ISRO ने लॉन्च किया GISAT-1 सैटेलाइट, अधूरा रहा मिशन, तीसरे चरण में क्रायोजेनिक इंजन ने बिगाड़ा खेल
पूरा नहीं हो सका इसरो का मिशन (Photo: ISRO)

श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन - इसरो (ISRO) द्वारा 12 अगस्त गुरुवार को EOS-03 उपग्रह का प्रक्षेपण सफल नहीं हो सका. इंजन में खराबी के कारण इसरो का यह महत्वाकांक्षी मिशन पूरा नहीं हो सका. GSLV-F10 रॉकेट अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट (EOS-3) ने उड़ान तो भरी लेकिन मिशन समय से 10 सेकेंड पहले ही खराब हो गया. इसरो ने गुरुवार सुबह चेन्नई से लगभग 100 किलोमीटर दूर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा में अंतरिक्ष यान से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया, लेकिन कुछ ही देर बाद इसमें खामी दिखने लगी.

GSLV-F10 रॉकेट से पृथ्वी अवलोकन उपग्रह को स्थापित नहीं किया जा सका. रॉकेट के क्रायोजेनिक स्टेज में खामी से यह मिशन पूरा नहीं हो सका. इसरो प्रमुख ने कहा कि क्रायोजेनिक इंजन में तकनीकी खामी पता चली है. जिसकी वजह से यह मिशन पूरी तरह से सफल नहीं हो पाया.

इसरो ने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आज सुबह 5 बजकर 43 मिनट पर GSLV-F10 के जरिए धरती पर निगरानी रखने वाले उपग्रह EOS-03 का प्रक्षेपण शुरू किया था. पहले दो चरण में ये कामयाबी के साथ आगे बढ़ा, लेकिन तीसरे चरण में इसके क्रायोजेनिक इंजन में खराबी आ गई. जिससे इसरो का यह मिशन पूरा होने से चूक गया.

इसरो ने घोषणा की कि मिशन आंशिक रूप से विफल रहा है. अगर यह मिशन कामयाब होता तो सुबह करीब साढ़े दस बजे से यह सैटेलाइट भारत की तस्वीरें लेना शुरु कर देता. इससे मौसम संबंधी गतिविधियों को समझने में और आसानी होती.

इसरो के इस मिशन का उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं, तात्कालिक घटनाओं के साथ-साथ आपदा चेतावनी, चक्रवात, बादल फटने और अन्य मौसम संबंधी और लगातार अंतराल पर बड़े क्षेत्रों की निगरानी का समय और वास्तविक चित्र प्रदान करना और जानकारी उपलब्ध कराना था.

याद हो इससे पहले 28 फरवरी को इसरो ने साल 2021 का अपना पहला मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च किया था. भारत का रॉकेट 28 फरवरी को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से पहली बार ब्राजील का उपग्रह लेकर अंतरिक्ष रवाना हुआ था. सिर्फ इतना ही नहीं उस दौरान भारतीय रॉकेट अपने साथ 19 सेटेलाइट लेकर गया था, जिनमें ब्राजील के अमेजोनिया-1 और 18 अन्य उपग्रहों शामिल थे. तब भारत के पीएसएलवी (ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान) सी-51 ने श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी थी.