पटना हाई कोर्ट ने हाल ही में कहा है कि यह दृष्टिकोण स्वीकार्य नहीं है कि एक मुस्लिम पति को तुरंत तलाक देने का मनमाना और एकतरफा अधिकार प्राप्त है. अदालत ने यह भी कहा कि एक मुस्लिम पत्नी को केवल एक ई-मेल भेजकर तलाक देना मानसिक यातना का एक रूप है. हाई कोर्ट ने एक पति के खिलाफ दहेज और मानसिक यातना के आरोपों को खारिज करने की याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की. न्यायमूर्ति शैलेंद्र सिंह की उच्च न्यायालय की पीठ ने यह भी कहा कि ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के 2017 के फैसले का संचालन पूर्वव्यापी रूप से लागू होगा, और इसलिए, यह उक्त निर्णय के पारित होने से पहले घोषित ट्रिपल तलाक पर समान रूप से लागू होगा. आमिर करीम के रूप में पहचाने जाने वाले व्यक्ति ने भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3/4 के तहत उसके खिलाफ आरोपों को रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. यह भी पढ़ें: बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुलिस को मुस्लिम व्यक्ति की हिंदू साथी को अदालत में पेश करने का आदेश दिया
पति का एकतरफा तलाक देने का अधिकार अस्वीकार्य:
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— Live Law (@LiveLawIndia) December 11, 2024
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