अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने तालिबान (Taliban) के साथ शांति वार्ता को रद करने का फैसला लिया है. ट्रंप ने अफगानिस्तान (Afghanistan) की राजधानी काबुल में हुए हमले की वजह से अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और तालिबान प्रमुख के साथ बैठक रद्द की है. ट्रंप ने शनिवार को इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा यह फैसला काबुल कार बम बलास्ट की वजह से लिया है, जिसकी जिम्मेदारी तालिबान ने ली थी. इस ब्लास्ट में एक अमेरिकी सैनिक समेत 11 लोगों की मौत हो गई.
उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि तालिबान के प्रमुख नेता और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) रविवार को कैंप डेविड में उनसे अलग-अलग बैठक में मिलने वाले थे, जिसके लिए वे आज रात को ही अमेरिका पहुंचने वाले थे, लेकिन उन्होंने यह बैठक अब रद्द कर दी है.
डोनाल्ड ट्रंप ने तालिबान के साथ शांति वार्ता रद्द की-
Unbeknownst to almost everyone, the major Taliban leaders and, separately, the President of Afghanistan, were going to secretly meet with me at Camp David on Sunday. They were coming to the United States tonight. Unfortunately, in order to build false leverage, they admitted to..
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) September 7, 2019
डोनाल्ड ट्रंप ने तालिबान की इस हरकत पर नाराजगी जाहिर करते हुए जोर देते हुए कहा कि तालिबान की इस हरकत से हालात और चिंताजनक हो सकते है. डोनाल्ड ट्रंप ने साथ ही सवालिया लहजे में कहा, 'आखिर ये कैसे लोग हैं जो अपने फायदे के लिए इतने सारे लोगों की हत्या कर रहे हैं?' ट्रंप ने कहा कि तालिबान ने स्थिति को खराब कर दिया है.
तालिबान की हरकत पर जताई नाराजगी-
....only made it worse! If they cannot agree to a ceasefire during these very important peace talks, and would even kill 12 innocent people, then they probably don’t have the power to negotiate a meaningful agreement anyway. How many more decades are they willing to fight?
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) September 7, 2019
उन्होंने कहा, "अगर वह शांति वार्ता के दौरान ही हमले रोक नहीं सकते और 12 मासूम लोगों को मार सकते है, तो तब वे शायद किसी भी तरह एक सार्थक समझौते पर बातचीत करने की इच्छा नहीं रखते हैं." पिछले दिनों राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था, 'अगर तालिबान के साथ शांति समझौता हो जाता है तो अफगानिस्तान में अमेरिकी फौज की संख्या घटकर 8,600 हो जाएगी, साथ ही स्थाई मैजूदगी बनी रहेगी.' ट्रंप प्रशासन ने अफगानिस्तान से 5 हजार सैनिक वापस लेने का फैसला किया था. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.