बच्चे पैदा करने में पिछड़े जर्मन, आप्रवासियों से बढ़ी आबादी
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

बीते साल जर्मनी की आबादी सिर्फ 0.1 फीसदी बढ़ी. वास्तव में यह मामूली बढ़ोतरी भी आप्रवासियों की वजह से हुई है, सिर्फ जर्मन लोगों की आबादी तो नीचे जा रही है.2024 के आखिर में जर्मनी की आबादी 8.36 करोड़ से कुछ कम थी. एक साल पहले की तुलना में यह महज 121,000 या 0.1 फीसदी ज्यादा है. यह संख्या आबादी में कितनी बड़ी गिरावट का संकेत है यह जानने के लिए एक साल और पीछे जाना होगा. 2023 के आखिर में जर्मनी की आबादी में 338,000 यानी करीब 0.4 फीसदी लोग जुड़े थे. हालांकि उस साल भी यहां बच्चों की पैदाइश दशक भर में सबसे कम हुई थी.

जर्मनी में पहले बच्चे के जन्म के समय औरतों की औसत आयु 30.3 साल है. यहां शादियों में भी देरी हेती है. 2024 के आंकड़े बता रहे हैं कि एक जर्मन महिला अपने पूरे जीवन काल में औसतन 1.38 बच्चे पैदा करती है. 2021 में यह आंकड़ा 1.58 था. बीते एक दशक से यह आंकड़ा लगभग हर साल नीचे जा रहा है. लोगों की जीवनशैली और सामाजिक ढांचे में बदलाव के साथ बच्चों की पैदाइश में कमी आ रही है. कई और देशों की तरह जर्मनी के युवा भी शादी करने और बच्चे पैदा करने में दिलचस्पी नहीं ले रहे.

शुक्रवार को जारी शुरुआती आंकड़े बता रहे हैं कि बीते सालों की तरह ही 2024 में भी लोगों के मौत की संख्या उसी साल पैदा होने वालों की संख्या से ज्यादा है. 2024 में पैदा होने वाले और मरने वालों की संख्या में अंतर 330,000 का है. यह फर्क बीते सालों के अनुरूप ही है. यह सिलसिला 50 साल से ज्यादा समय से चला आ रहा है. 1971 वह आखिरी साल था जब जर्मनी में पैदा होने वाले बच्चों की संख्या उसी साल मरने वाले बुजुर्गों से ज्यादा थी. उसके बाद से साल दर साल मरने वालों की तादाद ही ज्यादा रही है. ऐसी स्थिति में यहां की आबादी में जो भी संख्या बढ़ती है वह आप्रवासियों की देन है.

जर्मनी की आबादी पर आप्रवासियों का असर

वास्तव में जर्मनी की आबादी पिछले कुछ सालों से आप्रवासियों की वजह से बढ़ रही है. हालांकि इस साल आप्रवासियो की संख्या का संतुलन भी घट गया है. आप्रवासियों की संख्या में संतुलन का ममतलब है जर्मनी में आने और जाने वाले आप्रवासियों की संख्या का फर्क. 2024 में यह 420,000 था जो उससे पहले के साल के 660,000 की तुलना में काफी कम है. हाल ही में आई एक रिपोर्ट में बताया गया कि जर्मनी में हर चौथा आप्रवासी यहां से कहीं और जाने की फिराक में है.

जर्मनी के पश्चिमी राज्यों के निवासियों की संख्या करीब 0.2 फीसदी तक बढ़ी है. सबसे ज्यादा 73,000 निवासी बवेरिया राज्य में बढ़े हैं. इस तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि पूर्वी राज्यों में अगर बर्लिन को छोड़ दें तो यह 0.3 फीसदी घट गई है. थुरिंजिया में निवासियों की संख्या 15,000 या 0.3 फीसदी तो सैक्सनी अनहाल्ट में 12,000 यानी 0.3 फीसदी घट गई है.

बुजुर्गों की बढ़ती संख्या

जर्मनी भी उन देशों में शामिल है जहां जनसंख्या सिकुड़ रही है. आबादी में बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है और बच्चे कम पैदा हो रहे हैं. 2024 में 60 से 79 साल की आयु के लोगों की संख्या 2.2 फीसदी बढ़ गई है. इसकी खास वजह है 'बेबी बूमर' पीढ़ी के लोगों का बूढ़ा होना. 1946 से 1966 के बीच के समय को बेबी बूमर कहा जाता है और इस दौर में पैदा हुए लोगों को बेबी बूमर जेनरेशन या पीढ़ी. दूसरा विश्व युद्ध खत्म होने के बाद के इस दौर में दुनिया के कई देशों में आबादी तेजी से बढ़ी थी.

जर्मनी में 80 साल के ऊपर की उम्र वाले लोगों की संख्या भी 0.2 फीसदी बढ़ गई है. 2024 के आखिर में देश की कुल आबादी में 30.5 फीसदी लोग 60 साल या उससे ज्यादा की उम्र वाले लोग थे.

विदेशियों की बढ़ती आबादी

2024 में जर्मनी में विदेशी लोगों की तादाद 2.3 फीसदी बढ़ कर 1.24 करोड़ पर पहुं गई. दूसरी तरफ जर्मन नागरिकों की संख्या में 0.2 फीसदी की कमी आई और यह 7.12 करोड़ पर है. इसके नतीजे में जर्मनी की आबादी में विदेशी लोगों की हिस्सेदारी 14.5 से बढ़ कर 14.8 प्रतिशत हो गई.

20-59 साल की उम्र वाले विदेशियों का अनुपात सबसे ज्यादा 19.7 फीसदी है. दूसरी तरफ 60 साल से ज्यादा उम्र वाले विदेसिशियों की तादाद सबसे कम यानी 6.3 फीसदी है. पिछले साल की तरह ही तुर्क समुदाय जर्मनी में विदेशियों का सबसे बड़ा समूह है. यहां कुल 1.403 करोड़ लोग तुर्क मूल के हैं. इसके बाद यूक्रेन से आए लोगों का समुदाय है जिनकी संख्या 10.85 लाख है.

इसी तरह सीरिया के 889,000 तो पोलैंड के 723,000 लोग जर्मनी में रहते हैं. इसके बाद अफ्रीकी देशों के लोगों हैं जिनकी संख्या कुल मिला कर 7 लाख से थोड़ी ज्यादा है. जर्मनी में अफगानिस्तान के 4.4 लाख लोग, इराक के 2.6 और भारत के लोगों की संख्या करीब 2.7 लाख है.