चीन: शख्स के मस्तिष्क में मिले 700 से ज्यादा टैपवार्म, सूअर का अधपका मांस खाने से पड़े कीड़े
प्रतीकात्मक तस्वीर, (फोटो क्रेडिट्स: Pixabay

चीन: एक आदमी के मस्तिष्क और फेफड़े में 700 से अधिक कीड़े पाए गए, ये कीड़े शख्स को आधा पका हुआ सूअर का मांस खाने की वजह से हुए. 46 वर्षीय झू झोंगफा (Zhu Zhongfa) ने बताया कि एक महीने पहले डिनर में परजीवी टेनिया सोलियम के अंडों, जिसे पोर्क टैपवार्म के रूप में जाना जाता है उसे खाया था. पूर्वी चीन के झेजियांग प्रांत (Zhejiang Province) में हांगझोउ के कंस्ट्रक्शन मजदूर को कुछ हफ़्तों से लगातार दौरे पड़ रहे थे. जब वह अस्पताल पहुंचा तो उसके मुंह से झाग निकल रहा था और बेहोश हो जा रहा था. डॉक्टरों ने कहा कि कृमि लार्वा झू के शरीर में उनके पाचन तंत्र के जरिए प्रवेश किया और ब्लड सर्क्युलेशन के जरिए उनके मस्तिस्क में पहुंच गए. लार्वा से जन्मे ये नए कीड़े बॉडी टिश्यू में प्रवेश करते हैं और सिस्ट बनाते हैं. ये सिस्ट सड़ने के कारण इंफेक्शन फैलता है. इसके कारण क्रोनिक सिरदर्द, अंधापन, दौरे पड़ना और यादाश्त कम आदि बीमारियां होती हैं. लेकिन ये लक्षण अंडे खाने के सालों बाद भी दिखाई देते हैं.

टैनिया सॉलियम संक्रमण, टेनिआसिस तब होता है, जब कोई दूषित या बिना पके हुए पोर्क मिट में टैपवार्म अंडे खाता है. टिश्यू सिस्ट के कारण संक्रमण सिस्टीकोर्सोसिस (Cysticercosis) होता है, जो विशेष रूप से खतरनाक तब होता है, जब ये मस्तिष्क के नर्व्स सिस्टम में पहुंचते हैं, इस इंफेक्शन को न्यूरोकाइस्टिसरोसिस (Neurocysticercosis) कहा जाता है. ये अंडे दो महीने में भी अडल्ट हो  सकते हैं, ये इन्फेक्शन मानव शरीर के विभिन्न अंगों, मांसपेशियों, त्वचा, आंखों और सेंट्रल नर्व सिस्टम में भीहो सकती है. झू ने बताया कि उसने लगभग एक महीने पहले हॉट पॉट खाया और उन्हें लगता है कि सूअर का मांस पूरा पकाया हुआ नहीं था.

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जिसके कुछ दिन बाद उन्हें लगातार दौरे पड़ने लगे और वो बेहोश होने लगे, जिसके बाद उन्होंने डॉक्टर को कंसल्ट किया. जांच के बाद पता चला कि झू के मस्तिष्क और चेस्ट सूअर मांस के टैपवार्म के अल्सर से भर गए हैं. डॉक्टर के अनुसार कीड़ों ने उनके मस्तिस्क के कई हिस्सों में कब्ज़ा कर लिया था.  उनके लंग्स, चेस्ट और मसल्स में सिस्ट हो गया था. डॉ. हुआंग ने कहा, 'हमने उनके अंगों की सुरक्षा के लिए एंटीपैरासिटिक दवाइयां देकर लार्वा को मार दिया और जिसकी वजह से कीड़ों का दुष्प्रभाव को कम हो गया. आगे का उपचार जारी है, झू धीरे-धीरे ठीक हो रहे हैं.