देशों में सदर्न जेट स्ट्रीम बहुत धीमी गति से बह रही है. यह एक ऐसी वायुमंडलीय हवा है, जो अपने साथ गर्मी लाती है. दुबई और उसके आसपास समुद्र है, जहाँ धूल भरी आंधियाँ आती रहती हैं. धूल अपने आप में एक क्लाउड सीडर है, जिसे विज्ञान की भाषा में कंडेनसेशन न्यूक्लिआई कहते हैं.
Situation of Dubai looks scary.. pic.twitter.com/GMzpWu1Dyx
— Mr Sinha (Modi's family) (@MrSinha_) April 17, 2024
यानी क्लाउड सीडिंग इसलिए गड़बड़ हो गई क्योंकि इसमें बहुत ज़्यादा धूल के कण शामिल हो गए, जिससे यह आपदा आई. जलवायु में बढ़ती गर्मी के कारण बारिश की ऐसी घटनाएं अब आम हो गई हैं. दुबई में ऐसी घटनाएं अब दुगनी रफ्तार से होंगी. इस बारिश ने 75 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है.
दुबई में पानी की कमी के कारण की गई क्लाउड सीडिंग
दुबई में पानी की कमी है. भूजल का अत्यधिक दोहन हो रहा है. इसके बावजूद पानी की कमी बनी हुई है. इसलिए यहाँ की सरकार ने कृत्रिम बारिश का सहारा लेने की सोची और प्रक्रिया भी पूरी की. लेकिन इस बार मामला बिगड़ गया. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने पहली बार 1982 में क्लाउड सीडिंग की थी.
Artificial rain is such a great idea 🤡 https://t.co/ruIBIptgyG
— BowTiedMara (@BowTiedMara) April 16, 2024
यूएई में रेन एन्हांसमेंट प्रोग्राम चलता है, जिसकी निगरानी वहाँ का मौसम विभाग करता है. इसके पीछे काम करने वाले वैज्ञानिक हर बार यूएई के वातावरण का भौतिक और रासायनिक परीक्षण करते हैं, जिसमें खासतौर पर एरोसोल और प्रदूषणकारी तत्वों की जाँच की जाती है. इसके बाद बादल बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है.
इसमें तय किया जाता है कि कितनी बार क्लाउड सीडिंग करनी है और उसके लिए कितनी बार क्लाउड सीडिंग एयरक्राफ्ट को उड़ाना होगा. बादलों के ऊँचे इलाकों में पहुँचने के बाद केमिकल छोड़े जाते हैं ताकि बारिश हो सके. यूएई में 86 स्वचालित मौसम स्टेशन हैं. देश भर में छह मौसम रडार हैं जो मौसम पर नज़र रखते हैं.
यूएई सरकार और वैज्ञानिक किस बात को लेकर चिंतित हैं?
क्लाउड सीडिंग के कई फायदे हैं, लेकिन चिंताएँ ज़्यादा हैं. क्योंकि रेगिस्तानी इलाकों में इतनी ज़्यादा बारिश से भूस्खलन और अचानक बाढ़ जैसी आपदाएँ आती हैं. यह क्लाउड सीडिंग में इस्तेमाल होने वाले केमिकल्स पर भी सवाल खड़े करता है.
Massive Storm over Dubai - led to floods. pic.twitter.com/ihhn2hU2To
— Interesting Things (@interesting_aIl) April 17, 2024
क्या है कृत्रिम बारिश?
कृत्रिम बारिश के लिए वैज्ञानिक आसमान में एक निश्चित ऊँचाई पर बादलों में सिल्वर आयोडाइड, ड्राई आइस और साधारण नमक छोड़ते हैं. इसे ही क्लाउड सीडिंग कहते हैं. ज़रूरी है कि आसमान में कम से कम 40 प्रतिशत बादल हों, जिनमें थोड़ा पानी मौजूद हो. क्लाउड सीडिंग में समस्या तब आती है जब बादलों में पानी की मात्रा या नमी की कमी होती है. लेकिन दुबई में यह काम सदर्न जेट स्ट्रीम ने पूरा कर दिया.
#Dubai yesterday 🫣#dubairain pic.twitter.com/F554AvrW80
— WorldNews (@FirstWorldNewss) April 17, 2024
क्लाउड सीडिंग के लिए बादलों में पानी ज़रूरी
क्लाउड सीडिंग तभी संभव होगी जब आसमान में 40 प्रतिशत बादल हों और उन बादलों में कुछ मात्रा में पानी यानी तरल मौजूद हो. इसके लिए ज़रूरी नहीं है कि विमान से बादलों के बीच उड़ान भरी जाए. यह काम गुब्बारे या रॉकेट से भी किया जा सकता है. लेकिन इसके लिए बादलों का सही चुनाव ज़रूरी है. सर्दियों में बादलों में पर्याप्त पानी नहीं होता है. सर्दियों में बादल बनने के लिए पर्याप्त नमी नहीं होती है. अगर मौसम शुष्क है, तो पानी की बूँदें ज़मीन पर पहुँचने से पहले ही भाप बन जाएँगी.