वेपिंग: सिगरेट छोड़ने में मददगार या खुद भी हानिकारक?
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

धूम्रपान करने वालों के लिए वेपिंग और ई-सिगरेट को लंबे समय से सुरक्षित विकल्प माना जाता रहा है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इनके इस्तेमाल से फेफड़े खराब नहीं होते हैं?संयुक्त राज्य अमेरिका में एक 17 वर्षीय लड़की पिछले तीन साल से चोरी-छिपे वेपिंग कर रही थी. हाल ही में पता चला है कि उसे ‘पॉपकॉर्न लंग' नामक बीमारी हो गई है. ब्रोंकियोलाइटिस ओब्लिटरन्स के रूप में जानी जाने वाली यह लाइलाज स्थिति फेफड़ों में छोटी वायु थैलियों (ब्रोंकिओल्स) पर निशान छोड़ देती है, जिससे व्यक्ति की सांस लेने की क्षमता कम हो जाती है.

हालांकि यह मामला दुर्लभ है, लेकिन यह बड़ी समस्या की ओर इशारा कर सकता है. 2019 में, ई-सिगरेट या वेपिंग उत्पादों के इस्तेमाल की वजह से फेफड़ों में नुकसान (इसे ईवीएएलआई भी कहा जाता है) के लगभग 3,000 मामले यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल को रिपोर्ट किए गए थे. इस वजह से 68 लोगों की मौत हो गई, जिनमें ज्यादातर किशोर और युवा थे.

आयरलैंड के आरसीएसआई यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन एंड हेल्थ साइंसेज में रसायन विज्ञान के प्रोफेसर डोनल ओ'शे ने कहा, "कभी-कभी कुछ सबसे गंभीर मामले सुर्खियों में आ जाते हैं, लेकिन इन सबके पीछे छिपी हुई बात यह है कि वेपिंग करने वालों के फेफड़ों को धीरे-धीरे और लंबे समय तक नुकसान हो रहा है.”

सिगरेट न पीने वालों में बढ़ रहा है फेफड़ों का कैंसर: रिपोर्ट

हालांकि, वेपिंग को कभी-कभी सामान्य सिगरेट की तुलना में एक सुरक्षित विकल्प बताया जाता है, लेकिन वैज्ञानिक इस बात से परेशान हैं कि फेफड़ों की सेहत पर इसका लंबे समय में क्या असर होगा, इसके बारे में हमें बहुत कम जानकारी है.

वेप करने पर क्या होता है?

जब आप वेप से हवा अंदर खींचते हैं, तो बैटरी एक धातु की तार को गरम करती है और इससे अंदर मौजूद लिक्विड गर्म होता है. इससे भाप जैसा बनता है जिसे फेफड़ों में लिया जाता है.

वेप के लिक्विड में निकोटीन साल्ट और खुशबू (फ्लेवर) के साथ कई तरह के केमिकल मिले होते हैं. जब ये सब एक साथ मिलते हैं तो हजारों अलग-अलग तरह के केमिकल बन सकते हैं.

सिगरेट पर कड़े नियम लगाने में जर्मनी को कहां आ रही मुश्किल?

कोई नहीं जानता कि जब ये गरम केमिकल सांस के साथ फेफड़ों में जाते हैं तो क्या होता है. डोनल ने कहा, "जिस चीज को कभी टेस्ट नहीं किया गया है वह यह है कि इन केमिकल को एक मशीन में डालकर गरम करके सांस के साथ अंदर लेने पर क्या होगा. आप कोई भी केमिकल या चीज अपने शरीर में कैसे डालते हैं, इससे यह तय होता है कि वह कितना जहरीला हो सकता है.”

उन्होंने आगे कहा, "यह रसायन सबसे पहले किसके संपर्क में आएगा? यह संवेदनशील फेफड़े के नाजुक टिश्यू के संपर्क में आएगा जो खराब होने के बाद ठीक नहीं होते. इसी वजह से कई सालों में फेफड़ों के टिश्यू पर जो लम्बे समय तक निशान पड़ते रहेंगे या नुकसान होता रहेगा, आखिर में वो पॉपकॉर्न लंग बन जाएगा.”

क्या स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है वेपिंग?

शोधकर्ता अभी भी यह पता लगा रहे हैं कि वेपिंग का इंसानी शरीर पर क्या असर होता है, लेकिन कुछ चिंताजनक नतीजे सामने आ रहे हैं. अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि वेपिंग से फेफड़ों में सूजन होती है. उपयोगकर्ताओं को खांसी, गले में जलन और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत होती है.

