सांपों की उत्पत्ति करीब 12 करोड़ साल पहले हुई थी. तब से उन्होंने इतनी तेजी से विकास किया है जितना बहुत कम जीवों ने किया होगा. एक नए शोध ने पता लगाया है कि आखिर सांपों को विकास में इतनी बढ़त मिली कैसे.सांप पहली बार डायनासोरों के युग में सामने आए थे और तब से उन्होंने विकास की एक सफल कहानी लिखी है. महासागरों से लेकर पेड़ों की चोटी तक, वो धरती पर हर किस्म के प्राकृतिक वास में पाए जाते हैं.
अब एक नए शोध ने पता लगाया है कि चार पैरों पर चलने वाली छिपकलियों से निकले इन जीवों को विकास की दौड़ में दूसरों के मुकाबले बढ़त कैसे मिली. वैज्ञानिकों ने सांपों और छिपकलियों की करीब 1,000 नस्लों के जीनोमिक डाटा की मदद से दोनों का एक व्यापक "इवोल्यूशनरी ट्री" बनाया.
साथ ही उपलब्ध जीवाश्म रिकॉर्ड भी देखा और सांपों के भोजन, खोपड़ी की बनावट, प्रजनन संबंधी जीवविज्ञान और भौगोलिक क्षेत्र का भी अध्ययन किया. उन्होंने पाया कि सांपों में उनके शुरुआती इतिहास के समय में ही अचानक काफी इनोवेशन हुई और मुमकिन है कि उन्होंने अपनी कजिन छिपकलियों के मुकाबले तीन से लेकर पांच गुना ज्यादा तेज विकास किया.
एक नए शोध ने पता लगाया है कि सांपों को विकास की दौड़ में दूसरों के मुकाबले बढ़त कैसे मिली. वैज्ञानिकों ने सांपों और छिपकलियों की करीब 1,000 नस्लों के जीनोमिक डाटा की मदद से दोनों का एक व्यापक "इवोल्यूशनरी ट्री" बनाया.https://t.co/6xwn4KZVQx pic.twitter.com/U5zdNQ8oof
— DW Hindi (@dw_hindi) February 23, 2024
मिशिगन विश्वविद्यालय के जीव-वैज्ञानिक डैनिएल रैबोस्की कहते हैं, "ये ऐसे है जैसे मानिए छिपकलियां विकास की एक मोपेड या गो-कार्ट पर धीरे धीरे चल रही हैं और सांप एक वी12 लेम्बोर्गिनी पर सवार हैं. छिपकलियां शहर वाली बस पर सवार हैं और सांप जैव विकास की बुलेट ट्रेन पर." यह अध्ययन गुरुवार को विज्ञान पत्रिका 'साइंस' में छपा और रैबोस्की इसके वरिष्ठ लेखक हैं.
असरदार परभक्षी बनने के लिए
सांपों की उत्पत्ति करीब 12 करोड़ साल पहले हुई. जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय में इवोल्यूशनरी जीव-वैज्ञानिक और अध्ययन के सह-लेखक आर एलेग्जेंडर पाइरॉन ने बताया कि शुरुआती सांपों के पश्चक (वेस्टीजियल) हाथ-पैरथे और सबसे पुराना पूरी तरह से बिना हाथ-पैरों वाला सांप करीब 8.5 करोड़ साल पहले पाया जाता था.
अध्ययन में यह भी पता चला कि शुरुआती सांपों ने अपनी बनावट को महत्वपूर्ण तरीकों से बदला, अधिकांश रूप से बेहद विशिष्ट परभक्षी बनने के लिए. उनकी खोपड़ियां बेहद लचीली हो गईं ताकि वो अपने शिकार को बेहतर पकड़ सकें और निगल सकें.
उन्होंने एक शिकार का पता लगाने की भी एक प्रभावशाली प्रणाली विकसित की, जिसके तहत उनकी सूंघने की शक्ति परिष्कृत हो गई. कुछ सांपों से इंफ्रारेड देखने की क्षमता भी विकसित कर ली, जो एक तरह हीट सेंसर्स का काम करती है. कुछ सांप जहरीले हो गए.
शोधकर्ताओं ने सांपों और छिपकलियों के भोजन पर बड़े डाटासेट इकठ्ठा किए, जिसमें संग्रहालयों से मिले मृत नमूनों के पेट में मिली सामग्री पर मूल्यवान जानकारी भी शामिल है.
