Dwarf Giraffes Viral Video: नामीबिया और युगांडा में पहली बार दिखे बौने जिराफ, वायरल वीडियो देख आप भी रह जाएंगे दंग
बौने जिराफ (Photo Credits: Giraffe Conservation Foundation YouTube)

Dwarf Giraffes Viral Video: जिराफ (Giraffe) अपनी चौंकाने वाली ऊंचाई के लिए जाने जाते हैं, लेकिन क्या सभी जिराफ कद में काफी ऊंचे होते हैं. दरअसल, वैज्ञानिकों ने हाल ही में अफ्रीका के विभिन्न हिस्सों से दो बौने जिराफ (Dwarf Giraffes) की खोज की है, जिन्हें देखकर आपको अपनी आंखों पर यकीन नहीं होगा. वैज्ञानिकों ने पिछले महीने ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (British Medical Journal) में अपने निष्कर्ष प्रकाशित किए. दोनों ही मामलों में जिराफों की गर्दन लंबी थी, लेकिन उनके कड़े पैरों के कारण उनकी ऊंचाई कम थी. कथित तौर पर इसके लिए मेडिकल कंडीशन स्केलेटल डिसप्लेसिया (Skeletal Dysplasia) को जिम्मेदार बताया जा रहा है, जो मनुष्यों और पालतू जानवरों को प्रभावित करता है, लेकिन जंगली जानवरों में दुर्लभ है. जंगली जानवरों में इस स्थिति वाले जानवरों के कुछ ज्ञात उदाहरणों में श्रीलंका मे एक एशियाई नर हाथी और स्कॉटलैंड में एक लाल हिरण शामिल है.

जिराफ कंजर्वेशन फाउंडेशन के सह संस्थापक जूलियन फेनडेसी ने शुक्रवार को एक वीडियो कॉल में रॉयटर्स को बताया- यह आकर्षक है कि हमारे शोधकर्ताओं ने इस क्षेत्र में क्या पाया? हम बहुत आश्चर्यचकित थे. अधिकांश जिराफ 4.5-6 मीटर तक बढ़ते हैं, लेकिन 2018 में वैज्ञानिकों ने नामीबिया (Namibia) में 2.6 मीटर लंबा जिराफ खोजा था. तीन साल पहले उन्होंने युगांडा के वन्यजीव पार्क में 2.8 मीटर लंबा जिराफ भी पाया था. फाउंडेशन द्वारा लिए गए जिराफ के वीडियो में उत्तरी युगांडा (Northern Uganda) के मर्चिसन फॉल्स राष्ट्रीय उद्यान के ड्राई सवाना में खड़े छोटे छोटे पैरों वाले जानवर को दिखाया गया है. यह भी पढ़ें: शेरों ने किया हमला तो एक ही जगह पर 5 घंटे तक खड़ा रहा जिराफ, इस वायरल वीडियो में छुपी है एक बड़ी सीख, जरूर देखें

देखें वीडियो-

फेनेसी ने आगे कहा कि दुर्भाग्य से शायद इसका कोई लाभ नहीं है. जिराफ ऊंचे पेड़ों तक पहुंचने के लिए लंबे हो गए हैं. यह ज्यादातर निवास नुकसान, निवास स्थान विखंडन, बढ़ती हुई मानव आबादी इत्यादि के कारण है. दुनिया के सबसे लंबे प्राणियों की आबादी पिछले 30 सालों में 40 फीसदी घटकर करीब 111,000 हो गई है, जिसके कारण इस प्रजाति को संरक्षणवादियों द्वारा कमजोर के रूप में वर्गीकृत किया गया है. हालांकि यहां खुशी की बात यह भी है कि संरक्षण प्रयासों के कारण पिछले एक दशक में पशुओं की संख्या में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है.