Fact Check: क्या सचमुच पृथ्वी पर 'Torenza' नाम का कोई सीक्रेट देश है? न्यूयॉर्क के JFK Airport पर महिला ने दिखाए अजीब Passport, जानें Viral Video का असली सच
AI Generated Video Claims to Show Woman With Torenza Passport at JFK Airport (Photo Credits: Instagram/ illumincodes)

Toranza Passport Fact Check: सोशल मीडिया पर इन दिनों एक अजीब वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. दावा किया जा रहा है कि यह अमेरिका के New York स्थित John F. Kennedy International Airport का है. यहां एक महिला ने इमिग्रेशन अधिकारियों के सामने ''टोरेंजा (Where Is Torenza?)'' नामक देश का Passport प्रस्तुत किया. उसने बताया कि उसका देश काकेशस क्षेत्र (Caucasus Region)  में स्थित है. जबकि, यह देश किसी भी मानचित्र या आधिकारिक रिकॉर्ड में मौजूद नहीं है. 

लोग इसके पीछे के रहस्य और साजिश की थ्योरीज पर चर्चा कर रहे हैं. हालांकि, ट्विटर और इंस्टाग्राम यूजर्स इसे AI Editedबता रहे हैं.

ये भी पढें: Fact Check: न्यूयॉर्क के JFK एयरपोर्ट पर पहुंची ‘Torenza’ देश की महिला, पासपोर्ट को लेकर फर्जी दावा वायरल; जानें कहानी का असली सच

JFK Airport पर वायरल 'Torenza Passport' वीडियो

पूरी तरह से फर्जी है वीडियो

हालांकि, जांच में यह पुष्टि हुई कि यह वीडियो पूरी तरह फर्जी है. Elon Musk समर्थित AI-फैक्ट चेकिंग सिस्टम Grok ने बताया कि यह कहानी पुराने ‘मैन फ्रॉम टॉरेड (Man from Taured)’ शहरी कथा से प्रेरित लगती है. किसी भी भरोसेमंद समाचार स्रोत या एयरपोर्ट के आधिकारिक बयान में ऐसा कुछ नहीं दर्ज है.

विशेषज्ञों ने वीडियो के विश्लेषण में कई संकेत पाए, जैसे Unusual Lighting, Scene Inconsistencies और Overly Smooth Motion, जो आम तौर पर AI-Created Content में देखने को मिलती हैं.

'Man from Taured’ से मिलती है घटना

यह कहानी 1954 की ‘Man from Taured’ कहानी से भी मिलती-जुलती है, जब Tokyo Airport पर एक यूरोपीय व्यक्ति अपने देश टॉरेड का पासपोर्ट दिखा रहा था, जो किसी मानचित्र पर नहीं था. हालांकि, इतिहासकारों के अनुसार यह पूरी घटना भी अधिकतर शहरी मिथक ही रही है.

वायरल वीडियो की जांच करना जरूरी

विश्लेषकों का कहना है कि यह वीडियो पुराने मिथक और डिजिटल युग के मिलन का एक उदाहरण है. यह दर्शाता है कि कैसे AI तकनीक अब वास्तविकता और कल्पना की सीमा को धुंधला कर रही है. जैसे-जैसे AI और वर्चुअल कंटेंट बढ़ता जा रहा है, ऐसे फर्जी वीडियो (Fake Video) अधिक वास्तविक लगने लगे हैं, जिससे दर्शकों को सच और झूठ पहचानना मुश्किल हो जाता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया पर फैलने वाली जानकारी पर हमेशा संदेह करना चाहिए और किसी भी वायरल वीडियो को आधिकारिक स्रोतों से जांचना जरूरी है.