डोनल ने कहा, "ऐतिहासिक रूप से, यह साबित करने में कई दशक लग गए कि तंबाकू वाले उत्पादों का धूम्रपान करने से बीमारियां होती हैं. इन उत्पादों को बेचने वाली कंपनियां इस बात से इनकार करती हैं कि इनसे कोई नुकसान होता है. दुर्भाग्य से, ऐसा लगता है कि हम वेपिंग के मामले में इतिहास को खुद को दोहराने दे रहे हैं.

निकोटीन से ज्यादा घातक हो सकते हैं उसके विकल्पः एफडीए

वैज्ञानिक और डॉक्टर इस बात को लेकर परेशान हैं कि वेपिंग से लंबे समय में सेहत पर क्या असर होगा, इसके बारे में बहुत कम जानकारी है. सामान्य सिगरेट पर तो दशकों तक अध्ययन किया गया और यह पता चला कि इसके इस्तेमाल से कैंसर जैसी बीमारी हो सकती है. वहीं, वेप तो पिछले दशक में ही लोकप्रिय हुआ है. इसका मतलब है कि इससे लंबे समय में क्या असर होता है उसके बारे में ज्यादा अध्ययन नहीं हुआ है.

किशोरों में वेपिंग के खतरे

किशोरों में वेपिंग से जुड़े जोखिम भी अलग हो सकते हैं. डोनल ने बताया, "किशोरों में फेफड़े, हृदय और मस्तिष्क के टिश्यू अभी विकसित हो रहे होते हैं. इसलिए, ये जल्दी क्षतिग्रस्त हो सकते हैं. इस तरह वे इन विषाक्त पदार्थों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं जिन्हें वे सांस के जरिए अपने शरीर में ले रहे होते हैं.”

ज्यादातर वेप में निकोटीन मौजूद होता है और उसकी लत लगने की काफी ज्यादा संभावना होती है. कई किशोर बताते हैं कि पिछली बार वेप करने के कुछ घंटों बाद ही उन्हें घबराहट या गुस्सा आने लगता है.

स्वास्थ्यकर्मी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि वेप्स से आसानी से निकोटीन की लत लग सकती है. डोनल कहते हैं, "दरअसल, हमें यह देखने को मिल रहा है कि युवा लोग बहुत जल्दी इसके आदी हो रहे हैं.”

अमेरिका में ईवीएएलआई के 3,000 मामलों में, मौत का मुख्य कारण विटामिन ई एसीटेट माना जाता है, जो चीजों को गाढ़ा करने वाला तत्व है. 2019 में, शोधकर्ताओं ने पाया कि जब इसे गर्म किया जाता है, तो यह केटीन नामक एक बहुत जहरीली गैस बनाता है जिसे सांस के जरिए अंदर लिया जा सकता है.

कैसी है वैश्विक तस्वीर

वेपिंग का चलन सिर्फ अमेरिका में ही नहीं है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दुनिया में 13 से 15 साल के बच्चे बड़ों से ज्यादा वेपिंग करते हैं. हालांकि, पूरी दुनिया के आंकड़े अभी ठीक से नहीं मिले हैं.

हाल ही में, दक्षिण अफ्रीका में हाई स्कूल में पढ़ने वाले 25,000 छात्रों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि 16.8 फीसदी छात्र वेप्स का इस्तेमाल करते हैं, जो सामान्य सिगरेट पीने वाले 2 फीसदी छात्रों से काफी ज्यादा हैं.

वेप्स अलग-अलग फ्लेवर में उपलब्ध होते हैं. साथ ही, बड़े पैमाने पर यह भी माना जाता है कि वे सामान्य सिगरेट की तुलना में कम हानिकारक हैं. इसलिए, युवा वेप्स के प्रति आकर्षित हो रहे हैं.

क्या वेपिंग से छूट जाती है स्मोकिंग?

जो लोग धूम्रपान छोड़ना चाहते हैं उन्हें कभी-कभी विकल्प के तौर पर वेप्स की सलाह दी जाती है. हालांकि, धूम्रपान न करने वालों, खासकर युवा लोगों के लिए, वेपिंग जोखिम भरा होता है.

डोनल कहते हैं, "वेपिंग को काफी समय से उस समस्या को हल करने के लिए किसी जादुई नुस्खे के तौर पर पेश किया जाता रहा है और यह स्पष्ट रूप से उस समस्या को हल नहीं कर रहा है. यह आश्चर्य की बात नहीं है. यह मूल रूप से एक लत को दूसरी लत में बदलता है.”

img