इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने हाल ही में एक मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि "यह समाज का काला चेहरा है कि भारतीय परिवार आज भी अपने बेटे या बेटी की शादी अपनी जाति के बाहर (Inter-Caste Marriage) से करने में शर्म महसूस करते हैं."

जज ने कहा "मामले में पीड़ित लड़की OBC समुदाय से है जबकि आवेदक लड़का SC समुदाय से है और सरासर प्यार और स्नेह से, उन्होंने अपनी किशोरावस्था में शादी करने का फैसला किया. इस विवाह ने एक बच्चे को जन्म दिया. इसके बावजूद, आवेदक को मुकदमे की निरर्थक कवायद का सामना करना पड़ रहा है. अदालत पक्षों को सुनने के बाद अपनी गहरी पीड़ा दर्ज करता है, जिससे यह सामाजिक बुराई इतनी गहरी है कि आजादी के 75 साल बाद भी हम इसी से जूझ रहे हैं."

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