दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में कहा था कि महिला के नहाने के दौरान वॉशरूम में झांकना निजता पर हमला है. लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने यह भी कहा कि इस तरह का कृत्य अपराध है. जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि बाथरूम में पुरुष या महिला का नहाना एक "निजी कृत्य" है. अदालत ने कहा कि यह अधिनियम एक "निजी कार्य" है क्योंकि यह बाथरूम की चार दीवारी के अंदर हो रहा है.

हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़िता जब भी नहाती थी तो यौन मंशा से बाथरूम में झाँकने और उसके खिलाफ अभद्र टिप्पणी, टिप्पणी और हाव-भाव करना तुच्छ और अभद्र व्यवहार नहीं था बल्कि यह निजता का हनन है. महिला और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354C (ताकतकी) के तहत परिकल्पित आपराधिकता को आकर्षित करेगा.

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