योगिनी एकादशी 2024 (Photo Credits: File Image)
Yogini Ekadashi 2024 Wishes in Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) कहलाती है, जो इस साल 2 जुलाई 2024 को पड़ रही है. एकादशी तिथि भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) को अत्यंत प्रिय है और इसे सभी व्रतों में उत्तम फलदायी माना जाता है. इस तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी (Maya Lakshmi) की विधि-विधान से पूजा की जाती है. इसके साथ ही पापों से मुक्ति पाने के लिए भी इस व्रत का पालन किया जाता है. योगिनी एकादशी भगवान विष्णु के शयनकाल के आरंभ होने से ठीक पहले की एकादशी होती है. इस एकादशी के बाद देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु चार महीने के लिए क्षीरसागर में शयन करने चले जाते हैं, जिसके साथ ही चतुर्मास की शुरुआत हो जाती है.
योगिनी एकादशी का व्रत करने से घर-परिवार में धन, संपत्ति और वैभव का आगमन होता है, साथ ही सुख-समृद्धि आती है. इस दिन व्रत रखकर श्रीहरि की पूजा-अर्चना करने के साथ भजन-कीर्तन किया जाता है. इसके साथ ही शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता है. ऐसे में आप भी इस खास अवसर पर इन भक्तिमय हिंदी विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, कोट्स, फेसबुक मैसेजेस को भेजकर योगिनी एकादशी की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- मर-मर के तू लाख जन्म ले ले,
हाथ में तेरे राख भी ना आएगा,
आरंभ तुम्हारा, नारायण से है,
अंत में तू श्रीहरि के शरण में जाएगा.
योगिनी एकादशी की शुभकामनाएं
योगिनी एकादशी 2024 (Photo Credits: File Image)
2- श्रीहरि हैं सबका दाता,
नारायण ही भाग्यविधाता,
जब कोई काम नहीं आता तो,
नारायण है साथ निभाता.
योगिनी एकादशी की शुभकामनाएं
योगिनी एकादशी 2024 (Photo Credits: File Image)
3- वैरागी बने तो जग छूटे,
संन्यासी बने तो छूटे शरीर,
नारायण से स्नेह हो जाए,
तो छूट जाए आने-जाने की माया.
योगिनी एकादशी की शुभकामनाएं
योगिनी एकादशी 2024 (Photo Credits: File Image)
4- विष्णु की माया बन जाऊं,
कलयुग की अनुपम कहानी बन जाऊं,
मेरे भगवान की कृपा हो जाए तो,
मैं भी अर्जुन की तरह बन जाऊं.
योगिनी एकादशी की शुभकामनाएं
योगिनी एकादशी 2024 (Photo Credits: File Image)
5- कोई दौलत का दीवाना,
कोई शोहरत का दीवाना,
शीशे सा मेरा दिल,
मैं तो सिर्फ नारायण का दीवाना.
योगिनी एकादशी की शुभकामनाएं
योगिनी एकादशी 2024 (Photo Credits: File Image)
योगिनी एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर पीले वस्त्र धारण करने चाहिए, फिर मंदिर की साफ-सफाई कर गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए. अब एक चौकी पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए. उन्हें मौसमी फल, पंचामृत का भोग अर्पित करना चाहिए और भोग में तुलसी दल अवश्य अर्पित करना चाहिए. पूजन के दौरान ‘विष्णु सहस्त्रनाम’, ‘विष्णु चालीसा’ और ‘ओम् नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जप करना चाहिए. इसके बाद द्वादशी तिथि को ब्राह्मणों को भोजन कराने व दक्षिणा देने के बाद व्रत का पारण करना चाहिए.