
हिंदू धर्म में एकादशी के संदर्भ में बहुत सारी मान्यताएं हैं. हर माह एक एकादशी आती है. कुछ विशेष एकादशी भी होती हैं, जैसे मोहिनी एकादशी, अपरा एकादशी, निर्जला एकादशी आदि. इनमें सबसे ज्यादा महत्ता योगिनी एकादशी की बताई जाती है. आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं. इस बार यह एकादशी कहीं 28 जून को मनाई जा रही है तो कहीं 29 जून को मनाई जाएगी. मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त सच्चे मन से व्रत रखता एवं पूजा आराधना करता है, वह सारे पापों से तो मुक्त होता ही है, साथ ही मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. लेकिन कुछ ऐसी बातें भी हैं, जिन्हें योगिनी एकादशी के समय करने से बचना चाहिए. वरना आप व्रत के फल से तो वंचित होंगे ही साथ आप भारी विपत्ति में भी फंस सकते हैं.
योगिनी एकादशी पर क्या नहीं करें.
* अकसर देखा जाता है कि व्रत की रात भगवान को खुश करने के लिए लोग रात भर जागते हैं. लेकिन समय पास करने के लिए वे जुआ आदि खेलते हैं. जुआ व्यक्ति को अधर्म की ओर ले जाता है. इससे घर-परिवार में कलह होती है, घर परिवार टूट जाते हैं. लोग असमय मृत्यु के शिकार बनते हैं. अच्छा होगा जुआ जैसी लत से हमेशा के लिए संगत छोड़ देना चाहिए.
* योगिनी एकादशी के दिन किसी भी वृक्ष का दातून नहीं करना चाहिए. क्योंकि इस दिन किसी भी फूल, पत्ती अथवा पेड़ों को काटना अथवा तोड़ना वर्जित होता है. इस दिन उंगली से ही दांतों की सफाई करनी चाहिए.
* झूठ बोलना सामाजिक अपराध तो है ही साथ ही इसे एक असभ्य एवं मानसिक रोग भी माना जाता है. झूठ बोलकर हम अपना तन-मन दोनों ही कलुषित कर लेते हैं. याद रखिए दुषित मन से की गई पूजा-अर्चना भगवान तक नहीं पहुंचती. इसलिए सदा सच बोलने की आदत डालें.
* योगिनी एकादशी के दिन किसी भी व्यक्ति अथवा जीव पर क्रोध नहीं करना चाहिए. क्रोध से मन अशांत होता है, आप कोई भी कार्य दिल लगाकर नहीं कर पाते. क्रोध से मन अस्थिर हो जाता है. और अस्थिर मन से आप ईश्वर की आराधना तो नहीं ही कर सकते.
* एकादशी के दिन किसी पर भी हिंसा नहीं करनी चाहिए. क्योंकि हिंसा से मानसिक विकृति जन्म लेती है. इससे दूसरों को भी तकलीफ पहुंचती है. अतः हिंसात्मक गतिविधियों से दूर रहने के साथ ही दूसरों को भी इस बात के लिए प्रेरित करें कि वे हिंसा के रास्ते पर नहीं चले, इससे जीवन दुषित बनकर रह जाता है.
* योगिनी एकादशी के दिन भले ही व्रत न करें, लेकिन ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करना चाहिए. एकादशी के दिन मन को पूरी तरह से नियंत्रित रखने की कोशिश करनी चाहिए. इससे बिना व्रत किए आपको व्रत का प्रतिफल मिल जाता है.
* चोरी करना एक सामाजिक और नैतिक अपराध है. एकादशी ही नहीं बल्कि किसी भी दिन चोरी जैसे अपराध से बचने की कोशिश करनी चाहिए. चोरी करने से आपका पुण्य कमजोर हो जाता है. क्योंकि जिस व्यक्ति की वस्तु चोरी होती है, वह बद्दुआ देता है. इसलिए एकादशी के दिन ही नहीं बल्कि किसी भी दिन चोरी जैसे घिनौने अपराध से दूर रहना चाहिए.
* योगिनी एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए. माना जाता है कि चावल खाने से मन चंचल होता है. इस वजह से व्यक्ति का मन प्रभु की भक्ति में नहीं लगता.
* योगिनी एकादशी के दिन पान, तंबाकू, जर्दा, सुपारी एवं शराब जैसी वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए. यद्यपि किसी भी भक्त को हर दिन लतों से दूर रना चाहिए.
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इस एकादशी की रात सोना नहीं चाहिए. संध्याकाल शुरू होते ही भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने बैठ कर सामूहिक रूप से भजन-कीर्तन आदि करनी चाहिए. अगर पूरी रात्रि जागना संभव नहीं हो तो मध्यरात्रि तक जरूर जाग कर भगवान विष्णु एवं लक्ष्मी जी की पूजा आरती करनी चाहिए.