अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान में तालिबानी आतंकियों का आतंक चरम पर है. हांलाकि ये आतंक एकाएक नहीं बढ़ा है. वर्तमान में आंतक की तस्वीरें आज जो सामने आ रही है ठीक ऐसी ही तस्वीरें कभी 1990 के दशक में हुआ करती थी. जब अफगानिस्तान में तालिबानी राज हुआ करता था. कानू भी तालिबान का और फरमान भी तालिबान का.
9/11 अमेरिका, के मास्टर माइंड को तालिबान दी थी पनाह
लेकिन वर्ष 2001 के बाद अफगानिस्तान में आतंक की तस्वीर बदलने वाली थी किसी को नहीं पता था कि यहां क्या होने वाला है. इसे अमेरिकी चश्में से देखें तो पता चलता है कि अमेरिका 9/11 यानी 11 सितंबर 2001 को वर्ल्ड ट्रेड पर हमले का सरगना ओसामा बिन लादेन जान बचाने के लिए पाकिस्तान-अफगानिस्तान से सटे इलाकों में छुपा था. ओसामा को तालिबानी आतंकियों ने पनाह दी थी.
हर कीमत पर 9/11 का बदला लेना चाहता था अमेरिका
अमेरिका हर कीमत पर 9/11 का बदला लेना चाहता था. खुफिया एजेंसियों को जब ये बात पता चली तो अमेरिका ने अफगानिस्तान में हमला कर तालिबान को सत्ता से बेदखल कर दिया. लेकिन हाल के वर्षों में ISIS और अलकायदा जैसे आतंकी संगठनों की मदद से तालिबान ने एक बार फिर पकड़ मजबूत करना शुरू कर दी.
अमेरिका-तालिबान के बीच समझौता, लेकिन बाइडेन सरकार बनने से पहले आया बयान
विदेशी मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका और तालिबान के बीच एक समझौता हुआ था. इस समझौते के तहत अमेरिकी सैनिकों को धीरे धीरे हटाने की बात कही गई थी. पहले इन सैनिकों को बीते वर्ष अप्रैल तक अफगानिस्तान छोड़ना था. लेकिन जो बाइडेन सरकार बनने के ठीक पहले अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने बयान दे दिया कि जनवरी तक करीब 2,500 अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान छोड़ देंगे. अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान में तालिबानी आतंक फिर चरम पर पहुंच गया.
85 फीसदी अफगानिस्तान पर तालिबान का झंडा बुलंद
अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबानियों का आतंक (Taliban Terrorist) तेजी से बढ़ रहा है. तालिबान (Taliban) ये तक दावा कर चुका है कि उसने अफगानिस्तान के 85 फिसदी क्षेत्र पर अपना कब्जा कर अपना झंडा बुलंद कर दिया है. तालिबान का आतंक चरम पर है जिसके चलते बीते दिनों कंधार कॉन्सुलेट को बंद कर वहां फंसे भारतीय कर्मचारियों (Indians in Afghanistan) को एयरलिफ्ट किया गया. इतना ही नहीं खबरें ये भी है जिन इलाकों में आतंक दबदबा है वहां तालिबानी कानून लागू किया जा रहा है. वहीं जब अफगानिस्तान ने भारत (Afghanistan-India) सहित विभिन्न देशों से मदद की उम्मीद की भारत ने आगे आकर मदद का भरोसा दिया.
तालिबानियों के खात्मे के लिए भारत ने तैयार किया रोडमेप
तालिबानियों के आतंक को रोकने के लिए भारत एक रोडमैप तैयार किया है. हाल ही में दुशांबे में हुए एससीओ बैठक (SCO Meet) में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर (Foreign Minister S. Jaishankar) ने कहा कि काबुल (Kabul, Afghanistan) का भविष्य उसका अतीत कतई नहीं हो सकता. अफगानिस्तान में शांति के लिए लिए भारत ने जो रोड मैप पेश किया है उसमें हिंसा और आतंकवादी हमलों की समाप्ति, राजनीतिक बातचीत के माध्यम से संघर्ष का समाधान और पड़ोसी देशों को सुनिश्चित करने के लिए कदम शामिल है.
