लेह: हाल ही में लद्दाख के आसमान पर "डबल सन हेलो" नामक एक दुर्लभ खगोलीय घटना देखी गई, जिससे हर कोई आश्चर्यचकित रह गया. दरअसल अह यह ऑप्टिकल भ्रम होता है. यह तब होता है जब सूर्य से प्रकाश सिरस के बादलों में निलंबित बर्फ के क्रिस्टल के माध्यम से अपवर्तित होता है, जिससे सूर्य के चारों ओर गाढ़ा छल्ले का एक आश्चर्यजनक प्रदर्शन होता है. भारत के कई हिस्सों में सूर्य प्रभामंडल (सूर्य के चारों ओर इस वृत्ताकार इंद्रधनुष रुपी रचना) एक सामान्य घटना रही है, हालांकि, दोहरा प्रभामंडल एक दुर्लभ घटना रही है.
डबल सन हेलो, जिसे 22 डिग्री सन हेलो या पैरी हेलीओ भी कहा जाता है, एक प्राकृतिक प्रकाशिकीय घटना है जिसमें सूर्य के चारों ओर दो चमकदार सफेद या रंगीन छल्ले दिखाई देते हैं. यह छल्ले बर्फ के क्रिस्टल से बने होते हैं जो वायुमंडल में ऊंचे सिरस या सिरोस्ट्रेटस बादलों में मौजूद होते हैं.
लेह में 'डबल सन हेलो' की तस्वीर
Leh was greeted with multiple halo .. any idea why there are multiple of them ?? pic.twitter.com/yds2FrnWjf
— Dorje Angchuk (@dorje1974) June 18, 2024
अद्भुत डबल हेलो
Multiple halos criss crossing each other pic.twitter.com/USUiBycIk1
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डबल सन हेलो कैसे बनता है:
सूर्य का प्रकाश बर्फ के क्रिस्टल से होकर गुजरता है. बर्फ के क्रिस्टल सूर्य के प्रकाश को अपवर्तित करते हैं, जिसका अर्थ है कि वे प्रकाश की दिशा को मोड़ देते हैं. प्रकाश क्रिस्टल के अंदर प्रतिबिंबित होता है, एक या दो बार. प्रतिबिंबित होने के बाद, प्रकाश क्रिस्टल से विक्षेपित होता है और हमारे द्वारा देखे जाने वाले छल्लों का निर्माण करता है.
देखें तस्वीर
@CholdanG what a lovely capture of the Wagners arc .. Please see it in full screen pic.twitter.com/KLBARygRod
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डबल सन हेलो के दो छल्ले:
आंतरिक छल्ला: यह छल्ला सबसे छोटा और सबसे चमकीला होता है. यह 22 डिग्री के कोण पर दिखाई देता है, इसलिए इसे 22 डिग्री सन हेलो कहा जाता है.
बाहरी छल्ला: यह छल्ला बड़ा और कम चमकीला होता है. यह 46 डिग्री के कोण पर दिखाई देता है.
यदि आप डबल सन हेलो देखते हैं, तो इसका मतलब है कि ऊंचाई में बर्फ के क्रिस्टल हैं, जो बारिश या बर्फबारी का संकेत हो सकते हैं.