रैबोस्की कहते हैं, "छिपकलियां अमूमन कीड़े, मकड़े जैसे चीजें खाती हैं. कभी कभी पौधे भी. सांप असल में भोजन के मामले में एक्सट्रीम स्पेशलिस्ट होते हैं और अमूमन या तो हड्डीवाले जानवर या अजीब, खाने में मुश्किल, बिना हड्डी वाले जीव खाते हैं. जब सांप बिना हड्डी वाले जीव नहीं खाते हैं, तो वो अक्सर जहरीले कनखजूरे और बिच्छू जैसी खतरनाक चीजें या घिनौने घोंघे और वैसे अन्य जीव खाते हैं."
छिपकलियों के कई समूह समय के साथ बिना हाथ-पैर वाले हो गए हैं लेकिन उनमें कई भी वैसी विकास संबंधी समृद्धि नहीं आई जैसी सांपों में आई.
अवसरों का फायदा उठाया
रैबोस्की ने बताया, "सांप उन दूसरी छिपकलियों से बेहद अलग हैं जो अंडे नहीं देतीं. ऐसी अधिकांश छिपकलियां मिट्टी या रेत में घर बनाती हैं या मुमकिन है वो घास में रेंगती हों. सांप महासगार में मूंगे की चट्टानों में गहरे गोते लगाने से लेकर पेड़ों पर बेहद तेजी से चढ़ने तक, सब कुछ करते हैं."
पाइरॉन ने बताया सांपों में विकास का और तेज पड़ाव करीब 9 से 11 करोड़ सालों के बीच आया. उसके बाद फिर से 6.6 करोड़ साल पहले जब एक क्षुद्रग्रह के टकराने की वजह से डायनासोर खत्म हो गए, उसके बाद से कई बार अचानक विकास के ऐसे पड़ाव आए.
रैबोस्की ने यह भी कहा, "मुझे ऐसा लगता है कि चूंकि साप इनोवेशन में (जल्दी नए गुण विकसित करने में) इतने अच्छे थे, इस वजह से वो सामने आने वाले इकोलॉजिकल अवसरों का फायदा उठा पाए, जैसे की 6.6 करोड़ साल पहले का वो मस एक्सटिंक्शन जिसने कई दूसरी प्रजातियों को खत्म ही कर दिया."
सबसे छोटे जीवित सांपों में से हैं थ्रेडस्नेक, जो करीब चार इंच लंबे होते हैं. सबसे लंबा है रेटिकुलेटेड पाइथन, जो करीब 20 फुट लंबा है. तितानोबोआ सबसे लंबा सांप था जो करीब 43 फुट लंबा था, लेकिन अब लुप्त हो चुका है.
स्टोनी ब्रूक विश्वविद्यालय के इवोल्यूशनरी जीव-वैज्ञानिक और अध्ययन के मुख्य लेखक पास्कल टाइटल का कहना है, "आपको लगता होगा कि सांप तो बस सांप ही है. लेकिन पेड़ों में रहने वाले सांप पानी में रहने वाली सांपों से बिलकुल अलग दीखते हैं और मिटटी में रहने वाले सांप उनसे अलग, आदि आदि."
सांपों की मौजूदा 3,900 प्रजातियों की इकोलॉजिकल विविधता अद्भुत है. पैडल के जैसी दुम वाले सांप मूंगे की चट्टानों की दरारों में से निकाले गए मछली के अंडे खाते हैं. पेड़ों में रहने वाले कुछ सांपों के पास घोंघों को उनके खोल में से निकालने के लिए विशेष जबड़े होते हैं. ऐसे सांप खास रसायनों का इस्तेमाल कर इन घोंघों को ऊपर जमे लसलसीलेपन को भी हटाते हैं.
कुछ बोआ गुफाओं में लटके चमगादड़ों का शिकार करते हैं. कुछ सांप मेंढकों के अंडे, केचुए या चिड़ियों के अंडे खाने में माहिर होते हैं. कुछ तो दूसरे सांपों को ही खा जाते हैं. कुछ लोगों को सांपों से डर लगता है. लेकिन इन शोधकर्ताओं को नहीं.
पाइरॉन कहते हैं, "इनके चलने के तरीके से लेकर इनके इकोसिस्टम के साथ पेश आने के इनके तरीके हों, इनके बारे में सब कुछ अद्भुत है. यह सुंदर हैं, आकर्षक हैं और अधिकांश रूप से हानिकारक नहीं हैं."
सीके/एए (रॉयटर्स)