क्या आप कभी सोचते हैं कि सांता क्लॉज़ का असली चेहरा कैसा होगा? अब वैज्ञानिकों ने इस रहस्य से पर्दा उठाया है. 1,700 साल बाद, सांता क्लॉज़ के प्रेरणा स्रोत, संत निकोलस ऑफ मायरा, का असली चेहरा सामने आया है. यह कार्य संभव हुआ है उनके खोपड़ी के डेटा का विश्लेषण करने के बाद. न्यूयॉर्क पोस्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग कर "फोरेंसिक रूप से" संत निकोलस का चेहरा पुनर्निर्मित किया है.
कैसे हुआ चेहरा पुनर्निर्मित?
यह चेहरा उनके मृतक अवशेषों पर आधारित है, जो 343 ईस्वी में संत निकोलस की मृत्यु के बाद से अज्ञात था. वैज्ञानिकों ने उनके खोपड़ी की स्कैनिंग की और आधुनिक तकनीकों से उनके चेहरे की 3D छवि तैयार की. इस प्रक्रिया में सटीकता सुनिश्चित करने के लिए उनकी हड्डियों की संरचना, आकार और अन्य शारीरिक विवरणों को ध्यान में रखा गया.
सीसरो मोरायस, इस अध्ययन के प्रमुख लेखक, ने इंस्टाग्राम पर इन तस्वीरों को साझा किया, जिसमें संत निकोलस का चेहरा एक चौड़ी माथे, पतली होठों और गोल नाक के साथ दिखाया गया है. मोरायस के अनुसार, यह चेहरा "मजबूत और दयालु" दोनों ही प्रतीत होता है.
Real face of Santa Claus revealed after 1,700 years —and just in time for Christmas https://t.co/HsbCNFCl1g pic.twitter.com/wan74K7vhF
— New York Post (@nypost) December 4, 2024
संत निकोलस और सांता क्लॉज़ की उत्पत्ति
संत निकोलस, जो मायरा (आज के तुर्की) के बिशप थे, अपनी दयालुता और बच्चों को उपहार देने की आदत के लिए प्रसिद्ध थे. उनके जीवनकाल के बाद, उनके कार्यों ने डच लोककथा के सिंटरक्लॉस और अंग्रेजी फादर क्रिसमस के मिश्रण से आधुनिक सांता क्लॉज़ की उत्पत्ति की. हालांकि, अब तक संत निकोलस के असली चेहरे का कोई चित्र नहीं था, यह पुनर्निर्माण इसे पहली बार साकार करता है.
Scientists have forensically reconstructed the “Real Face of Santa Claus” 1,700 years after Saint Nicholas of Myra’s death, revealing a strong yet gentle appearance, inspiring the Father Christmas legend.#Santa #SantaClaus #SaintNicholas #Myradeath #Christmas #Christmas2024 pic.twitter.com/Fd6uw7T2iq
— Lokmat Times Nagpur (@LokmatTimes_ngp) December 6, 2024
संत निकोलस के बारे में कहा जाता था कि वे अच्छे बच्चों को ही उपहार देते थे, और उनके नाम से जुड़ा "ट्वाज़ द नाइट बिफोर क्रिसमस" जैसी कविताओं में उनकी "गुलाबी गाल", "चौड़ा चेहरा" और "चेरी जैसी नाक" का वर्णन मिलता है.
संत निकोलस की शारीरिक स्थिति और आहार
इस पुनर्निर्माण में संत निकोलस के शारीरिक रोगों का भी ध्यान रखा गया. वैज्ञानिकों ने पाया कि वे पुरानी गठिया से पीड़ित थे और उनका खोपड़ी अधिक मोटा था, जो सिरदर्द का कारण बनता था. इसके अलावा, उनके आहार में अधिकतर पौधों आधारित खाद्य पदार्थ थे, जो उनके शरीर की संरचना को दर्शाते हैं.
संत निकोलस का अवशेष और उनकी मूवमेंट
संत निकोलस का मूल शरीर मायरा में दफन किया गया था, लेकिन बाद में उनकी हड्डियाँ इटली के बारी में स्थानांतरित कर दी गईं, जहां वे आज भी सुरक्षित रखी गई हैं. यह स्थान अब एक प्रमुख तीर्थ स्थल बन चुका है.