अफगानिस्तान का भविष्य उसका अतीत नहीं हो सकता: एस. जयशंकर
एसईओ मीट में भारत ने दुनिया के सामने अपने लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति आस्था को व्यक्त किया. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि, विश्व के दूसरे देशों के साथ ही अफगान लोग भी एक स्वतंत्र, तटस्थ, एकीकृत, शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक और समृद्ध राष्ट्र चाहते हैं. उन्होंने साफ किया कि अफगानिस्तान का भविष्य उसका अतीत नहीं हो सकता. नई पीढ़ी की अलग-अलग उम्मीदें होती हैं. हमें उन्हें निराश नहीं करना चाहिए.
अफगानिस्तान ने भारत और रूस से मांगी थी मदद
वहीं बीते दिनों अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मोहिब ने भारत सहित रूस, चीन और अन्य देशों से टेक्टिकल या आतंकवाद विरोधी अभियान मदद के लिए अपील की थी. भारत ने अफगानिस्तान को मदद को भरोसा दिया है. महासंकट की इस घड़ी के बीच जयशंकर ने दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की महत्वपूर्ण बैठक में तालिबान का प्रभाव बढ़ने से बिगड़ रही स्थिति पर गंभीर चर्चा की.
भारत के सीनियर फोटो जर्नलिस्ट की हमले में मौत
वहीं आज भारत के सीनियर फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की अफगानिस्तान में सुरक्षा बलों और तालिबान लड़ाकों के बीच संघर्ष में मौत हो गई है. दानिश समाचार एजेंसी रॉयटर्स में फोटो जर्नलिस्ट थे. दानिश द्वारा खींची गई कई तस्वीरों के चर्चे देश-विदेश में रहे. उन्हें पुलित्जर पुरस्कार से भी नवाजा गया था. अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स के चीफ फोटोग्राफर दानिश पिछले कई दिनों से अफगानिस्तान में जारी संघर्ष और तनाव को कवर कर रहे थे.
कई इलाकों में तालिबानी कानून लागू
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिन इलाकों में तालिबानियों का आतंक चरम पर है. वहां तालिबानी लागू भी हो रहा है. आतंकियों ने फरमान जारी कर दिया है कि महिलाएं घर से अकेले नहीं निकलेंगी. इसके साथ ही पुरुष अगर बिना दाड़ी के नजर आए तो उन्हें गोली मार दी जाएगी.
15 साल से बड़ी लड़कियों की लिस्ट मांगी
वहीं खबर ये भी कि तालिबानी आतंकियों ने मौलवियों से 15 वर्ष से बड़ी लड़कियों की लिस्ट तैयार कर उनकी जानकारी मांगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबान ने फरमान जारी कर कहा है कि, 15 साल से बड़ी सभी लड़कियों और 45 साल से कम उम्र की सभी विधवा महिलाओं की लिस्ट मुहैया करवाई जाए. इन महिलाओं को तालिबान के लड़ाकों के हवाले किया जाएगा ताकि वे उन्हें गुलाम बनाकर उनका यौन उत्पीड़न कर सके.
प्रमुख व्यपार क्षेत्र इस्लाम-काला पर भी कब्जा
अफगानिस्तान और ईरान के बीच व्यापार का महत्वपूर्ण केंद्र इस्लाम-काला क्षेत्र पर भी तालिबानी आतंकियों ने कब्जा कर लिया है. यहां तालिबानियों और अफगानी सैनिकों के बीच लंबा संघर्ष हुआ लेकिन तालिबानी जब भारी पड़ने लगे तो अफगान सैनिक और सरकारी अधिकारी जान बचाकर ईरान भाग गए.