Sun Lockdown: दिसंबर 2019 में कोरोना वायरस (Coronavirus) चीन के वुहान से निकलकर दुनिया भर के देशों में फैलने लगा और साल 2020 की शुरुआत में इस वायरस ने दुनिया के कई देशों में अपने पैर पसार लिए. कोरोना वायरस के अलावा ऑस्ट्रेलिया बुश फायर (Australian Bushfire), एनबीए के दिग्गज कोबे ब्रायंट (Kobe Bryant) की मौत, टिड्डियों (Locusts) का हमला जैसे कई संकटों के बाद अब सौर न्यूनतम (Solar Minimum) यानी सन लॉकडाउन (Sun Lockdown) का संकट दुनिया के सामने मंडरा रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि धूप में बड़ी कमी होगी, क्योंकि सनस्पॉट (Sunspots) लगभग गायब हो गए हैं. माना जा रहा है कि सन लॉकडाउन यानी न्यूनतम सौर पृथ्वी पर अत्यधिक ठंड, अकाल और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं को जन्म दे सकता है. साल 2017 में नासा की रिपोर्ट्स ने बताया था कि साल 2019-2020 में सनस्पॉट गतिविधि में कम बिंदु को नोट किया जाएगा और ऐसा तब देखा जा रहा है जब हम कोरोना वायरस महामारी लॉकडाउन के चलते अपने घरों में बंद हैं.
हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. माना जाता है कि सनस्पॉट गतिविधि में इस बदलाव को हर 11 साल में देखा जाता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि सन लॉकडाउन के चलते इसके आसपास का चुंबकीय क्षेत्र कमजोर हो गया होगा, जिससे धरती पर अत्यधिक कम तापमान, भूकंप और अकाल जैसी प्राकृतिक आपदाएं हो सकती हैं.
क्या है सन लॉकडाउन?
सूर्य वर्तमान में सौर न्यूनतम के एक बिंदु पर है, जिसका अर्थ है कि इसकी सतह पर गतिविधि कम हो गई है. ग्रीनबेल्ट में नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के एमडी डीन पेसनेल (Dean Pesnell) ने नासा साइंस वेबसाइट पर कहा है कि हर 11 साल बाद सनस्पॉट दूर हो जाते हैं और एक शांत अवधि लाते हैं, जिसे सौर न्यूनतम यानी सन लॉकडाउन कहा जाता है. यह सनस्पॉट चक्र का एक नियमित हिस्सा है और सूरज अब सौर न्यूनतम यानी सन लॉकडाउन की ओर बढ़ रहा है.
सनस्पॉट की गिनती साल 2014 में काफी अधिक थी और इसके निम्न बिंदु का साल 2019-2020 में अनुभव किया जा रहा है. डीन ने आगे कहा कि सूर्य की रोशनी और सोलर फ्लेयर्स जैसी तीव्र गतिविधि सौर न्यूनतम के दौरान कम हो जाती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सूर्य सुस्त हो जाता है, बल्कि इससे सौर गतिविधि बस अपना रूप बदलती है.
साल 2017 में नासा द्वारा जारी वीडियो-
यह वैज्ञानिकों को डाल्टन न्यूनतम (Dalton Minimum) की याद दिलाता है, जो साल 1790 और 1830 के बीच हुआ था. डाल्टन न्यूनतम धरती पर गंभीर ठंड के मौसम, अकाल, ज्वालामुखी विस्फोटों जैसी आपदाओं का कारण बना था. जलवायु का अनुभव 2 डिग्री सेल्सियस जितना कम था और 1816 में 'ईयर विदाउट ए समर' भी था. हालांकि नासा के पोस्ट में खुलासा किया गया है कि साल 2020 में मिनी आइस एज का कोई प्रभाव नहीं है.