मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने हाल ही में एक बलात्कार के दोषी की सजा को आजीवन कारावास से 20 साल के कारावास में इस आधार पर कम कर दिया कि उसने 4 साल की रेप पीड़िता को जघन्य कृत्य के बाद मारा नहीं.
अपीलकर्ता को आरोपी बनाया गया था और बाद में 4 साल की बच्ची से बलात्कार करने के लिए धारा 376 (2) (एफ) आईपीसी के तहत दोषी ठहराया गया था. व्यथित होकर आरोपी ने अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील की थी. आरोपी ने अदालत में कहा कि उसे मामले में झूठा फंसाया गया था. उसने यह भी कहा कि "यह ऐसा मामला नहीं था, जिसमें मैं आजीवन कारावास की सजा का पात्र हूं."
वहीं राज्य ने तर्क दिया कि अपीलकर्ता का मामला किसी भी प्रकार की नरमी के लायक नहीं हैइ सलिए, अपील खारिज की जाएं पक्षों की दलीलों और निचली अदालत के रिकॉर्ड की जांच करते हुए, कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता को अपराध के लिए सही तरीके से दोषी ठहराया गया था. एफएसएल रिपोर्ट को रिकॉर्ड में नहीं लाने के संबंध में आपत्ति से निपटने के लिए, न्यायालय ने दोषी की सजा कम कर दी.
MP High Court Reduces Rape Convict's Sentence Considering He Had Left Minor Victim Alive @ThomasZeeshan https://t.co/pzmsMVoEVs
— Live Law (@LiveLawIndia) October 22, 2022
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