मद्रास उच्च न्यायालय ने हाल ही में कहा था कि मानहानि के मामले में आरोपी की सोशल मीडिया उपस्थिति, जिसमें फॉलोअर्स की संख्या, सोशल मीडिया विचार आदि जैसे पहलू शामिल हैं, पोस्ट, ट्वीट्स और वीडियो को हटाने के आवेदन सहित वार्ता संबंधी आवेदनों का निर्णय करते समय प्रासंगिक विचार हैं.
न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति ने द्रमुक मंत्री सेंथिल बालाजी के खिलाफ भ्रष्टाचार के निराधार आरोप लगाने से भाजपा के आईटी विंग के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष निर्मल कुमार को अस्थायी रूप से रोकते हुए यह टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि कुमार के 83,800 ट्विटर फॉलोअर्स थे और उनके पोस्ट को बड़ी संख्या में लोगों ने देखा और शेयर किया.
कोर्ट ने 2022 में कुमार द्वारा पोस्ट किए गए उन सभी 17 ट्वीट्स की जांच की, जिनके बारे में बालाजी ने मानहानिकारक होने का दावा किया था. इसने कुमार द्वारा पोस्ट किए गए विवादित यूट्यूब वीडियो को भी देखा.
इसने निष्कर्ष निकाला कि इनमें से छह ट्वीट "स्वयं मानहानिकारक" थे, जबकि बाकी सख्ती से मंत्री के सार्वजनिक कार्यों पर लगाए गए आरोपों से संबंधित थे और प्रकाशित समाचार रिपोर्टों, आंकड़ों आदि पर आधारित थे. उच्च न्यायालय ने कहा कि मानहानि के छह ट्वीट किए गए थे. उन्होंने कुमार को छह ट्वीट और एक मानहानिकारक यूट्यूब वीडियो को हटाने का निर्देश दिया.
Social media views, follower count of defamation accused relevant while deciding applications for deleting tweets, videos: Madras High Court
report by @ayeshaarvind https://t.co/VJksRnNOZL
— Bar & Bench (@barandbench) April 14, 2023
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