राजस्थान हाई कोर्ट ने हाल ही में तलाक की कार्यवाही में पति के एक आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें यह साबित करने के लिए डीएनए परीक्षण को रिकॉर्ड पर लाने की मांग की गई थी कि वह उस बच्चे का पिता नहीं था, जो दंपति की शादी से है. न्यायमूर्ति पुष्पेंद्र सिंह भाटी ने कहा कि डीएनए पितृत्व परीक्षण केवल एक्सेप्शनल मामलों में ही किया जा सकता है और डीएनए टेस्ट तलाक लेने के लिए हथियार एक तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. "कोर्ट ने कहा कि डीएनए पितृत्व परीक्षण की आवश्यकता केवल दुर्लभतम और असाधारण मामलों में ही हो सकती है, जबकि बच्चे के सर्वोत्तम हित के साथ-साथ माननीय शीर्ष द्वारा निर्धारित कानून को ध्यान में रखते हुए कोर्ट," एकल-न्यायाधीश ने दर्ज किया.
देखें ट्वीट:
[Divorce case] DNA test on child to prove wife's adultery should be done only in exceptional cases: Rajasthan High Court
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— Bar & Bench (@barandbench) June 8, 2023
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