केरल हाई कोर्ट ने हाल ही में कहा कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 228A, जो बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करने के लिए दंड देती है, न्यायाधीशों पर लागू नहीं होती है. हाई कोर्ट ने बलात्कार पीड़िता की पहचान की रक्षा के लिए रिकॉर्ड को तत्काल गुमनाम करने का निर्देश देते हुए यह टिप्पणी की. हालांकि, अदालत ने मजिस्ट्रेट के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के अनुरोध को खारिज कर दिया, जिसने अनजाने में अपने आदेश में जीवित बचे व्यक्ति का नाम उजागर कर दिया था. याचिकाकर्ता ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 228A के तहत मजिस्ट्रेट के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी, जो बलात्कार सहित कुछ अपराधों के पीड़ितों की पहचान उजागर करने को अपराध मानता है. इस पर, जस्टिस देवन रामचंद्रन ने कहा कि मजिस्ट्रेट की अनजाने चूक के कारण धारा 228A के तहत आपराधिक कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है. HC on Right to Privacy: निजता के अधिकार को लेकर गुजरात हाई कोर्ट ने आयकर विभाग को लगाई फटकार, पूछे ये सवाल.

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