नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) ने एक अभूतपूर्व खोज की है, जिसमें 'सुपर ज्यूपिटर' नामक सबसे ठंडे एक्सोप्लैनेट की पहचान की गई है. इस नए एक्सोप्लैनेट को 'एप्सिलॉन इंडी एबी' (Epsilon Indi Ab) नाम दिया गया है और यह पृथ्वी के सबसे नजदीकी 12वें एक्सोप्लैनेट के रूप में जाना जाता है. इसकी खासियत इसके बड़े आकार और अत्यधिक ठंडे तापमान में है.
एप्सिलॉन इंडी एबी की विशेषताएं
एप्सिलॉन इंडी एबी का व्यास बृहस्पति के समान है, लेकिन इसका द्रव्यमान लगभग छह गुना अधिक है. इस ग्रह की कक्षीय विशेषताएं विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं; यह अपने मेजबान तारे के चारों ओर एक पूरा चक्कर 100 से 250 वर्षों के बीच लगाता है. यह असाधारण रूप से लंबा कक्षीय काल अन्य एक्सोप्लैनेट्स की तुलना में बहुत ज्यादा है, जिनका कक्षीय चक्र आमतौर पर छोटा होता है.
ग्रह का वातावरण और संरचना
एप्सिलॉन इंडी एबी का वातावरण मुख्यतः हाइड्रोजन से बना है, जो इसे 'सुपर ज्यूपिटर' के रूप में वर्गीकृत करने में मदद करता है. इसका ठंडा तापमान इसे सबसे दिलचस्प एक्सोप्लैनेट्स में से एक बनाता है, क्योंकि इससे पहले देखे गए अधिकांश एक्सोप्लैनेट्स युवा, गर्म और अधिक चमकदार थे.
A paper in @Nature reports the discovery of a ‘super-Jupiter’ giant exoplanet orbiting a nearby, approximately 3.5-billion-year-old solar-type star. https://t.co/EJliknRrjo pic.twitter.com/sNB1BsW1CT
— Nature Portfolio (@NaturePortfolio) July 25, 2024
खोज की प्रक्रिया और महत्व
इस खोज को JWST के मिड-इन्फ्रारेड इंस्ट्रूमेंट (MIRI) के कोरोनाग्राफ का उपयोग करके प्राप्त किया गया था. इस तकनीक ने एप्सिलॉन इंडी एबी की सीधी इमेजिंग की अनुमति दी, जो कि बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य है. ज्यादातर पहले से कैप्चर किए गए एक्सोप्लैनेट्स युवा और ऊर्जावान होते हैं, जिससे उन्हें देखना आसान होता है. इसके विपरीत, एप्सिलॉन इंडी एबी ठंडा और पुराना होने के कारण कम ऊर्जा का उत्सर्जन करता है, जिससे इसकी खोज और भी मुश्किल हो जाती है.
अनुसंधान के निष्कर्ष और प्रतिक्रियाएं
इस अनुसंधान के निष्कर्ष "ए टेम्परेट सुपर-ज्यूपिटर इमेज्ड विद JWST इन द मिड-इन्फ्रारेड" शीर्षक वाले प्रकाशन में प्रस्तुत किए गए, जो 24 जुलाई को नेचर जर्नल में प्रकाशित हुआ. मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोनॉमी की एलिसाबेथ मैथ्यूज ने इस खोज के महत्व पर प्रकाश डाला, और टेक्सास विश्वविद्यालय की कैरोलाइन मॉर्ले ने कहा कि पहले के अप्रत्यक्ष मापों ने इस प्रणाली में एक विशाल ग्रह की उपस्थिति का संकेत दिया था. JWST की यह खोज इस रहस्यमय खगोलीय पिंड और इसके मेजबान तारे को और भी गहराई से समझने में मदद करेगी.
निष्कर्ष
नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप द्वारा 'सुपर ज्यूपिटर' एप्सिलॉन इंडी एबी की खोज ने खगोल विज्ञान की दुनिया में एक नया अध्याय खोला है. यह खोज न केवल वैज्ञानिकों के लिए रोमांचक है, बल्कि यह ब्रह्मांड की गहरी समझ के लिए भी महत्वपूर्ण है.