नई दिल्ली: कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) के लिए 19 जनवरी का दिन प्रलय का दिन माना जाता है, क्योंकि साल 1990 में आज ही के दिन कश्मीरी पंडितों को अपनी जान बचाने के लिए घाटी से पलायन (Kashmiri Hindu Exodus) करने पर मजबूर होना पड़ा था. इस तारीख को करीब चार लाख कश्मीरी पंडित बेघर कर दिए गए थे और सैकड़ों कश्मीरी पंडितों को मौत के घाट उतार दिया गया था. बताया जाता है कि मई 1990 तक करीब पांच लाख कश्मीरी पंडित अपनी जान बचाने के लिए कश्मीर से पलायन कर चुके थे, जिसे आजादी के बाद भारत का सबसे बड़ा पलायन माना जाता है. आज कश्मीरी पंडितों के पयालन के 30 साल (30 Years of Kashmiri Hindu Exodus) पूरे हो गए हैं. हर साल 19 जनवरी को कश्मीरी पंडित होलोकॉस्ट/एक्सोडस डे (प्रलय/बड़ी संख्या में पलायन का दिन) के तौर पर मनाते हैं. आज भी इस तारीख को याद करके कश्मीरी पंडित सिहर जाते हैं और यही कामना करते हैं कि ऐसा दिन किसी की जिंदगी में कभी न आए.
कश्मीरी पंडितों के लिए इतिहास के इस काले दिन को तीस साल पूरे हो चुके हैं और इस घटना को लेकर ट्विटर ट्रेंड भी काफी चर्चा में है. कश्मीरी पंडितों के पलायन की 30वीं सालगिरह पर ट्विटर पर हम वापस आएंगे (#HumWapasAyenge), कश्मीरी पंडित (#KashmiriPandits) और कश्मीरी हिंदुओं का पलायन (#KashmiriHinduExodus) ट्रेंड कर रहा है. चलिए एक नजर डालते हैं ट्विटर ट्रेंड्स पर...
इतिहास का काला दिन-
19 जनवरी 1990
काला दिन#humwapasayenge #KashmiriHinduExodus
— Satender Kumar (@thesateneder) January 19, 2020
वापसी का अब भी इंतजार-
#HumWapasAyenge #HumWapasAayenge
निर्वासन के 30 साल...
वापसी का अब भी इंतजार@sambitswaraj @BJP4India @narendramodi
— Subodh Sharma (@onlinesubodh) January 19, 2020
खून के आंसू रोया था कश्मीरी पंडित-
जनवरी की उस अर्धरात्रि,सारा भारत सोया था।
कश्मीरी पंडित खून के आँसू,जार जार रोया था।
अल्लाह हू अकबर के भीषण शोर में
काल का विकट प्रहार हमने झेला था,
जला घर द्वार,पूजा स्थलों का संहार किया
देश के सपूतों पर,दुष्टों ने निर्मम वार किया#KashmiriPandits #HumWapasAyenge >> pic.twitter.com/8xAeClAwOm
— दीपक सिंघई (@prabalvani) January 19, 2020
कश्मीर में हुआ था हिंदुओं का नरसंहार-
आज के ही दिन कश्मीर में हिन्दुओ का नरसंहार हुआ था और आज ही के दिन शाहीन बाग़ के लोग "जश-ने-शाहीन" मना रहे हैं।
कुछ समझे?#KashmiriHinduExodus #HumWapasAyenge #CAA_NRC_Protest #CAA_NRC_support
— Neeraj Gihara (@ineerajbjp) January 19, 2020
मस्जिदों में लगे कश्मीर छोड़ने के नारे-
19 जनवरी 1990।कश्मीरी पंडितों के पलायन के 30 वर्ष पूरे हुए।उस दिन शुक्रवार दिन था।वहां की मस्जिदों से नारे लगे"ऐ जालिमों,ऐ काफिरों,कश्मीर छोड़ दो"यहां क्या चलेगा,निजामे मुस्तफा","अची गची पुल्ली पाकिस्तान, बटयो रुश्दी बट इंसान।इस भारतविरोधी जिहाद से लड़ना होगा।#HumWapasAyenge
— Anurag Mishra (@bjpanuragabvp) January 19, 2020
कश्मीरी हिंदुओं का दर्द-
What the #HumanRights
activists were doing then? Where were these protesters then? Where were @unhrcpr @UNHRCC @UNHRGeneva
#Justice4KashmiriHindus #KashmiriHinduExodus #HumWapasAayenge #KashmiriPandits #HumWapasAyenge #ExodusofKashmiriPandits1990 https://t.co/pJwC0B400K
— Pradipta Pati (@pradipta2013) January 19, 2020
कश्मीर मेरा है-
कश्मीर मेरा है
Kashmir is mine
ਕਸ਼ਮੀਰ ਮੇਰਾ ਹੈ
காஷ்மீர் என்னுடையது
કાશ્મીર મારું છે
काश्मीर माझा आहे
Kashmir është imi
కాశ్మీర్ నాది
کشمیر میرا ہے
ڪشمير جو منهنجو آهي
كشمير لي
克什米爾是我的
Le Cachemire est à moi#कश्मीरी_पंडित #HumWapasAyenge #KashmiriPandits
— RAVI KUMAR CHAUBEY (@cravi9119) January 19, 2020
19 जनवरी 1990 को कश्मीरी पंडितों पर जिहादी इस्लामिक ताकतों ने ऐसा कहर बरपाया कि उनके पास सिर्फ तीन ही विकल्प बचे थे, धर्म बदलों, मरो या पलायन करो. इस दिन आतंकवादियों ने सैकड़ों अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडितों का कत्लेआम कर दिया था. कई महिलाओं और लड़कियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया था. उन दिनों आए दिन पंडितों के घरों पर पत्थरबाजी, मंदिरों पर हमले लगातार हो रहे थे. इस हालात में उनकी मदद के लिए न ही पुलिस, प्रशासन, नेता और मानवाधिकार के लोग मौजूद थे. यह भी पढ़ें: फिल्म 'शिकारा' के डायलॉग 'हम आएंगे अपने वतन' के जरिए कश्मीरी पंडितों ने ली घर लौटने की शपथ, देखें वीडियो
गौरतलब है कि पलायन के बाद कश्मीरी पंडितों के घरों में लूटपाट, मकानों में आगजनी, पंडितों के मकानों, जमीनों पर कब्जे और कई मंदिरों में तोड़फोड़ की वारदातों को भी अंजाम दिया गया था. इस त्रासदी के तीस साल बीत जाने के बाद भी कश्मीरी पंडितों के खिलाफ हुए इस जुल्म के मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. यहां तक कि सैकड़ों मामलों में एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई.