छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने हाल ही में कहा कि किसी महिला को "बिना इच्छा के गर्भधारण" जारी रखने के लिए मजबूर करना उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. जस्टिस पी. सैम कोशी की सिंगल जज बेंच ने एक कथित नाबालिग बलात्कार पीड़िता की गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने की अनुमति देते हुए यह टिप्पणी की. याचिकाकर्ता, एक नाबालिग लड़की के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया गया और वह गर्भवती हो गई. जब नाबालिग ने अपनी गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए एक चिकित्सक से संपर्क किया, तो चिकित्सक ने इनकार कर दिया क्योंकि इसमें बलात्कार का आपराधिक मामला शामिल था.
इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. अदालत ने कहा, "यह अब तक एक स्थापित सिद्धांत है कि किसी महिला को अनचाहे गर्भ को जारी रखने के लिए मजबूर करना उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा. कई उच्च न्यायालयों की हालिया प्रवृत्ति भी यही रही है."
Compelling Woman To Continue Unwanted Pregnancy Violates Fundamental Rights: Chhattisgarh High Court Grants Relief To Minor Rape Survivor #Abortion https://t.co/xDNr97C1fb
— Live Law (@LiveLawIndia) June 29, 2023
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