Kamala Sohonie's 112th Birth Anniversary Doodle: कमला सोहोनी की 112वीं जयंती पर गूगल ने ख़ास एनिमेटेड डूडल बनाकर किया उन्हें याद, जानें भारतीय बायोकेमिस्ट के बारे में
Kamala Sohonie's 112th Birthday Doodle (Photo: Google)

Kamala Sohonie's 112th Birth Anniversary Doodle: गूगल डूडल ने रविवार को एक दूरदर्शी भारतीय बायोकेमिस्ट कमला सोहोनी (Kamala Sohonie) की 112वीं जयंती मनाई, जिन्होंने परंपराओं को तोड़ा और विज्ञान में महिलाओं के लिए दरवाजे खोले. ऐसे समय में जब महिलाओं को वैज्ञानिक क्षेत्रों में कम प्रतिनिधित्व का सामना करना पड़ रहा था, उन्होंने भविष्य की पीढ़ियों को लैंगिक पूर्वाग्रह से उबरने और अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रेरित करते हुए एक राह दिखाई. Google डूडल में कमला सोहोनी को दिखाया गया है, जो "नीरा" पर अपने अग्रणी काम को प्रदर्शित करती है. एक ताड़ के शरबत से बना पेय जो अपने उच्च विटामिन सी सामग्री के लिए जाना जाता है. यह भी पढ़ें: Kitty O'Neil Google Doodle: अमेरिकी स्टंट वुमन व रेसर किटी ओ’नल की 77वीं जयंती, गूगल से समर्पित किया यह खास डूडल

डॉ. कमला सोहोनी पहली भारतीय महिला थीं, जिन्होंने वैज्ञानिक विषय में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की. एंजाइम 'साइटोक्रोम सी' की अपनी खोज के लिए जानी जाने वाली, सोहोनी को उस किंवदंती के रूप में सम्मानित किया जाता है, जिसने भविष्य की भारतीय महिलाओं के लिए कांच की छत को तोड़ने और पुरुषों के गढ़ माने जाने वाले क्षेत्रों में अपने सपनों को साकार करने में मदद की. रविवार, 18 जून को उनकी 112वीं जयंती है और इस क्षेत्र में अग्रणी काम करने वाले बायोकेमिस्ट का जश्न मनाने के लिए गूगल डूडल इस दिन को चिन्हित करता है.

जब डॉ कमला सोहोनी ने जब अपनी पीएचडी हासिल की, तो भारत में वैज्ञानिक विषयों में महिलाओं का बहुत कम प्रतिनिधित्व था. उन्होंने कई बाधाओं को तोड़ा और अपने सपनों को आगे बढ़ाने के लिए लैंगिक भेदभाव से लड़ी और दूसरों को प्रेरित किया. सोहोनी का जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर में 18 जून, 1912 को हुआ था. उनके माता-पिता रसायनज्ञ थे और सम्मानित व्यक्ति थे. उन्होंने अपने पिता और चाचा के नक्शेकदम पर चलते हुए बॉम्बे विश्वविद्यालय में रसायन विज्ञान और भौतिकी का अध्ययन किया. उन्होंने 1933 में अपनी कक्षा में टॉप किया और भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) में शामिल होने वाली पहली महिला बनीं. यह बताया गया था कि उनके पहले वर्ष के दौरान उन पर कड़ी शर्तें लगाई गई थीं, जाहिर तौर पर क्योंकि संस्थान ने विज्ञान में महिलाओं की क्षमताओं पर संदेह किया था.

ऐसा कहा जाता है कि उन्हें रमन द्वारा मास्टर डिग्री हासिल करने के लिए प्रवेश से वंचित कर दिया गया था, जिसके बाद वह सीवी रमन के विरोध में बैठ गईं.