Covid-19 का कहर: यूरोप और अमेरिका में कोरोनावायरस से होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़ा
कोरोनावायरस (Photo Credits: Unsplash)

मैड्रिड: यूरोप में कोरोना वायरस के मृतकों का आंकड़ा शनिवार को 20,000 के आस- पास पहुंच गया था जहां इटली और स्पेन ने एक दिन में 800 से ज्यादा लोगों की जान जाने की जानकारी दी. वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देश के सर्वाधिक प्रभावित न्यूयॉर्क क्षेत्र में लॉकडाउन लागू करने की संभावना से इनकार कर दिया. विश्व की तकरीबन एक तिहाई आबादी बंद का सामना कर रही है जहां वायरस एक समाज के सभी पहलुओं पर विध्वंसक असर डाल रहा है : लाखों नौकरियां चली गई, स्वास्थ्य क्षेत्र पर अत्यधिक बोझ बढ़ गया है और देशों की अर्थव्यवस्था हिल गई है.

दुनिया भर में वायरस से मरने वालों की संख्या 30,000 से अधिक हो गई है और कुछ देशों के अधिकारियों का कहना है कि आगे और बुरी तस्वीर सामने आ सकती है. हालांकि चीन का वुहान शहर जहां पिछले साल यह वायरस सबसे पहले ऊभरा था, वहां हालात कुछ सामान्य हुए हैं और दो महीने तक 1.1 करोड़ लोगों को लगभग घरों के भीतर कैद करने के बाद अब शहर आंशिक रूप से आवाजाही के लिए खोला जा रहा है. ट्रंप ने शनिवार देर रात फैसला किया कि वह न्यूयॉर्क और उसके पड़ोसी राज्यों में बंद लागू नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि इसकी जरूरत नहीं और यात्रा परामर्श से काम चल जाएगा. यह भी पढ़ें: Coronavirus: मध्य प्रदेश सरकार ने परीक्षा के बिना 10वीं और 12वीं क्लास को छोड़कर सभी कक्षा के छात्रों को पास करने का किया फैसला

जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में दुनिया भर के मुकाबले सबसे ज्यादा 1,24,000 लोग कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में हैं. मृतकों में शिकागो का एक नवजात भी शामिल था जो वैश्विक महामारी के कारण एक साल से भी कम उम्र के बच्चे की कोविड-19 से मौत का दुर्लभ मामला है. वहीं जेल ब्यूरो ने जेल में बंद एक कैदी की कोरोना वायरस संक्रमण के कारण मौत होने की खबर दी है. किसी कैदी की वायरस से मौत का यह पहला मामला है. अमेरिका के कई मेडिकल स्कूल वरिष्ठ छात्रों को जल्दी स्नातक डिग्री देने पर विचार कर रहे हैं ताकि उन्हें अत्यधिक बोझ झेल रही स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में प्रवेश मिल सके और वे कोरोना वायरस के मामले बढ़ने के मद्देनजर चिकित्सीय पेशेवरों की बढ़ती मांग को पूरा कर सके.

यूरोपीय राष्ट्र प्रति व्यक्ति के हिसाब से अमेरिका से ज्यादा प्रभावित हैं जहां 20,000 मौतें हुईं हैं और इसमें से आधी मौत सर्वाधिक प्रभावित इटली में हुई हैं. कोरोना वायरस मृतकों के मामले में स्पेन दूसरे नंबर पर हैं जहां शनिवार को 832 मौतों के बाद मृतकों की कुल संख्या 5,812 हो गई. मैड्रिड ने सभी गैर जरूरी गतिविधियों पर रोक लगाकर राष्ट्रव्यापी बंद को और सख्त कर दिया है हालांकि अधिकारियों का कहना है कि देश में महामारी चरम पर है. रूस में वायरस के मामले तुलनात्मक रूप से कम होने के बावजूद देश ने कहा कि सोमवार को वह अपनी सीमाएं बंद कर देगा. यह भी पढ़ें: Coronavirus: स्पाइसजेट का पायलट कोरोना वायरस से पाया गया संक्रमित, अन्य क्रू मेंबर्स को दी गई ‘सेल्फ-क्वॉरेंटाइन’ की हिदायत

जॉन्स हॉपकिन्स ट्रैकर के मुताबिक दुनिया भर में वायरस का प्रकोप फैलने के बाद से 6,64,000 मामले आधिकारिक रूप से सामने आए हैं. जांच करने के तरीकों में भिन्नता और कुछ देशों में पर्याप्त जांच सुविधा में देरी का मतलब है कि असल संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है. फ्रांस जहां करीब 2,000 लोगों की जान जा चुकी है, वहां के प्रधानमंत्री एडवर्ड फिलिप ने कहा कि “युद्ध” अभी शुरू ही हुआ है. उन्होंने कहा कि अप्रैल के शुरुआती दो हफ्ते पिछले दो हफ्तों से ज्यादा मुश्किल रहने वाले हैं. ब्रिटेन में शनिवार को जानलेवा वायरस से मरने वालों की संख्या 1,000 के पार चली गई जबकि बेल्जियम में 353 मौत के साथ ऐसे मामलों में अचानक वृद्धि हुई.

इसके अलावा ईरान में 139 और मौत की खबर मिली और भारत ने कई गांवों को सील कर दिया जहां कोरोना वायरस से संक्रमित एक गुरु गए थे. इस गुरू को संभावित ‘‘महा प्रसारक’’ के तौर पर देखा जा रहा है. बांग्लादेश की सेना ने कहा है कि वह सामाजिक दूरी का नियम लागू करने के लिए कोविड-19 रोधी अभियान तब तक चलाना जारी रखेगी जब तक कि सरकार उसे लौटने का आदेश नहीं देती. यह भी पढ़ें: Covid-19: ईपीएस पेंशनभोगियों के मंच का प्रधानमंत्री राहत कोष में एक दिन की पेंशन देने का एलान

श्रीलंका में कोरोना वायरस से पहले व्यक्ति की मौत का मामला सामने आया है. कोलंबो के संक्रामक रोग अस्पताल में 65 वर्षीय बुजुर्ग ने दम तोड़ दिया. स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक अनिल जयसिंहे ने बताया कि मृतक उच्च रक्तचाप और मधुमेह से पीड़िता था. एक ओर जहां अमीर देश इस संकट से संघर्ष कर रहे हैं, सहायता समूहों ने चेताया है कि कम आय वाले देश या सीरिया और यमन जैसे युद्धग्रस्त देशों में मृतक संख्या लाखों हो सकती है जिनका स्वास्थ्य तंत्र चरमराया हुआ है.