दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि जहां दोनों पति-पत्नी समान रूप से योग्य हैं और समान रूप से कमाते हैं, वहां हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 के तहत पत्नी को अंतरिम गुजारा भत्ता नहीं दिया जा सकता है. जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की डिविजन बेंच ने कहा कि धारा 24 का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अधिनियम के तहत वैवाहिक कार्यवाही के दौरान कोई भी पक्ष विकलांग न हो. धारा 24 उस पार्टी के लिए भरण-पोषण का प्रावधान करती है जिसके पास अपने समर्थन और आवश्यक खर्चों के लिए पर्याप्त स्वतंत्र आय नहीं है. यह एक लिंग तटस्थ प्रावधान है जहां पत्नी या पति भरण-पोषण का दावा कर सकते हैं. पूर्व-आवश्यकता यह है कि जो व्यक्ति भरण-पोषण का दावा कर रहा है, उसके पास स्वतंत्र आय नहीं है जो उसके या उसके समर्थन के लिए पर्याप्त है."

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